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मध्यप्रदेश : जब हादसा हुआ तब जागे, ईटीवी भारत का रियलिटी चेक - ग्राउंड रिपोर्ट

सीधी और अब ग्वालियर बस हादसे के बाद प्रशासन एक बार फिर बस संचालकों पर सख्त होता दिखाई दे रहा है. लेकिन हादसा हो जाने की बाद ही ऐसी सख्ती क्यों दिखाई दिखाई जाती है यह बड़ा सवाल है. ईटीवी भारत ने प्रदेश के दूसरे शहरों में भी पलायन की स्थिति और मजदूरों की परेशानी को लेकर ग्राउंड पर जाकर सच्चाई जानी.देखिए रिपोर्ट

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Published : Apr 21, 2021, 9:59 PM IST

इंदौर: पहले सीधी और अब ग्वालियर बस हादसे के बाद प्रशासन एक बार फिर बस संचालकों पर सख्त होता दिखाई दे रहा है. लेकिन हादसा हो जाने की बाद ही ऐसी सख्ती क्यों दिखाई दिखाई जाती है यह बड़ा सवाल है. ग्वालियर बस हादसे में कोरोना कर्फ्यू के के दौरान तंगहाली के चलते पलायन कर अपने गांवों को जाने वाले लोगों से ज्यादा किराया वसूले जाने की बात भी सामने आई थी. इस हादसे में 3 मजदूरों की मौत हो गई थी जबकि 24 लोग घायल हुए थे. ईटीवी भारत ने प्रदेश के दूसरे शहरों में भी पलायन की स्थिति और मजदूरों की परेशानी को लेकर ग्राउंड पर जाकर सच्चाई जानी.देखिए रिपोर्ट

ईटीवी भारत का रियलिटी चेक

हादसों का इंतजार करता है प्रशासन ?
सीधी बस हादसे के बाद प्रदेश में बसों में लोगों को बैठाने, उनकी फिटनेस चेक किए जाने और बसों के संचालन को लेकर प्रशासन ने कई तरह के सख्त निर्देश जारी किए थे. लेकिन ग्वालियर में मंगलवार को हुए बस हादसे ने प्रशासन की सख्ती की पोल खोल दी. यहां ग्वालियर से टीकमगढ़ जा रही बस में न सिर्फ क्षमता से ज्यादा लोगों को बैठाया गया था बल्कि बस की छत के ऊपर भी लोग सवार थे. मजदूरों से कई गुना ज्यादा किराया भी वसूला गया था. इतना ही नहीं बस का ड्राइवर भी शराब पीकर गाड़ी चला रहा था. ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना काल में शहर के हर चौराहे पर नजर आने वाली पुलिस के बेरिकेटिंड में इसे रोका क्यों नहीं गया? पूछताछ क्यों नहीं हुई?. क्या किसी भी जिम्मेदार पुलिस अफसर की नजर हादसे का शिकार हुई इस बस पर पहले क्यों नहीं गई?

ईटीवी भारत ने किया रियलिटी चैक

ग्वालियर बस हादसे के बाद प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में भी मजदूरों के बड़ी तादाद में मजदूरों के पलायन की जानकारी सामने आने के बाद ईटीवी भारत ने बस स्टैंड पर जाकर स्थिति का जायजा लिया. इंदौर में 30 अप्रैल तक कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. ऐसे में मजदूरों के शहर से पलायन का सिलसिला जारी है. बताया जा रहा है कि ज्यादातर लोग छोटे वाहनों को किराए पर लेकर पलायन कर गए हैं.

पढ़ें - सोशल मीडिया पर हेल्पलाइन नंबरों की भरमार, जाने कितने मददगार

इंदौर में बंद हैं अंतरराज्यीय बस सेवाएं
इंदौर से महाराष्ट्र और प्रदेश के दूसरे हिस्सों में जाने के लिए अंतरराज्यीय बस सेवाएं बंद हैं. प्रशासन की सख्ती को देखते हुए वर्तमान में इंदौर से प्रदेश के कुछ हिस्सों के लिए ही बसों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन बस स्टैंड पर यात्री सीमित संख्या में ही नजर आ रहे हैं.यहां यात्रियों से ज्यादा किराया वसूले जाने का मामला भी सामने नहीं आया. पलायन करने वाले ज्यादाकर परिवार ट्रेन से सफर करने को ज्यादा प्रथामिकता दे रहे हैं. कोरोना कर्फ्यू लगा होने के चलते पलायन के मामलों में भी कुछ कमी आई है. वर्तमान में इंदौर से खंडवा, धार, बुरहानपुर, सेंधवा, खरगोन और बड़वानी के लिए बसों का संचालन किया जा रहा है. यहां हालात ज्यादातर सामान्य दिखाई दे रहे हैं.

इंदौर: पहले सीधी और अब ग्वालियर बस हादसे के बाद प्रशासन एक बार फिर बस संचालकों पर सख्त होता दिखाई दे रहा है. लेकिन हादसा हो जाने की बाद ही ऐसी सख्ती क्यों दिखाई दिखाई जाती है यह बड़ा सवाल है. ग्वालियर बस हादसे में कोरोना कर्फ्यू के के दौरान तंगहाली के चलते पलायन कर अपने गांवों को जाने वाले लोगों से ज्यादा किराया वसूले जाने की बात भी सामने आई थी. इस हादसे में 3 मजदूरों की मौत हो गई थी जबकि 24 लोग घायल हुए थे. ईटीवी भारत ने प्रदेश के दूसरे शहरों में भी पलायन की स्थिति और मजदूरों की परेशानी को लेकर ग्राउंड पर जाकर सच्चाई जानी.देखिए रिपोर्ट

ईटीवी भारत का रियलिटी चेक

हादसों का इंतजार करता है प्रशासन ?
सीधी बस हादसे के बाद प्रदेश में बसों में लोगों को बैठाने, उनकी फिटनेस चेक किए जाने और बसों के संचालन को लेकर प्रशासन ने कई तरह के सख्त निर्देश जारी किए थे. लेकिन ग्वालियर में मंगलवार को हुए बस हादसे ने प्रशासन की सख्ती की पोल खोल दी. यहां ग्वालियर से टीकमगढ़ जा रही बस में न सिर्फ क्षमता से ज्यादा लोगों को बैठाया गया था बल्कि बस की छत के ऊपर भी लोग सवार थे. मजदूरों से कई गुना ज्यादा किराया भी वसूला गया था. इतना ही नहीं बस का ड्राइवर भी शराब पीकर गाड़ी चला रहा था. ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना काल में शहर के हर चौराहे पर नजर आने वाली पुलिस के बेरिकेटिंड में इसे रोका क्यों नहीं गया? पूछताछ क्यों नहीं हुई?. क्या किसी भी जिम्मेदार पुलिस अफसर की नजर हादसे का शिकार हुई इस बस पर पहले क्यों नहीं गई?

ईटीवी भारत ने किया रियलिटी चैक

ग्वालियर बस हादसे के बाद प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में भी मजदूरों के बड़ी तादाद में मजदूरों के पलायन की जानकारी सामने आने के बाद ईटीवी भारत ने बस स्टैंड पर जाकर स्थिति का जायजा लिया. इंदौर में 30 अप्रैल तक कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. ऐसे में मजदूरों के शहर से पलायन का सिलसिला जारी है. बताया जा रहा है कि ज्यादातर लोग छोटे वाहनों को किराए पर लेकर पलायन कर गए हैं.

पढ़ें - सोशल मीडिया पर हेल्पलाइन नंबरों की भरमार, जाने कितने मददगार

इंदौर में बंद हैं अंतरराज्यीय बस सेवाएं
इंदौर से महाराष्ट्र और प्रदेश के दूसरे हिस्सों में जाने के लिए अंतरराज्यीय बस सेवाएं बंद हैं. प्रशासन की सख्ती को देखते हुए वर्तमान में इंदौर से प्रदेश के कुछ हिस्सों के लिए ही बसों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन बस स्टैंड पर यात्री सीमित संख्या में ही नजर आ रहे हैं.यहां यात्रियों से ज्यादा किराया वसूले जाने का मामला भी सामने नहीं आया. पलायन करने वाले ज्यादाकर परिवार ट्रेन से सफर करने को ज्यादा प्रथामिकता दे रहे हैं. कोरोना कर्फ्यू लगा होने के चलते पलायन के मामलों में भी कुछ कमी आई है. वर्तमान में इंदौर से खंडवा, धार, बुरहानपुर, सेंधवा, खरगोन और बड़वानी के लिए बसों का संचालन किया जा रहा है. यहां हालात ज्यादातर सामान्य दिखाई दे रहे हैं.

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