नई दिल्ली : दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसान संसद (Farmers' Parliament at Jantar Mantar) के पहले दिन गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रमिंदर सिंह पटियाला ने ईटीवी भारत से कई मुद्दों पर बात की. रमिंदर सिंह ने कहा कि किसान एक बार अपनी फसल बो देता है तो उसे काटकर ही रहता है. किसान आंदोलन भी एक फसल है, जिसे बो दिया गया है और हम तभी वापस लौटेंगे, जब केन्द्र सरकार हमारी मांगे मान लेगी.
पहले ही दिन किसान संसद के विलंब से शुरू होने का कारण बताते हुए रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा कि रास्ते में पुलिस ने वैरीफिकेशन करने के लिए रोका ताकि हमें पहुंचने में देरी हो जाए. जिसका किसानों ने विरोध कर नारेबाजी की.
किसान संसद के दूसरे सत्र के विषय में भी उन्होंने बताया. इस बात की भी जानकारी दी कि पहले सत्र में क्या रेजोल्यूशन पास हुआ, किन मुद्दों पर चर्चा हुई, स्पीकर कौन था. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने बताया कि 6 लोगों का अध्यक्ष मंडल है, जो आज के सेशन में स्पीकर डिप्टी स्पीकर बने. उनमें तीन दूसरे राज्यों से हैं, हन्नमुल्ला, जोगिंदर यादव और शिव कुमार कक्का. मेरे सहित हरमीत कादियां और मनजीत सिंह राय तीन लोग पंजाब से हैं.
आज के सेशन में सबसे पहले तो शहीद हुए किसानों को नमन कर श्रद्धांजलि दी गई. दूसरा मुद्दा प्रेस को आने से रोके जाने का था, उस पर रेजोल्यूशन किया गया. इस बात का विरोध किया गया. इसका नतीजा है कि अब प्रेस को आने दिया गया है और हमारी मीडिया से बात हो पा रही है.
संसद का मानसून सत्र लंबा चलेगा. किसान संसद कब तक चलेगी और सिंधु बॉर्डर से कितने किसान आएंगे. इसके जवाब में रमिंदर सिंह पटियाला (Raminder Singh Patiala) ने कहा कि हम लोग की लिस्टें तैयार हैं. किसान संसद 13 अगस्त तक चलेगी. आज से 19 वर्किंग डे बनते हैं और 19 दिन तक दो-दो सौ किसानों का जत्था आएगा. ये लोग रोज अपने प्रेजिडयम और स्पीकर डिप्टी स्पीकर चुनेंगे. खेती के तीनों कानूनाें के अलग-अलग पहलुओं पर रोज चर्चा होगी. यह एक तरह से विरोध का अलग तरीका होगा.
ईटीवी भारत के ये पूछे जाने पर कि दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर किसान पिछले 6 महीने से धरना पर बैठे हैं तो क्या किसान संसद का प्रभाव पड़ेगा. इससे सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब होंगे.संयुक्त किसान मोर्चा के नेता Raminder Singh Patiala ने कहा कि सरकार हठधर्मिता में अड़ी है कि वो ऐसा करके किसानों को थका देगी. लेकिन अब ये बात वो समझ ले कि हम अपनी फसल बोते हैं तो काटते भी हैं. ये फसल तो हमने बो दी और इसे काट कर जाएंगे. अब यह उनके ऊपर है कि वो कब हमें भेजना चाहते हैं.
रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा कि हम तो अपनी डिमांड लेकर बैठे हैं और बैठे रहेंगे. छह महीने का पहले राशन लिया था फिर फसल काटकर जमा कर लिया और छह महीने का आगे का कर लिया है. आंदोलन जारी रहेगा. ये आंदोलन दुनिया के इतिहास का यूनिक आंदोलन बन गया है. इसको बड़े-बड़े लोग मान रहे हैं. यह सरकार कॉरपोरेट के लिए काम कर रही है.