कानपुर: जिस तरह इंसानों में एक मां को अपने जन्मे बेटे की मौत का अपार दुख होता है. कमोबेश वही स्थिति वन्यजीवों में भी होती है. कुछ दिनों पहले ही इटावा लायन सफारी में पहली बार मां बनी शेरनी सोना ने एक माह के अंदर पांच अलग-अलग शावकों को जन्म दिया. सोना की पहली डिलीवरी में ही पांच शावकों के जन्म को देख प्रशासनिक अफसर व चिकित्सक बेहद खुश थे. मगर, थोड़े ही समय-अंतराल में सभी शावकों ने दम तोड़ दिया.
कानपुर जू में भी शावकों की हुई थी मौतः मामला इटावा लायन सफारी से जुड़ा था तो पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मामले को विधानसभा में उठा दिया. आनन-फानन ही शासन के अफसरों ने उप्र के चार अलग-अलग जू में इस मामले पर स्टडी रिपोर्ट तैयार कराई. जिसमें यह बात सामने आई है कि शेरनी के पहली बार जन्म लेने वाले बच्चे कभी नहीं बचते. क्योंकि साल 2003 में कानपुर जू में शेरनी गौरी ने भी दो शावकों को जन्म दिया था और उनकी मौत हो गई थी.
आईवीआरआई के विशेषज्ञ करेंगे शोध: ईटीवी भारत संवाददाता से विशेष बातचीत में मुख्य वन संरक्षक व कानपुर जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि पहली बार जब कोई शेरनी शावकों को जन्म देती है तो प्राय: देखा गया है कि वह नहीं बचते हैं. इटावा लायन सफारी में तो शेरनी सोना ने 76 घंटे के अंतराल में शावकों को जन्म दिया. यह पूरी तरह से एब्नार्मल स्थिति थी. इससे पहले कानपुर जू व अन्य जू में भी ऐसा हुआ है. हालांकि, अब शावकों के सैंपल भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) भेजे गए हैं. जो वहां के एक्सपर्ट बताएंगे, वैसा हम करेंगे. हमारा मानना है कि शावकों को बचाया जा सके. उन्होंने यह भी बताया कि शेरों का प्रजनन काल 110 दिनों का होता है. मौजूदा समय में लखनऊ, कानपुर, इटावा लायन सफारी व गोरखपुर जू में शेर व शेरनियां मौजूद हैं.
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