नयी दिल्ली : लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच बृहस्पतिवार को अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021 पेश किया गया, जिसमें राष्ट्र की सुरक्षा एवं जन जीवन और सम्पत्ति को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से अनिवार्य रक्षा सेवाएं बनाये रखने का उपबंध किया गया है. लोकसभा में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021 पेश किया. यह विधेयक संबंधित अनिवार्य रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021 का स्थान लेगा.
रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021 को पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि इसमें कर्मचारियों की हड़ताल रोकने का प्रावधान है, जो संविधान में मिला मौलिक अधिकार है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक कामगार वर्ग के लोकतांत्रिक अधिकारों को समाप्त करने वाला है और सदन में व्यवस्था नहीं होने पर इस विधेयक को पेश नहीं कराया जाना चाहिए.
इस पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि ये आरोप तथ्यविहीन हैं. कहीं से भी सरकार का इरादा किसी को परेशान करने का नहीं है. उन्होंने कहा कि सभी कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा गया है और उनके अधिकारों की सुरक्षा की गई है.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि देश की रक्षा तैयारियों के लिये सशस्त्र बलों को आयुध मदों की निर्बाध आपूर्ति बनाये रखना और आयुध कारखानों का बिना किसी व्यवधान के कार्य जारी रखना अनिवार्य है. रक्षा से संबद्ध सभी संस्थानों में अनिवार्य रक्षा सेवाओं के अनुरक्षण को सुनिश्चित करने के लिये लोकहित में या भारत की सम्प्रभुता और अखंडता या किसी राज्य की सुरक्षा या शिष्टता या नैतिकता के हित में सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए.
इसमें कहा गया है कि चूंकि संसद सत्र नहीं चल रहा था और तुरंत विधान बनाने की जरूरत थी, ऐसे में राष्ट्रपति ने 30 जून 2021 को अनिवार्य रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021 प्रख्यापित किया था.
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