गया : हाथों में अंग्रेजी अखबार... जुबां पर फर्राटेदार अंग्रेजी और काम कुली का. चौंकिए नहीं, ये हैं गया के शिवदास गुप्ता (Shivdas Gupta). उम्र 60 साल. पेशे से कुली. ढलती उम्र के साथ भले ही शरीर कमजोर हो गई है, लेकिन मनोबल आज भी दृढ़ हैं. शिवदास गुप्ता कहते हैं कि काम तो वे कुली का करते हैं लेकिन वे मानव सेवा में विश्वास रखते हैं.
शिवदास का कहना है कि प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती है. जब ललक कुछ सीखने की हो और हौसला बुलंद हो तब इंसान हर वो चीज हासिल कर सकता है, जिसे वह चाहता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बिहार के गया जंक्शन पर कुली का काम करने वाले 60 साल के शिव गुप्ता ने. शिवगुप्ता हैं तो आम कुली ही लेकिन इनका कुछ अलग ही खासियत है. जहां आम कुलियों को हिंदी भी ठीक से समझ नहीं आती है, वहीं, शिवगुप्ता फर्राटेदार से अंग्रेजी बोलते हैं.
शिवगुप्ता पिछले 40 सालों से गया जंक्शन पर कुली का काम करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे पहले बच्चों को पढ़ाया करते थे. इसी क्रम में वो खुद भी अंग्रेजी सीखते गए. शिवगुप्ता जी न केवल अंग्रेजी बोलते हैं, बल्कि इंसानियत और कर्तव्य का भी उन्हें अच्छे से मर्म है. क्या शुरुआत और क्या अंजाम. उन्होंने बताया कि किसी भी चीज को सीखने की चाहत इंसान के सोच से उत्पन्न होती है.
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जाहिर है जहां आम कुलियों को ठीक से हिंदी की भी समझ नहीं हो और शिवदास जी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हों. इस स्थिति में गया जैसे ऐतिहासिक स्टेशन पर उनके साथ अन्य 121 कुलियों को भी खूब लाभ मिलता है. जब भी कोई विदेशी बाबू यहां पहुंचते हैं और जो हिंदी नहीं समझते हैं, उनके लिए शिवदास गुप्ता मददगार बनते हैं. उनके सामानों को पहुंचाने के साथ ही उनकी सहूलियत के हिसाब से गाइड करना शिवदास गुप्ता अपना धर्म समझते हैं.
शिवदास गुप्ता ने बताया कि उनकी कोशिश होती है कि जिनके लिए वे काम कर रहे हैं..वे खुश रहें. न दाम-साट न मोल-जोल. गुप्ताजी के व्यवहार के कारण उन्हें लोग खूब पसंद करते हैं. उन्होंने बताया कि इसी वजह के कारण बिना मांगे उन्हें अक्सर लोग तोहफे दे जाते हैं.
गया जंक्शन पर ही काम कर रहे कुली अशोक पासवान सहित अन्य लोग शिवदास गुप्ता को बाबा कहते हैं. उन्होंने बताया कि बाबा के रहने से उन्हें काफी मदद मिलती है. जब हमें कुछ समझ नहीं आता है तो हम भागे-भागे शिवदास बाबा के पास जाते हैं.