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संसद ने ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक को मंजूरी दी, सरकार ने बताया भविष्योन्मुखी

संसद ने ‘ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022’ को मंजूरी प्रदान कर दी. सरकार ने इस विधेयक को भविष्योन्मुखी बताया है. राज्यसभा में चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया.

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Published : Dec 12, 2022, 6:35 PM IST

नई दिल्ली : संसद ने सोमवार को ‘ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022’ को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें कम से कम 100 किलोवाट के विद्युत कनेक्शन वाली इमारतों के लिए नवीकरणीय स्रोत से ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का प्रावधान किया गया है. सरकार ने इस विधेयक को भविष्योन्मुखी करार दिया है. राज्यसभा ने इस विधेयक को चर्चा के बाद आज ध्वनिमत से पारित कर दिया. सदन ने विधेयक के संबंध में विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया. लोकसभा इसे अगस्त माह में ही पारित कर चुकी है.

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह ने कहा कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर पूरे देश को गर्व होना चाहिए क्योंकि अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने में राष्ट्र ने जो कुछ हासिल किया है, वैसा बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और विकसित देश नहीं कर पाए हैं. विधेयक को भविष्योन्मुखी करार देते हुए सिंह ने कहा, 'जो विकसित देश पहले हमें (पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कटौती को लेकर) भाषण देते थे, आज जब वे हमारा काम देखते हैं तो वे रक्षात्मक मुद्रा में आ जाते हैं.'

सिंह ने कहा कि पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप 21) में भारत ने तय किया था कि 2030 तक बिजली उत्पादन क्षमता का 40 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा जैसे गैर-जीवाश्म ईंधन वाले स्रोतों से पूरा किया जाएगा और इस लक्ष्य को देश ने नवंबर 2021 में ही प्राप्त कर लिया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है और ऐसे में हर देश को यह समझ में आ गया है कि उन्हें इस दिशा में कदम उठाना होगा. उन्होंने कहा कि भारत के मॉडल और पद्धति को देखने के लिए आज कई देश यहां आ रहे हैं.

इससे पहले विधेयक पर चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने यह आशंका जतायी थी कि इस विधेयक के माध्यम से राज्यों के अधिकारों में कटौती हो रही है. उनकी इस आशंका को निराधार ठहराते हुए मंत्री सिंह ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें केंद्र और राज्य सरकार साथ मिलकर एक इकाई के रूप में काम कर रहे हैं और इसमें किसी के अधिकार छीनने का प्रश्न ही नहीं उठता है. उन्होंने कहा कि कार्बन क्रेडिट कारोबार में जो कंपनियां या उद्योग अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करेंगे उन्हें रेटिंग दी जाएगी. किंतु जो लोग अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएंगे उनके सामने दो विकल्प होंगे. ऐसे उद्योगों को लक्ष्य पूरा नहीं करने पर या तो दंड देना पड़ेगा या वे लक्ष्य से अधिक उत्सर्जन करने वालों से रेटिंग खरीद सकते हैं.

इस विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि इसमें ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया, बायोमास और इथेनॉल सहित गैर-जीवाश्म स्रोतों के उपयोग का प्रस्ताव किया गया है. इसमें कहा गया है कि बड़ी आवासीय इमारतें 24 प्रतिशत बिजली का उपभोग करती हैं और इस विधेयक में ऐसी इमारतों को अधिक ऊर्जा सक्षम एवं वहनीय बनाने के प्रावधान किए गए हैं.

ये भी पढ़ें - अर्थव्यवस्था बढ़ रही है तो उस पर जलन नहीं, गर्व करना चाहिए : वित्त मंत्री

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : संसद ने सोमवार को ‘ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022’ को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें कम से कम 100 किलोवाट के विद्युत कनेक्शन वाली इमारतों के लिए नवीकरणीय स्रोत से ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का प्रावधान किया गया है. सरकार ने इस विधेयक को भविष्योन्मुखी करार दिया है. राज्यसभा ने इस विधेयक को चर्चा के बाद आज ध्वनिमत से पारित कर दिया. सदन ने विधेयक के संबंध में विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया. लोकसभा इसे अगस्त माह में ही पारित कर चुकी है.

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह ने कहा कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर पूरे देश को गर्व होना चाहिए क्योंकि अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने में राष्ट्र ने जो कुछ हासिल किया है, वैसा बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और विकसित देश नहीं कर पाए हैं. विधेयक को भविष्योन्मुखी करार देते हुए सिंह ने कहा, 'जो विकसित देश पहले हमें (पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कटौती को लेकर) भाषण देते थे, आज जब वे हमारा काम देखते हैं तो वे रक्षात्मक मुद्रा में आ जाते हैं.'

सिंह ने कहा कि पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप 21) में भारत ने तय किया था कि 2030 तक बिजली उत्पादन क्षमता का 40 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा जैसे गैर-जीवाश्म ईंधन वाले स्रोतों से पूरा किया जाएगा और इस लक्ष्य को देश ने नवंबर 2021 में ही प्राप्त कर लिया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है और ऐसे में हर देश को यह समझ में आ गया है कि उन्हें इस दिशा में कदम उठाना होगा. उन्होंने कहा कि भारत के मॉडल और पद्धति को देखने के लिए आज कई देश यहां आ रहे हैं.

इससे पहले विधेयक पर चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने यह आशंका जतायी थी कि इस विधेयक के माध्यम से राज्यों के अधिकारों में कटौती हो रही है. उनकी इस आशंका को निराधार ठहराते हुए मंत्री सिंह ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें केंद्र और राज्य सरकार साथ मिलकर एक इकाई के रूप में काम कर रहे हैं और इसमें किसी के अधिकार छीनने का प्रश्न ही नहीं उठता है. उन्होंने कहा कि कार्बन क्रेडिट कारोबार में जो कंपनियां या उद्योग अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करेंगे उन्हें रेटिंग दी जाएगी. किंतु जो लोग अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएंगे उनके सामने दो विकल्प होंगे. ऐसे उद्योगों को लक्ष्य पूरा नहीं करने पर या तो दंड देना पड़ेगा या वे लक्ष्य से अधिक उत्सर्जन करने वालों से रेटिंग खरीद सकते हैं.

इस विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि इसमें ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया, बायोमास और इथेनॉल सहित गैर-जीवाश्म स्रोतों के उपयोग का प्रस्ताव किया गया है. इसमें कहा गया है कि बड़ी आवासीय इमारतें 24 प्रतिशत बिजली का उपभोग करती हैं और इस विधेयक में ऐसी इमारतों को अधिक ऊर्जा सक्षम एवं वहनीय बनाने के प्रावधान किए गए हैं.

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(पीटीआई-भाषा)

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