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बैटरी और ईंधन खत्म, भारत के मंगलयान की चुपचाप हुई विदाई - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सूत्रों ने कहा, अब, कोई ईंधन नहीं बचा है. उपग्रह की बैटरी खत्म हो गई है. संपर्क खत्म हो गया है. हालांकि, इसरो की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

भारत के मंगलयान की चुपचाप हुई विदाई
भारत के मंगलयान की चुपचाप हुई विदाई
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Published : Oct 3, 2022, 6:22 AM IST

बेंगलुरु: भारत के मंगलयान में प्रणोदक खत्म हो गया है और इसकी बैटरी एक सुरक्षित सीमा से अधिक समय तक चलने के बाद खत्म हो गई है, जिससे ये अटकलें तेज हो गई हैं कि देश के पहले अंतर्ग्रहीय मिशन ने आखिरकार अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है. साढ़े चार सौ करोड़ रुपये की लागत वाला 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' (एमओएम) पांच नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी25 से प्रक्षेपित किया गया था और वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष यान को पहले ही प्रयास में 24 सितंबर, 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सूत्रों ने कहा, अब, कोई ईंधन नहीं बचा है. उपग्रह की बैटरी खत्म हो गई है. संपर्क खत्म हो गया है. हालांकि, इसरो की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इसरो पहले एक आसन्न ग्रहण से बचने के लिए यान को एक नयी कक्षा में ले जाने का प्रयास कर रहा था. अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, लेकिन हाल ही में एक के बाद एक ग्रहण लगा, जिनमें से एक ग्रहण तो साढ़े सात घंटे तक चला.

वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा, चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था, इसलिए एक लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग समाप्त हो गई. इसरो के अधिकारियों ने कहा कि मार्स ऑर्बिटर यान ने लगभग आठ वर्षों तक काम किया, जबकि इसे छह महीने की क्षमता के अनुरूप बनाया गया था.

पढ़ें: छह महीने के मिशन पर गया मंगलयान सात साल बाद भी सक्रिय

उन्होंने कहा, इसने अपना काम (बखूबी) किया और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परिणाम प्राप्त किए.

पीटीआई-भाषा

बेंगलुरु: भारत के मंगलयान में प्रणोदक खत्म हो गया है और इसकी बैटरी एक सुरक्षित सीमा से अधिक समय तक चलने के बाद खत्म हो गई है, जिससे ये अटकलें तेज हो गई हैं कि देश के पहले अंतर्ग्रहीय मिशन ने आखिरकार अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है. साढ़े चार सौ करोड़ रुपये की लागत वाला 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' (एमओएम) पांच नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी25 से प्रक्षेपित किया गया था और वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष यान को पहले ही प्रयास में 24 सितंबर, 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सूत्रों ने कहा, अब, कोई ईंधन नहीं बचा है. उपग्रह की बैटरी खत्म हो गई है. संपर्क खत्म हो गया है. हालांकि, इसरो की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इसरो पहले एक आसन्न ग्रहण से बचने के लिए यान को एक नयी कक्षा में ले जाने का प्रयास कर रहा था. अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, लेकिन हाल ही में एक के बाद एक ग्रहण लगा, जिनमें से एक ग्रहण तो साढ़े सात घंटे तक चला.

वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा, चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था, इसलिए एक लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग समाप्त हो गई. इसरो के अधिकारियों ने कहा कि मार्स ऑर्बिटर यान ने लगभग आठ वर्षों तक काम किया, जबकि इसे छह महीने की क्षमता के अनुरूप बनाया गया था.

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उन्होंने कहा, इसने अपना काम (बखूबी) किया और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परिणाम प्राप्त किए.

पीटीआई-भाषा

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