नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि वह एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा (Gautam Navalkha) के घर में नजरबंद रखने के अनुरोध पर विचार कर रहा है. शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को इस बारे में निर्देश मांगने को कहा और नवलखा को कुछ दिनों के लिए नजरबंद रखने के दौरान उन पर लगाये जा सकने वाले प्रतिबंधों के बारे में अवगत कराने को भी कहा.
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ (Justice KM Joseph) और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय (Justice Hrishikesh Roy) की पीठ ने कहा कि वह एएसजी की दलीलें सुनने के बाद गुरुवार को आदेश पारित करेगी. पीठ ने कहा, 'वह 70 वर्षीय व्यक्ति हैं. हम नहीं जानते कि वह कब तक जीवित रहेंगे. निश्चित रूप से, वह अपरिहार्य (मौत) की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि हम उन्हें जमानत पर रिहा करने जा रहे हैं. हम सहमत हैं कि एक विकल्प के रूप में घर में नजरबंद करने के निर्णय पर सावधानी से अमल किया जाना चाहिए.'
नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि उनके जेल में उपचार की कोई संभावना नहीं है. सिब्बल ने कहा, 'दुनिया में कोई रास्ता नहीं है कि आप जेल में इस तरह का इलाज/निगरानी कर सकें. उनका वजन काफी कम हो गया है. जेल में इस तरह का इलाज संभव नहीं है.' एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू (ASG SV Raju) ने कहा, 'हम (नवलखा को) गद्दा और खाट सब कुछ मुहैया कराएंगे. हम उन्हें घर का खाना भी लाने देंगे.'
शीर्ष अदालत ने 29 सितंबर को तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत उपचार के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था. इसने कहा था कि उपचार प्राप्त करना एक कैदी का मौलिक अधिकार है. नवलखा ने मुंबई के पास तलोजा जेल में पर्याप्त चिकित्सा और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी की आशंकाओं के मद्देनजर नजरबंदी का अनुरोध बंबई उच्च न्यायालय से किया था, लेकिन इसने 26 अप्रैल को यह अनुरोध ठुकरा दिया था. इसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
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(पीटीआई-भाषा)