मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद मामले के एक आरोपी कवि-कार्यकर्ता वरवर राव द्वारा दायर जमानत विस्तार याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को 13 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि उन्हें 14 अक्टूबर तक तलोजा जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने की जरूरत नहीं है.
अदालत ने राव (82) को इस साल 22 फरवरी को चिकित्सा आधार पर छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दी थी तथा आत्मसमर्पण करने और न्यायिक हिरासत में लौटने के लिए पांच सितंबर की तारीख तय की थी. हालांकि, राव ने अपने वकीलों आर सत्यनारायणन और वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर के माध्यम से जमानत की अवधि बढ़ाए जाने तथा जमानत के दौरान अपने गृहनगर हैदराबाद में रहने की अनुमति देने का अनुरोध किया था.
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जमादार की पीठ ने शुक्रवार को समय की कमी के कारण उनकी याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी तथा कहा कि राव को 14 अक्टूबर तक आत्मसमर्पण करने की जरूरत नहीं है. इससे पहले राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने कहा कि वह उस तारीख तक अपने अंतरिम बयान को बढ़ाने के लिए तैयार है कि राव के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
NIA ने इस महीने की शुरुआत में दायर एक हलफनामे में राव की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि 82 वर्षीय राव की मेडिकल रिपोर्ट यह संकेत नहीं देती है कि वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं जिसके कारण उनका हैदराबाद में इलाज आवश्यक हो गया.
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राव ने अपनी याचिका में अनुरोध किया है कि उनकी मेडिकल जमानत की अवधि छह महीने और बढ़ा दी जाए और जमानत के दौरान उन्हें हैदराबाद में रहने देने की अनुमति दी जाए. उन्होंने याचिका में कहा कि वह मुंबई में रह रहे हैं और शहर में स्वास्थ्य सुविधाएं काफी महंगी हैं.
(पीटीआई-भाषा)