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Elgar Parishad Case : एल्गार परिषद मामले में नवलखा की आवास बदलने की अपील पर चार सप्ताह में NIA से जवाब तलब

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में नजरबंद गौतम नवलखा के आवास बदलने की अपील पर एनआईए से जवाब मांगा है. बता दें कि कोर्ट ने उनके स्वास्थ्य को देखते हुए नजरबंद करने का आदेश दिया था.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2023, 5:24 PM IST

नई दिल्ली : एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में मुंबई के एक सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद कार्यकर्ता गौतम नवलखा की स्थान बदलने के अनुरोध वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. नवलखा के वकील ने न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति जे बी पर्दीवाला की एक पीठ को बताया कि उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल में एनआईए को जवाब दाखिल करने के लिए कहा था लेकिन वह अभी तक जवाब नहीं दे पाई है.

उच्चतम न्यायालय ने 10 नवंबर, 2022 को नवलखा के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें नजरबंद करने का आदेश दिया था. इससे पहले वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे. एनआईए की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने नजरबंद किए जाने संबंधी आदेश का विरोध किया था.

न्यायालय ने नजरबंदी का आदेश देते हुए कार्यकर्ता को शुरुआत में राज्य द्वारा खर्च किए जाने के लिए 2.4 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था. यह राशि उन्हें समुचित स्थान पर नजरबंद करने और वहां पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने पर खर्च की जानी थी. मामले में पिछली सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने नवलखा को, उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों पर खर्च करने के वास्ते और आठ लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था.

यह मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषण दिए जाने से संबंधित है. पुलिस का आरोप है कि भाषणों के कारण अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी.

ये भी पढ़ें - Supreme Court News : 'वॉइड' या 'वॉइडेबल' विवाहों से हुए बच्चे वैध, माता-पिता की संपत्तियों पर कर सकते हैं दावा: SC

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में मुंबई के एक सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद कार्यकर्ता गौतम नवलखा की स्थान बदलने के अनुरोध वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. नवलखा के वकील ने न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति जे बी पर्दीवाला की एक पीठ को बताया कि उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल में एनआईए को जवाब दाखिल करने के लिए कहा था लेकिन वह अभी तक जवाब नहीं दे पाई है.

उच्चतम न्यायालय ने 10 नवंबर, 2022 को नवलखा के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें नजरबंद करने का आदेश दिया था. इससे पहले वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे. एनआईए की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने नजरबंद किए जाने संबंधी आदेश का विरोध किया था.

न्यायालय ने नजरबंदी का आदेश देते हुए कार्यकर्ता को शुरुआत में राज्य द्वारा खर्च किए जाने के लिए 2.4 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था. यह राशि उन्हें समुचित स्थान पर नजरबंद करने और वहां पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने पर खर्च की जानी थी. मामले में पिछली सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने नवलखा को, उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों पर खर्च करने के वास्ते और आठ लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था.

यह मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषण दिए जाने से संबंधित है. पुलिस का आरोप है कि भाषणों के कारण अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी.

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(पीटीआई-भाषा)

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