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एल्गार परिषद मामला: हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा को जमानत दी, आदेश पर तीन सप्ताह तक रोक

एल्गार परिषद माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को बंबई उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है. लेकिन एनआईए के अनुरोध वाली याचिका पर कोर्ट ने तीन सप्ताह तक आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी है. Elgar Parishad case,Gautam Navlakha, Bombay High Court

Gautam Navlakha
गौतम नवलखा
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By PTI

Published : Dec 19, 2023, 4:28 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को मंगलवार को जमानत दे दी. न्यायमूर्ति ए एस गडकरी के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने कहा कि जमानत का आग्रह करने वाली नवलखा की याचिका को स्वीकार किया जाता है. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने अदालत से छह सप्ताह की अवधि के लिए आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का आग्रह किया, ताकि वह उच्चतम न्यायालय में अपील दायर कर सके. इस पर पीठ ने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी. अगस्त 2018 में गिरफ्तार किए गए नवलखा को पिछले साल नवंबर में उच्चतम न्यायालय ने घर में नजरबंद करने की अनुमति दी थी. वह फिलहाल नवी मुंबई में हैं.

  • Bombay High Court grants bail to Gautam Navlakha in the 2018 violence case related to Elgaar Parishad and Bhima Koregaon Pune. The order is stayed for 3 weeks so that if NIA wants to appeal in the Supreme Court.

    — ANI (@ANI) December 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उच्च न्यायालय ने नवलखा को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी. वह इस मामले में जमानत पाने वाला सातवें आरोपी हैं. इस साल अप्रैल में, एक विशेष अदालत ने नवलखा को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसे सबूत हैं कि कार्यकर्ता प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे. उच्च न्यायालय में दायर अपनी अपील में नवलखा ने कहा कि विशेष अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार करके गलती की है. नियमित जमानत के लिए उच्च न्यायालय में नवलखा की यह दूसरे दौर की अपील है.

पिछले साल सितंबर में विशेष एनआईए अदालत द्वारा नियमित जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद नवलखा ने पूर्व में उच्च न्यायालय का रुख किया था. एनआईए ने तब नवलखा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि उनकी भर्ती के लिए उन्हें पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के जनरल से मिलवाया गया था, जो संगठन के साथ उनकी सांठगांठ को दर्शाता है. उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि जमानत आवेदन पर विशेष अदालत द्वारा नए सिरे से सुनवाई की आवश्यकता है, और मामले को वापस संबंधित अदालत में भेज दिया था.

इसने विशेष न्यायाधीश को चार सप्ताह के भीतर सुनवाई समाप्त करने का भी निर्देश दिया था. तदनुसार, नवलखा ने नियमित जमानत के लिए अपने मामले की दोबारा सुनवाई के लिए विशेष अदालत का रुख किया था. विशेष अदालत ने फिर उन्हीं दलीलों पर याचिका पर दोबारा सुनवाई की और वर्तमान अपील को देखते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी. यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है.

पुलिस का दावा है कि इसकी वजह से अगले दिन पश्चिमी महाराष्ट्र शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी. इस मामले में 16 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से आनंद तेलतुंबडे, वकील सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंसाल्वेस, अरुण फेरिरा और महेश राउत नियमित जमानत पर बाहर हैं, जबकि कवि वरवरा राव को स्वास्थ्य आधार पर जमानत मिली. नवलखा इस मामले में जमानत पाने वाले सातवें आरोपी हैं.

ये भी पढ़ें - Elgar Parishad Case : एल्गार परिषद मामले में नवलखा की आवास बदलने की अपील पर चार सप्ताह में NIA से जवाब तलब

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को मंगलवार को जमानत दे दी. न्यायमूर्ति ए एस गडकरी के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने कहा कि जमानत का आग्रह करने वाली नवलखा की याचिका को स्वीकार किया जाता है. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने अदालत से छह सप्ताह की अवधि के लिए आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का आग्रह किया, ताकि वह उच्चतम न्यायालय में अपील दायर कर सके. इस पर पीठ ने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी. अगस्त 2018 में गिरफ्तार किए गए नवलखा को पिछले साल नवंबर में उच्चतम न्यायालय ने घर में नजरबंद करने की अनुमति दी थी. वह फिलहाल नवी मुंबई में हैं.

  • Bombay High Court grants bail to Gautam Navlakha in the 2018 violence case related to Elgaar Parishad and Bhima Koregaon Pune. The order is stayed for 3 weeks so that if NIA wants to appeal in the Supreme Court.

    — ANI (@ANI) December 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उच्च न्यायालय ने नवलखा को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी. वह इस मामले में जमानत पाने वाला सातवें आरोपी हैं. इस साल अप्रैल में, एक विशेष अदालत ने नवलखा को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसे सबूत हैं कि कार्यकर्ता प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे. उच्च न्यायालय में दायर अपनी अपील में नवलखा ने कहा कि विशेष अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार करके गलती की है. नियमित जमानत के लिए उच्च न्यायालय में नवलखा की यह दूसरे दौर की अपील है.

पिछले साल सितंबर में विशेष एनआईए अदालत द्वारा नियमित जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद नवलखा ने पूर्व में उच्च न्यायालय का रुख किया था. एनआईए ने तब नवलखा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि उनकी भर्ती के लिए उन्हें पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के जनरल से मिलवाया गया था, जो संगठन के साथ उनकी सांठगांठ को दर्शाता है. उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि जमानत आवेदन पर विशेष अदालत द्वारा नए सिरे से सुनवाई की आवश्यकता है, और मामले को वापस संबंधित अदालत में भेज दिया था.

इसने विशेष न्यायाधीश को चार सप्ताह के भीतर सुनवाई समाप्त करने का भी निर्देश दिया था. तदनुसार, नवलखा ने नियमित जमानत के लिए अपने मामले की दोबारा सुनवाई के लिए विशेष अदालत का रुख किया था. विशेष अदालत ने फिर उन्हीं दलीलों पर याचिका पर दोबारा सुनवाई की और वर्तमान अपील को देखते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी. यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है.

पुलिस का दावा है कि इसकी वजह से अगले दिन पश्चिमी महाराष्ट्र शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी. इस मामले में 16 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से आनंद तेलतुंबडे, वकील सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंसाल्वेस, अरुण फेरिरा और महेश राउत नियमित जमानत पर बाहर हैं, जबकि कवि वरवरा राव को स्वास्थ्य आधार पर जमानत मिली. नवलखा इस मामले में जमानत पाने वाले सातवें आरोपी हैं.

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