नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court-SC) ने सोमवार को कहा कि निर्वाचित उम्मीदवार की केवल उस अर्जी पर शुरुआती दौर में किसी चुनावी याचिका को खारिज नहीं किया जा सकता कि याचिका के समर्थन में चुनाव आचरण नियम, 1961 के तहत निर्धारित हलफनामा दाखिल नहीं किया गया है. जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें वर्ष 2019 में हासन लोकसभा क्षेत्र (Hasan Lok Sabha Seat) से प्राज्वल रेवन्ना की जीत के खिलाफ दायर एक चुनावी याचिका (election petition) को खारिज कर दिया गया था.
भाजपा उम्मीदवार ए. मंजू (BJP Candidate A Manju) ने रेवन्ना के निर्वाचन को इस आधार पर चुनौती दी थी कि उनके चुनावी हलफनामे में कथित तौर पर उनकी संपत्ति का खुलासा नहीं किया गया था.
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शीर्ष अदालत के समक्ष यह प्रश्न था कि क्या प्रतिवादी (निर्वाचित उम्मीदवार) की याचिका पर एक चुनाव याचिका को शुरुआती दौर में ही खारिज किया जा सकता है, क्योंकि याचिका फॉर्म-25 में एक हलफनामे द्वारा समर्थित नहीं है, जैसा कि चुनाव आचरण नियम,1961 के प्रावधान 94ए के तहत निर्धारित है. भले ही याचिका भ्रष्ट आचरण के आरोपों पर आधारित हो.
पीठ ने कहा कि हम उच्च न्यायालय के इस निष्कर्ष से सहमत नहीं हैं कि फॉर्म 25 जमा नहीं करने से चुनावी याचिका खारिज हो जाएगी.
(पीटीआई-भाषा)