मुंबई : शिवसेना ने बुधवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ममता बनर्जी के खिलाफ 'पक्षपातपूर्ण' रवैया अपना रहा है. पार्टी ने यह आरोप चनाव आयोग ने उस फैसले के बाद लगाया जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की कुछ टिप्पणियों को लेकर उन पर 24 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर रोक लगाई गई थी.
इसे भी पढ़ें : सामना में शिवसेना का तंज- चुनाव आयोग की झोलबाजी!
शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) जैसे संवैधानिक निकाय की राजनीतिक लाभ के लिए अवहेलना नहीं की जानी चाहिए. पश्चिम बंगाल में 8 चरण में विधानसभा चुनाव होने हैं जिनमें से 4 चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है.
संपादकीय में कहा गया है कि 'निर्वाचन आयोग ममता बनर्जी के साथ पक्षपात कर रहा है. आयोग से हमारा हाथ जोड़कर आग्रह है कि वह सिर्फ भाजपा की नहीं, बल्कि सबकी सुने.
संपादकीय में दावा किया गया है कि हर किसी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान मर्यादा लांघी है लेकिन केवल ममता बनर्जी को इसकी सजा दी जा रही है. इसमें कहा गया, 'निर्वाचन आयोग ने कानून के समक्ष सबको बराबर बताने वाले मिथक को तोड़ दिया है. ऐसा लगता है कि आयाेग भूल चुका है कि पश्चिम बंगाल क्रांतिकारियों और बागियों की भूमि है.'
संपादकीय में कहा गया कि ममता बनर्जी की अकेले की लड़ाई को इतिहास में याद किया जाएगा भले ही चुनाव का परिणाम कुछ भी हो. अखबार ने कहा कि चुनाव आयोग बनर्जी द्वारा आदर्श आचार संहिता को 'मोदी आचार संहिता' बताने से खफा मालूम होता है. पार्टी ने कहा, 'लेकिन, पश्चिम बंगाल में जमीनी हकीकत चिंताजनक है क्योंकि केंद्र द्वारा तैनात सीआरपीएफ जवानों ने हिंसा को नियंत्रित करने की बजाय भीड़ पर गोली चला दी.' शिवसेना ने कहा कि केंद्र को इस हिंसा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
ये भी पढ़ें: डरा रही हैं अहमदाबाद के कोविड अस्पताल के बाहर एंबुलेंस की कतारें