कोलकाता: साल 2021 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव आयोग ने इसके लिए सभी तैयारियां कर ली हैं. वहीं, पांच राज्यों में भी सियासी गर्मियां भी बढ़ रही हैं. बात पश्चिम बंगाल की करें तो पूरे देश की निगाहें इस राज्य के विधानसभा चुनाव पर लगी हैं. पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला होगा. इसको लेकर दोनों पार्टियों ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिए हैं.
बता दें, इससे पहले 2016 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए थे. ठीक 5 साल बाद फिर एक बार चुनावी घमासान मचा है. 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कम से कम आर्थिक और औद्योगिक विकास, कानून-व्यवस्था की स्थिति और राज्य के समग्र विकास जैसे मुद्दे हावी थे. वहीं, इस साल नेताओं के बदलते पालों के बीच यह मुद्दे कहीं गायब से हो गए हैं. कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि राजनीति में ग्लैमर की दुनिया से लोगों का आना मतदाताओं को फंसाने की स्थिति पैदा कर रहा है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 पर प्रसिद्ध राजनीतिक वैज्ञानिक और पूर्ववर्ती प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. अमोल कुमार मुखोपाध्याय ने कहा कि वर्तमान स्थिति केवल राजनीतिक गरीबी और विचार प्रक्रिया में अकाल की स्थिति पैदा कर रहा है. कोई भी सार्थक राजनीतिक बहस में नहीं कूदा. उन्होंने कहा कि इन चुनावों में कोई भी राजनीतिक दल विकास की बात नहीं कर रहा है. हर कोई सिर्फ खेल होने की बात दोहरा रहा है. डॉ. अमोल कुमार मुखोपाध्याय ने कहा कि राजनीतिक दलों की रैली में सिर्फ झूठ का बोलबाला है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 पर डॉ. मुखोपाध्याय ने कहा कि इन चुनावों में कई राजनेताओं ने पाले बदले हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ दिनेश त्रिवेदी, राजीब बंदोपाध्याय और प्रबीर घोषाल जैसे नेताओं ने अंतरआत्मा की आवाज सुनकर तृणमूल कांग्रेस को छोड़ने का फैसला लिया. पूर्ववर्ती प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य ने कहा कि वहीं, कुछ नेताओं ने सिर्फ सजा से बचने के लिए अपने पाले बदले. उन्होंने कहा कि वास्तव में यह सिर्फ प्रफुल्लित और हास्यास्पद वाला विषय है. डॉ. मुखोपाध्याय ने कहा कि ऐसे नेता बंगाल और बंगालियों की राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी करा रहे हैं.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. मुखोपाध्याय ने कहा कि राज्य की वर्तमान राजनीति में सिर्फ ग्लैमर ही दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि इसमें कुछ अपवाद भी है. डॉ. मुखोपाध्याय ने कहा कि हाल ही में ग्लैमर की दुनिया से राजनीति में कदम रखने वालों में से सिर्फ भाजपा की लोकसभा सांसद लॉकेट चटर्जी को छोड़कर किसी ने अपने कार्य को गंभीरता से नहीं लिया. उनके लिए यह एक चुनौतीपूर्ण काम होगा.
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ऐसी ही कुछ राय अर्थशास्त्र के पूर्व शिक्षक और शिक्षाविद प्रोबीर कुमार मुखोपाध्याय ने व्यक्त की. उन्होंने कहा कि राज्य की सीएम ममता बनर्जी भी सार्वजनिक मंच से खेल होबे की बात कह रही हैं. उन्होंने कहा कि राज्य की सबसे पुरानी पार्टी वाम दल ने अभी तक ऐसे बयानों से दूरी बना रखी है. उन्होंने सीपीआई पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. शिक्षाविद प्रोबीर कुमार मुखोपाध्याय ने कहा कि कुछ दिन पहले ही कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी और उनकी मित्र बैशाखी बंदोपाध्याय को बीजेपी के राजनीतिक रोड शो में देखा गया था, लेकिन जब उन्हें बेहला (पूर्व) विधानसभा क्षेत्र से टिकट नहीं मिला तो उन लोगों ने फौरन बीजेपी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि यह सब राजनीतिक ड्रामा बनकर रह गया है.