कोलकाता : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नगर निकायों में भर्ती में अनियमितता मामले की जांच को लेकर शुक्रवार को सुबह पश्चिम बंगाल के अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा मंत्री सुजीत बोस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक तापस रॉय और उत्तरी दमदम नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष सुबोध चक्रवर्ती के आवासों पर छापे मारे. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि ईडी के अधिकारियों ने केंद्रीय बलों के साथ शुक्रवार को सुबह उत्तर 24 परगना जिले के लेक टाउन इलाके में बोस के दो आवासों पर छापे मारे है.
टीएमसी के तीन नेताओं के आवासों पर तलाश अभियान जारी : अधिकारी के अनुसार, केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने तापस रॉय के ‘बीबी गांगुली स्ट्रीट’ स्थित आवास और चक्रवर्ती के बिराती स्थित आवास पर भी छापे मारे. अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि हम नगर निकायों में भर्तियों को लेकर टीएमसी के तीन नेताओं के आवासों पर तलाश अभियान चला रहे हैं. इस दौरान स्थानीय थानों के पुलिसकर्मी संबंधित स्थानों पर पहुंचे और पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी. सूत्र ने बताया कि ईडी के अधिकारियों को शुरुआत में बोस के आवास में प्रवेश के लिए प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और लगभग 40 मिनट बाद उन्हें अंदर जाने की अनुमित दी गई.
शुरुआत में तलाशी लेने से रोका गया : अधिकारी ने कहा कि हमारे पास तलाशी वारंट था और उसे दिखाने के बावजूद हमें शुरु में प्रवेश नहीं करने दिया. इस बार केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवान हेलमेट, स्वचालित बंदूक जैसे अतिरिक्त सुरक्षा उपकरण लिए हुए थे. एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि बीते सप्ताह संदेशखाली में छापेमारी के दौरान ईडी अधिकारियों पर हुए हमले को ध्यान में रखते हुए इस तरह की तैयारी की गई. ईडी के तीन अधिकारियों पर पांच जनवरी को टीएमसी नेता शाहजहां शेख के समर्थकों ने कथित तौर पर हमला कर दिया था और उनके वाहनों को नुकसान पहुंचाया था. अधिकारी राशन वितरण घोटाले की जांच के सिलसिले में उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली स्थित उनके आवास पर छापा मारने का प्रयास कर रहे थे.
भाजपा की प्रतिशोध की राजनीति और हताशापूर्ण चाल बताया : टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में नगर निकाय भर्ती में हुई अनियमितताओं में कथित संलिप्तता के लिए कई पार्टी नेताओं के घरों पर समन्वित तलाशी की निंदा की. पार्टी ने इसे लोकसभा चुनाव से पहले अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रतिशोध की राजनीति और हताशापूर्ण चाल बताया. वरिष्ठ टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि यह विभिन्न ज्वलंत मुद्दों से जनता और मीडिया का ध्यान भटकाने का एक प्रयास है. ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा बढ़ते जन असंतोष को महसूस कर रही है और अपनी असफलता को छिपाने के लिए हर संभव तरीके का उपयोग कर रहे हैं. यह प्रतिशोध की राजनीति का स्पष्ट उदाहरण है.
विपक्षी दलों के नेताओं को किया जा रहा परेशान : टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री शशि पांजा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दलों के नेताओं को परेशान करने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है. भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के नेताओं ने टीएमसी के आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया. भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि जब भी ईडी या सीबीआई टीएमसी नेताओं के यहां छापा मारती है तो वे इस तरह की बातें करते हैं और इसे राजनीति से प्रेरित होने का आरोप लगाते हैं. वास्तविकता यह है कि टीएमसी भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और उनका लगभग हर नेता भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहा है.
'खेला होबे' की हो गई शुरुआत : भाजपा सांसद दिलीप घोष ने भी राज्य के मंत्री और टीएमसी नेताओं के घरों पर ईडी की छापेमारी को लेकर बयान दिया और कहा कि यह 'खेला होबे' की सिर्फ शुरुआत है. घोष ने कहा कि हम 'खेला होबे' (खेल चालू है) के बारे में सुन रहे हैं. असली 'खेला होबे' अब शुरू हुआ है. जो लोग यह खेल रहे हैं उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. केंद्रीय एजेंसियों ने हाल में नगर निकायों में भर्ती को लेकर खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रथिन घोष और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम के आवास सहित विभिन्न स्थानों पर तलाशी ली थी.