छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) : प्रधानमंत्री आवास योजना घोटाला (Pradhan Mantri Awas Yojana scam) मामले का दायरा बढ़ने के बाद अब ईडी ने शहर में सीधे छापेमारी की है. छत्रपति संभाजीनगर शहर में तीन जगहों पर छापेमारी से हड़कंप मच गया है (ED raids in Chhatrapati Sambhaji Nagar). ईडी प्रधानमंत्री आवास योजना घोटाले की जांच कर रही है. इससे पहले छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम की ओर से पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है.
पुलिस ने तीन कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है. जैसे-जैसे मामले का दायरा बढ़ रहा था, ऐसे संकेत मिल रहे थे कि ईडी जांच करेगी. औरंगाबाद नगर निगम ने ई-टेंडर दाखिल करने वाले व्यवसायियों के खिलाफ सिटी चौक पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और कहा है कि उन्होंने नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया है और धोखाधड़ी की है.
नगर निगम की उपायुक्त अपर्णा थेटे की शिकायत के अनुसार, समर्थ कंस्ट्रक्शन एंड जेवी, इंडो-ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज और जगुआर ग्लोबल सर्विसेज व संबंधित कंपनियों ने सिंगल कंप्यूटर के जरिए निविदाएं जमा करके नगर निगम की निविदा संहिता के नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया.
दरअसल, इन तीनों कंपनियों की वित्तीय स्थिति मजबूत नहीं होने के कारण नगर निगम की प्रधानमंत्री आवास योजना का प्रोजेक्ट रुका हुआ था. चार स्थानों पर प्रोजेक्ट के चार टेंडर नगर निगम के पास आ चुके हैं. इनमें से एक कंपनी बंद थी. जबकि आरोप है कि अन्य तीन कंपनियों ने टेंडर भरते समय ठगी की थी.
क्या है मामला ? : शहर के तिसगांव पड़ेगांव हरसूल सुंदरवाड़ी में भव्य परियोजना के लिए 86 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराई गई है. नगर निगम की योजना के तहत 39 हजार 730 आवासों का निर्माण किया जाना है. उसके लिए सिर्फ 7 हजार घरों के लिए टेंडर लेकर प्रोजेक्ट लागू किया गया. प्रोजेक्ट के तहत लाभार्थियों की संख्या बढ़ाकर 40 हजार करने के लिए और घरों की योजना बनाई गई थी लेकिन एक भी घर नहीं बना.
इससे कई लोगों के घर का सपना टूट गया. उन्होंने घरकुल योजना को लेकर आवास विभाग से कई बार शिकायत कर न्याय की मांग की थी. जांच समिति ने तब संदिग्ध मामले में वित्तीय लेनदेन की जांच के लिए एक उप-समिति का गठन किया था.
इस समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य सरकार ने परियोजना को तत्काल रद्द कर दिया. इसे गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है. चूंकि इस प्रोजेक्ट में 1000 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका है, इसलिए ईडी के माध्यम से जांच शुरू कर दी गई है.
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