मुंबई : महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के घटक दलों राकांपा और कांग्रेस ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किए जाने को प्रतिशोध की राजनीति से प्रेरित कदम बताया और कहा इस कार्रवाई का उद्देश्य महामारी से निपटने में मोदी सरकार की विफलता से लोगों का ध्यान हटाना है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भाजपा पर राज्य सरकार और राकांपा को बदनाम करने के प्रयास का आरोप लगाया.
दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले महीने सीबीआई द्वारा देशमुख के खिलाफ दर्ज की गई एक प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद उनके खिलाफ कथित घूसखोरी के मामले में धन शोधन रोधी कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.
महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री तथा राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने मंगलवार को कहा कि राकांपा के वरिष्ठ नेता देशमुख जांच में सहयोग करेंगे.
मलिक ने एक बयान में कहा, सिंह द्वारा आरोप लगाए जाने से लेकर ईडी द्वारा मामला दर्ज किए जाने तक, सब कुछ राजनीति से प्रेरित है और इसका उद्देश्य सत्ता का दुरुपयोग कर उन्हें (देशमुख) को बदनाम करना है. यह स्पष्ट है कि भाजपा सीबीआई, ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर राजनीति कर रही है.
शिवसेना नीत एमवीए सरकार में शामिल कांग्रेस ने प्रवर्तन निदेशालय के कदम को महामारी से निपटने में मोदी सरकार की 'विफलता' से लोगों को ध्यान हटाने का प्रयास बताया.
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने ट्वीट किया, यह कोरोना संकट से निपटने में मोदी सरकार की नाकामी पर पर्दा डालने तथा लोगों का ध्यान भटकाने का एक प्रयास और प्रतिशोध की राजनीति है.
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भाजपा नेता किरीट सौमेया ने ट्वीट किया, ईडी ने वाजे वसूली मामले में अनिल देश देशमुख और उनके सचिवों कुंदन तथा पलांडे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. यह देशमुख और उनके समूह द्वारा 100 करोड़ रुपये के धनशोधन, पार्किंग घोटाले से संबंधित है. अगला नंबर अनिल परब का है.
सौमेया का इशारा महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री तथा शिवसेना नेता अनिल परब की ओर था.
मुंबई पुलिस के निलंबित अधिकारी सचिन वाजे ने पिछले महीने दावा किया था कि परब ने उन्हें ठेकेदारों से पैसा वसूलने के लिए कहा था.
हालांकि, परब ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था.