नई दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आर्थिक नीतियों को लेकर अक्सर विपक्षी दलों के निशाने पर रही है. कई लोगों का तो यहां तक कहना है कि आर्थिक मामलों के जानकारों की राय को तवज्जो ही नहीं मिलती. मीडिया में प्रकाशित अटकलों के बीच जब कई हाई प्रोफाइल अधिकारियों और आर्थिक मामलों के जानकारों ने कार्यकाल पूरा होने के पहले ही मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया, तो यह जानना रोचक हो जाता है कि अर्थशास्त्रियों ने किन कारणों का हवाला देते हुए सरकार से किनारा किया. आइए कौन हैं ये अधिकारी...
के वी सुब्रमण्यम : भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. तीन साल के कार्यकाल के पूरा होने पर उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की थी. सरकार ने दिसंबर, 2018 में सीईए के रूप में आईएसबी हैदराबाद के प्रोफेसर सुब्रमण्यम को नियुक्त किया था. उन्होंने अरविंद सुब्रमण्यन का स्थान लिया था.
डॉ विरल आचार्य : 24 जून, 2019 को डॉ आचार्य ने अपना कार्यकाल समाप्त होने के छह महीने पहले आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के रूप में इस्तीफा दे दिया था.
पीसी मोहनन और डॉ जे वी मीनाक्षी : पी सी मोहनन ने आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के गैर-प्रकाशन के विरोध में फरवरी 2019 में सदस्य डॉ जे वी मीनाक्षी के साथ राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया था. इनका कार्यकाल जून 2020 में समाप्त होना था.
डॉ सुरजीत भल्ला : डॉ भल्ला ने दिसंबर 2018 में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद से इस्तीफा दे दिया था.
डॉ अरविंद पनगढ़िया : नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष डॉ पनगढ़िया ने 31 अगस्त, 2017 को इस्तीफा दे दिया था.
डॉ अरविंद सुब्रमण्यम : 20 जून, 2018 को सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ सुब्रमण्यम ने पारिवारिक प्रतिबद्धताओं के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका लौटने की इच्छा का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने मई 2019 में अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले पद छोड़ने का फैसला किया था.
उर्जित पटेल : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल ने सितंबर 2019 में अपना कार्यकाल पूरा होने से लगभग 10 महीने पहले व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने 5 सितंबर, 2016 को पदभार संभाला था. उनका कार्यकाल सबसे छोटा था.
रघुराम राजन : नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में दूसरा कार्यकाल मिलने की अटकलों के बीच रघुराम राजन ने भी जून, 2016 में कहा था कि वे अकादमिक कार्यों की तरफ लौटना पसंद करेंगे. उस समय 53 वर्ष के रहे राजन का बतौर आरबीआई गवर्नर दूसरा कार्यकाल स्वीकार न करना सुर्खियों में रहा था.