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Economic Survey 2023: डॉलर के मुकाबले और गिर सकता है रुपया, फिर भी देश में बढ़ सकता है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

संसद में मंगलवार को पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2023 में कहा गया है कि अभी डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर हो सकता है. इसका मुख्य कारण निर्यात में स्थिरता और चालू खाता में घाटा बढ़ना है. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश फिर से बढ़ने की उम्मीद है.

rupee against dollar
डॉलर के मुकाबले रुपया
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Published : Jan 31, 2023, 6:34 PM IST

नई दिल्ली: संसद में मंगलवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2022-23 में कहा गया है कि निर्यात में स्थिरता तथा चालू खाते का घाटा (कैड) और बढ़ने से रुपया और कमजोर हो सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, ऊंचे व्यापार घाटे की वजह से देश का चालू खाते का घाटा जुलाई-सितंबर तिमाही में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.4 प्रतिशत हो गया.

यह अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था. मंगलवार के शुरुआती कारोबार में विदेशी मुद्रा की निकासी और घरेलू शेयरों में सुस्ती के रुख के चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 12 पैसे गिरकर 81.64 प्रति डॉलर पर आ गया. भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका के केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति को कड़ा करने से रुपये पर दबाव पड़ा है.

रुपया 83 प्रति डॉलर के स्तर को भी पार कर चुका है. आर्थिक समीक्षा के अनुसार, जिंसों की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे आ गई हैं. हालांकि, ये अब भी रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले के स्तर से ऊंची हैं. इसमें कहा गया है कि उच्च जिंस कीमतों के बीच मजबूत घरेलू मांग भारत के कुल आयात बिल को बढ़ाएगी. इससे देश का चालू खाते का शेष प्रभावित होगा.

बता दें कि स्थानीय शेयर बाजार में कमजोरी और विदेशी कोषों की निकासी जारी रहने के बीच मंगलवार को रुपया दोपहर के कारोबार में 52 पैसे टूटकर 82.04 प्रति डॉलर पर आ गया. संसद में मंगलवार को पेश 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि निर्यात के स्थिर होने और चालू खाते का घाटा बढ़ने के कारण रुपये पर दबाव बढ़ेगा. आर्थिक समीक्षा पेश होने के बाद निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई.

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.61 प्रति डॉलर पर कमजोर खुलने के बाद और गिरावट के साथ 82.04 प्रति डॉलर पर आ गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 52 पैसे की गिरावट को दर्शाता है. सोमवार को रुपया 81.52 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती का आकलन करने वाला डॉलर सूचकांक 0.15 प्रतिशत के लाभ से 102.42 पर पहुंच गया. वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.67 फीसदी के नुकसान के साथ 84.33 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था.

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह में सुधार की उम्मीद

आर्थिक समीक्षा 2022-23 में यह भी कहा गया कि भारत की उच्च आर्थिक वृद्धि और कारोबारी माहौल को अधिक बेहतर बनाने के उपायों के कारण आने वाले महीनों में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) फिर से बढ़ने की उम्मीद है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर वैश्विक अनिश्चितता बढ़ने के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह घटा है.

समीक्षा कहती कि वैश्विक स्तर पर मौद्रिक सख्ती ने भी एफडीआई प्रवाह को रोकने में अपनी भूमिका निभाई. समीक्षा के मुताबिक, 'भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी उच्च वृद्धि को बरकरार रखा है, इसलिए एफडीआई प्रवाह में सुधार की उम्मीद है. मुद्रास्फीति का दबाव कम होने के साथ दुनियाभर में मौद्रिक सख्ती से भी राहत मिलेगी.'

पढ़ें: Economic Survey 2023: एमएसएमई के लिए ऋण वृद्धि तेज रहने की संभावना, केंद्र की ईसीएलजीएस ने वित्तीय संकट से बचाया

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान भारत में एफडीआई प्रवाह 14 प्रतिशत घटकर 26.9 अरब डॉलर रह गया. कुल एफडीआई प्रवाह चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में सालाना आधार पर 42.86 अरब डॉलर से घटकर 39 अरब डॉलर रह गया.

मुद्रा में अस्थिरता रोकने को रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने की जरूरत

आर्थिक समीक्षा में यह उम्मीद जताई गई है कि रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने से घरेलू मुद्रा को अस्थिरता से बचाने और वैश्विक बाजारों में व्यापार की लागत घटाने में मदद मिलेगी. समीक्षा में बताया गया कि इससे भारतीय निर्यातकों को विदेशी ग्राहकों से रुपये में अग्रिम भुगतान लेने और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से घरेलू मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.

रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर बढ़ावा देने और भारत से निर्यात पर जोर देकर वैश्विक व्यापार वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जुलाई, 2022 में एक अधिसूचना जारी कर आयात/निर्यात के बिल, भुगतान और निपटान भारतीय रुपये में करने की अतिरिक्त सुविधा को अनुमति दी थी. इसके तहत आयात और निर्यात का बिल या इन्वॉयस रुपये में, व्यापार साझेदार देशों की मुद्राओं में बाजार-निर्धारित विनिमय दर और भारत में अधिकृत डीलर बैंकों के साथ खोले गए वोस्ट्रो खातों के माध्यम से किया जाता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: संसद में मंगलवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2022-23 में कहा गया है कि निर्यात में स्थिरता तथा चालू खाते का घाटा (कैड) और बढ़ने से रुपया और कमजोर हो सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, ऊंचे व्यापार घाटे की वजह से देश का चालू खाते का घाटा जुलाई-सितंबर तिमाही में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.4 प्रतिशत हो गया.

यह अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था. मंगलवार के शुरुआती कारोबार में विदेशी मुद्रा की निकासी और घरेलू शेयरों में सुस्ती के रुख के चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 12 पैसे गिरकर 81.64 प्रति डॉलर पर आ गया. भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका के केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति को कड़ा करने से रुपये पर दबाव पड़ा है.

रुपया 83 प्रति डॉलर के स्तर को भी पार कर चुका है. आर्थिक समीक्षा के अनुसार, जिंसों की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे आ गई हैं. हालांकि, ये अब भी रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले के स्तर से ऊंची हैं. इसमें कहा गया है कि उच्च जिंस कीमतों के बीच मजबूत घरेलू मांग भारत के कुल आयात बिल को बढ़ाएगी. इससे देश का चालू खाते का शेष प्रभावित होगा.

बता दें कि स्थानीय शेयर बाजार में कमजोरी और विदेशी कोषों की निकासी जारी रहने के बीच मंगलवार को रुपया दोपहर के कारोबार में 52 पैसे टूटकर 82.04 प्रति डॉलर पर आ गया. संसद में मंगलवार को पेश 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि निर्यात के स्थिर होने और चालू खाते का घाटा बढ़ने के कारण रुपये पर दबाव बढ़ेगा. आर्थिक समीक्षा पेश होने के बाद निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई.

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.61 प्रति डॉलर पर कमजोर खुलने के बाद और गिरावट के साथ 82.04 प्रति डॉलर पर आ गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 52 पैसे की गिरावट को दर्शाता है. सोमवार को रुपया 81.52 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती का आकलन करने वाला डॉलर सूचकांक 0.15 प्रतिशत के लाभ से 102.42 पर पहुंच गया. वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.67 फीसदी के नुकसान के साथ 84.33 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था.

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह में सुधार की उम्मीद

आर्थिक समीक्षा 2022-23 में यह भी कहा गया कि भारत की उच्च आर्थिक वृद्धि और कारोबारी माहौल को अधिक बेहतर बनाने के उपायों के कारण आने वाले महीनों में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) फिर से बढ़ने की उम्मीद है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर वैश्विक अनिश्चितता बढ़ने के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह घटा है.

समीक्षा कहती कि वैश्विक स्तर पर मौद्रिक सख्ती ने भी एफडीआई प्रवाह को रोकने में अपनी भूमिका निभाई. समीक्षा के मुताबिक, 'भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी उच्च वृद्धि को बरकरार रखा है, इसलिए एफडीआई प्रवाह में सुधार की उम्मीद है. मुद्रास्फीति का दबाव कम होने के साथ दुनियाभर में मौद्रिक सख्ती से भी राहत मिलेगी.'

पढ़ें: Economic Survey 2023: एमएसएमई के लिए ऋण वृद्धि तेज रहने की संभावना, केंद्र की ईसीएलजीएस ने वित्तीय संकट से बचाया

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान भारत में एफडीआई प्रवाह 14 प्रतिशत घटकर 26.9 अरब डॉलर रह गया. कुल एफडीआई प्रवाह चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में सालाना आधार पर 42.86 अरब डॉलर से घटकर 39 अरब डॉलर रह गया.

मुद्रा में अस्थिरता रोकने को रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने की जरूरत

आर्थिक समीक्षा में यह उम्मीद जताई गई है कि रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने से घरेलू मुद्रा को अस्थिरता से बचाने और वैश्विक बाजारों में व्यापार की लागत घटाने में मदद मिलेगी. समीक्षा में बताया गया कि इससे भारतीय निर्यातकों को विदेशी ग्राहकों से रुपये में अग्रिम भुगतान लेने और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से घरेलू मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.

रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर बढ़ावा देने और भारत से निर्यात पर जोर देकर वैश्विक व्यापार वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जुलाई, 2022 में एक अधिसूचना जारी कर आयात/निर्यात के बिल, भुगतान और निपटान भारतीय रुपये में करने की अतिरिक्त सुविधा को अनुमति दी थी. इसके तहत आयात और निर्यात का बिल या इन्वॉयस रुपये में, व्यापार साझेदार देशों की मुद्राओं में बाजार-निर्धारित विनिमय दर और भारत में अधिकृत डीलर बैंकों के साथ खोले गए वोस्ट्रो खातों के माध्यम से किया जाता है.

(पीटीआई-भाषा)

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