नई दिल्ली : भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध के शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने पर सहमत हुए. दोनों पक्षों द्वारा दो दिवसीय सैन्य वार्ता समाप्त होने के एक दिन बाद मंगलवार को एक संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गई.
इसमें कहा गया, 'दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक, रचनात्मक और गहन चर्चा की.' बयान में कहा गया, 'नेतृत्व द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुरूप, उन्होंने खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया.'
इसमें कहा गया है कि भारत-चीन कोर कमांडर-स्तरीय बैठक का 19वां दौर 13-14 अगस्त को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो सीमा बैठक बिंदु पर आयोजित किया गया था.
यह पहली बार था कि लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद पर उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता दो दिनों तक चली. विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया, 'वे शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने तथा सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संवाद और बातचीत की गति बनाए रखने पर सहमत हुए.' इसमें कहा गया, 'अंतरिम रूप से, दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने पर सहमत हुए.'
भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के कुछ बिंदुओं पर तीन साल से अधिक समय से टकराव की स्थिति में हैं, हालांकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है.
मई 2020 में गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों सेनाएं पैंगोंग त्सो, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से पीछे हट गई हैं. हालांकि, देपसांग मैदान और डेमचोक में तनाव बरकरार है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगले सप्ताह शुरू होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मद्देनजर दोनों सेनाओं के बीच ताजा बातचीत काफी महत्व रखती है.
शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हो सकती है. पीएलए द्वारा समझौतों का उल्लंघन करने और पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर एलएसी को पार करने के बाद कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता पहली बार 2020 में शुरू हुई थी. कोर कमांडर स्तर की आखिरी दौर की वार्ता अप्रैल में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक से ठीक पहले हुई थी.
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(एजेंसी)