लखनऊ : 3 नवंबर की रात 11:34 बजे करीब आए भूकंप ने पूरे उत्तर भारत के लोगों को दहशत में डाल दिया था. भूकंप का एपिक सेंटर नेपाल था जहां पर इस भूकंप के कारण करीब 129 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. विशेषज्ञों का कहना है कि लखनऊ व उसके आसपास के क्षेत्र भूकंप सीस्मिक जोन के तीन में आते हैं. ऐसे में यहां पर ज्यादा नुकसान होने की संभावना कम ही है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत एक बड़ा द्वीप है यह समुद्र में 6000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक तैरता हुआ, यूरेशिया टेक्टोनिक प्लेट से टकराया और हिमालय का निर्माण हुआ है. हिमालय दुनिया की सबसे कम उम्र की पर्वत शृंखला होने के साथ इस के नीचे की प्लेट सबसे अधिक सक्रिय भूकंप जोन में से एक है. आज से करोड़ों साल पहले भारत एशिया के करीब नहीं था, लेकिन जमीन पर आए भूकंप की वजह से भारत हर साल करीब 47 मिली मीटर खिसक कर मध्य एशिया की तरफ बढ़ रहा है और करीब साढ़े 5 करोड़ साल से पहले हुई टक्कर से हिमालय का निर्माण हुआ है.
जब तक टेक्टानिक प्लेट खुद को एडजस्ट नहीं कर लेंगे तब तक भूकंप आएगा : लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह ने बताया कि भारत उत्तर की तरफ बढ़ रहा है और यह करीब 6.5 मिली की की रफ्तार से एशिया प्लेट में धंस रहा है. जिससे हिमालय का निर्माण हुआ है. जब तक हिमालय प्लेट्स व उससे जुड़ी टेक्टानिक प्लेट स्थिर नहीं होगी, तब तक भूकंप आते रहेंगे. करीब 20 साल पहले भारत में इस तरह के भूकंप पर रिसर्च शुरू हुआ है और तब से पता चला है कि हिमालय प्लेट्स के नीचे जा रहा है. वह लगातार एक दूसरे में धंस रही हैं. यह जब एनर्जी रिलीज करती हैं तो हिमालय प्लेट्स के साथ उत्तर प्रदेश के बड़े क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस होते हैं.
|
|
|
|
प्रोफेसर सिंह के अनुसार गंगा के मैदान में भूकंप से नुकसान होने की संभावना काफी कम है. क्योंकि जब हिमालय प्लेट से होने वाले भूकंप के झटके गंगा के मैदाने की तरफ आते हैं तो वह उनकी तीव्रता काफी कम हो जाती है. भूकंप के मुख्य कारण टेक्टानिक प्लेटों की क्रिया वलन, भ्रंश आदि है. हिमालय प्लेट टेक्टानिक रूप से सक्रिय है. इसलिए हिमालय में भूकंप आते हैं. ऐसे में लखनऊ और गंगा के मैदान का वह क्षेत्र जो हिमालय से दूर है वह भूकंप से अपेक्षाकृत सुरक्षित है.
भूकंप आने पर इन उपायों से बचाई जा सकती है जान | भूकंप से बचाव के लिए क्या करें या क्या न करें |
|
|
सीस्मिक जोन 3 में है लखनऊ व उसका आसपास का क्षेत्र : प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह ने बताया कि लखनऊ व आसपास का क्षेत्र गंगा के मैदान में स्थित होने के कारण यह भूकंप के सीस्मिक जोन 3 में आता है. विश्व को भूकंप की तीव्रता के आधार पर 5 जोन में बांटा गया है. क्योंकि लखनऊ व उसके आसपास के जिले तराई क्षेत्र हैं और यह गंगा के मैदान व उसकी सहायक नदियों पर स्थित है. इसलिए यहां पर भूकंपीय गतिविधियों के नुकसान कम होता है.
लखनऊ, बहराइच समेत कई हिस्सों में भूकंप के झटके, रिक्टर पैमाने पर 5.2 रही तीव्रता