भोपाल। कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष नहीं मिल पाए तो फिक्र नहीं मिट्टी भी असर दिखा जाएगी. सात दिन की कथा के दौरान इस दावे के साथ कुबेरेश्वर धाम की मिट्टी भी बेच दी गई. बाकायदा पैक की हुई मिट्टी कुबेरेश्वर धाम से बेची गई. गुजराती भाषा में इस पैक के पीछे हिस्से में पूरी जानकारी भी दी गई कि कैसे कुबेरेश्वर धाम की मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग बनाकर महादेव को प्रसन्न किया जा सकता है.
धाम से बेची जा रही मिट्टी: पैकेट पर शिवलिंग निर्माण की विधि मंत्र से लेकर विसर्जन तक की पूरी जानकारी दी गई है. और कृपानिकेता नाम से बेची जा रहे मिट्टी के पैकेट पर पंडित प्रदीप मिश्रा की तस्वीर भी लगाई गई है, लेकिन हैरत की बात ये कि खुद प्रदीप मिश्रा को कुबेरेश्वर धाम से बेची जा रही मिट्टी की जानकारी कथा के आखिरी दिनों में लगी. बताया जाता है कि जैसी जरुरत उस हिसाब से मिट्टी के दाम तय कर दिए जाते थे. सात सौ आठ सौ रुपए पैकेट तक की कीमत में ये मिट्टी बेची गई है.
कुबेरेश्वर धाम में कमाई नहीं चलेगी: पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कुबेरेश्वर धाम आस्था और श्रध्दा का केन्द्र है. यहां समिति की ओर से देश भर से आ रहे हर श्रधअदालु का ध्यान रखा गया. उनके खाने पीने का बंदोबस्त था. बावजूद इसके बाहर से आए लोगों ने इस जगह भी अपनी कमाई के रास्ते ढूंढ लिए. बेचारे लोग जो अपनी मनोकामना लेकर धाम में आए दूसरे शहर में उनकी मजबूरी का फायदा उठाया. दस रुपए की पानी की बोतल सौ रुपए में बेची गई. ये जानकर दुख हुआ और तो और बाहर के राज्यों से आए लोगों ने मिट्टी तक नहीं छोड़ी. पंडित प्रदीप मिश्रा ने मिट्टी का पैकेट दिखाते हुए कहा कि ये देखिए कुबेरेश्वर धाम की मिट्टी भी बेची जा रही है.
वितरण बंद रुद्राक्ष की बिक्री चालू: कुबेरेश्वर धाम का सबसे बड़ा आकर्षण यहां से दिए जाने वाले रुद्राक्ष थे. हालाकि भीड़ को देखते हुए रुद्राक्ष वितरण बंद कर दिया गया. लेकिन यहीं लगे बाजार में इसे मौके की तरह लिया गया. कुबेरेश्वर धाम में कई दुकानो पर रुद्राक्ष बेचे जा रहे थे. इस दावे के साथ कि इन्हें बस अभिमंत्रित करने की देर हैं ये रुद्राक्ष आपका जीवन बदल देंगे. कई जगह तो नेपाल की गंडकी नदी के दुर्लभ रुद्राक्ष के नाम से रुद्राक्ष बेचे जा रहे थे.