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विदेश मंत्री जयशंकर का रूस दौरा, प्रेस वार्ता में दिए अफगानिस्तान-तालिबान से जुड़े सवालों के जवाब

विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय रूस दौरे पर हैं. उन्होंने आज रूसी समकक्ष लावारोव के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता की. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंध मजबूत बने हुए हैं. प्रेस वार्ता में जयशंकर ने अफगानिस्तान-तालिबान से जुड़े सवालों के जवाब भी दिए.

विदेश मंत्री जयशंकर का रूस दौरा
विदेश मंत्री जयशंकर का रूस दौरा
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Published : Jul 9, 2021, 3:41 PM IST

Updated : Jul 9, 2021, 5:33 PM IST

मॉस्को : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर में बहुत सी चीजें बदल रही हैं. उन्होंने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि हमारी दुनिया में बदलाव हो रहा है, भारत और रूस के संबंध समय के साथ परीक्षण के दौर से गुजरे हैं और विश्वास-आधारित संबंध बहुत मजबूत बने हुए हैं.

जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं. उन्होंने रूसी समकक्ष लावारोव के साथ वार्ता के संबंध में कहा कि कुल मिलाकर आर्थिक साझेदारी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी की हमारी भावना बहुत सकारात्मक है. दोनों देशों के बीच बहुत अच्छी चर्चा हुई है.

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अफगानिस्तान और तालिबान से जुड़े एक सवाल पर भारत सरकार के रूख को लेकर जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा शांति और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पक्षधर रहा है.

अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा पर चिंता जताते हुए भारत ने कहा कि युद्धग्रस्त देश में किसे शासन करना चाहिए, यह 'वैध पहलू' महत्वपूर्ण है तथा इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. साथ ही उसने अफगानिस्तान में हिंसा में तत्काल कमी लाने का आह्वान किया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के अपने समकक्ष सर्गेइ लावरोव के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा, 'निश्चित तौर पर हम अफगानिस्तान में घटनाओं से चिंतित हैं.'

उनकी यह टिप्पणी तब आयी है जब 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के मद्देनजर हाल के हफ्तों में तालिबानियों ने दर्जनों जिलों पर कब्जा जमाया और ऐसा माना जा रहा है कि देश के एक तिहाई हिस्से पर उसका नियंत्रण है.

जयशंकर ने कहा, 'हमारा जोर इस बात पर है कि हिंसा रूकनी चाहिए. अफगानिस्तान में हालात का समाधान हिंसा नहीं हो सकती. आखिर में अफगानिस्तान पर कौन शासन करता है यह इसका वैध पहलू है. मुझे लगता है कि इसे नजरअंदाज नहीं किए जाना चाहिए.'

उन्होंने कहा, '30 साल से अधिक समय से अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने पर चर्चा के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुए, समूह बने, कई रूपरेखा पेश की गयी. अगर हम अफगानिस्तान और उसके आसपास शांति चाहते हैं तो भारत और रूस के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करें कि आर्थिक, सामाजिक क्षेत्र में प्रगति बरकरार रखी जाए. हम एक स्वतंत्र, सम्प्रभु और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'

अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता का एक प्रमुख पक्षकार भारत राष्ट्रीय शांति एवं सुलह प्रक्रिया का समर्थन कर रहा है. अमेरिका के तालिबान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से भारत वहां बदल रहे राजनीतिक हालात पर करीबी नजर रख रहा है. भारत ने कहा है कि वह परिवर्तन के दौरान अफगानिस्तान को लगातार समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है.

(पीटीआई-भाषा इनपुट)

मॉस्को : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर में बहुत सी चीजें बदल रही हैं. उन्होंने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि हमारी दुनिया में बदलाव हो रहा है, भारत और रूस के संबंध समय के साथ परीक्षण के दौर से गुजरे हैं और विश्वास-आधारित संबंध बहुत मजबूत बने हुए हैं.

जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं. उन्होंने रूसी समकक्ष लावारोव के साथ वार्ता के संबंध में कहा कि कुल मिलाकर आर्थिक साझेदारी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी की हमारी भावना बहुत सकारात्मक है. दोनों देशों के बीच बहुत अच्छी चर्चा हुई है.

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अफगानिस्तान और तालिबान से जुड़े एक सवाल पर भारत सरकार के रूख को लेकर जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा शांति और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पक्षधर रहा है.

अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा पर चिंता जताते हुए भारत ने कहा कि युद्धग्रस्त देश में किसे शासन करना चाहिए, यह 'वैध पहलू' महत्वपूर्ण है तथा इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. साथ ही उसने अफगानिस्तान में हिंसा में तत्काल कमी लाने का आह्वान किया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के अपने समकक्ष सर्गेइ लावरोव के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा, 'निश्चित तौर पर हम अफगानिस्तान में घटनाओं से चिंतित हैं.'

उनकी यह टिप्पणी तब आयी है जब 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के मद्देनजर हाल के हफ्तों में तालिबानियों ने दर्जनों जिलों पर कब्जा जमाया और ऐसा माना जा रहा है कि देश के एक तिहाई हिस्से पर उसका नियंत्रण है.

जयशंकर ने कहा, 'हमारा जोर इस बात पर है कि हिंसा रूकनी चाहिए. अफगानिस्तान में हालात का समाधान हिंसा नहीं हो सकती. आखिर में अफगानिस्तान पर कौन शासन करता है यह इसका वैध पहलू है. मुझे लगता है कि इसे नजरअंदाज नहीं किए जाना चाहिए.'

उन्होंने कहा, '30 साल से अधिक समय से अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने पर चर्चा के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुए, समूह बने, कई रूपरेखा पेश की गयी. अगर हम अफगानिस्तान और उसके आसपास शांति चाहते हैं तो भारत और रूस के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करें कि आर्थिक, सामाजिक क्षेत्र में प्रगति बरकरार रखी जाए. हम एक स्वतंत्र, सम्प्रभु और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'

अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता का एक प्रमुख पक्षकार भारत राष्ट्रीय शांति एवं सुलह प्रक्रिया का समर्थन कर रहा है. अमेरिका के तालिबान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से भारत वहां बदल रहे राजनीतिक हालात पर करीबी नजर रख रहा है. भारत ने कहा है कि वह परिवर्तन के दौरान अफगानिस्तान को लगातार समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है.

(पीटीआई-भाषा इनपुट)

Last Updated : Jul 9, 2021, 5:33 PM IST
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