नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खाद्य सुरक्षा को अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं कूटनीति का प्रारंभिक बिन्दु करार देते हुए गुरुवार को कहा कि देशों को खाद्यान्न के अधिक विविधतापूर्ण स्रोत तलाशने, अधिक उत्पादन करने तथा भरोसेमंद एवं टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने पर ध्यान देने की जरूरत है. 'अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023' (international year of millets 2023) के दौरान भारत में वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों के अग्रिम उद्घाटन के अवसर पर विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बात कही. इस कार्यक्रम को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी संबोधित किया.
जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं कूटनीति का महत्वपूर्ण आयाम एवं प्रारंभिक बिन्दु 'खाद्य सुरक्षा' का विषय है. उन्होंने कहा कि जब क्षेत्रीय स्तर पर एक दूसरे देशों के बीच संबंध की बात आती है तब भी हम यह देखते हैं कि एक दूसरे के साथ कैसे इसका (खाद्यान्न) आदान प्रदान कर सकते हैं . ऐसे में खाद्य सुरक्षा महत्वपूर्ण हो जाती है. विदेश मंत्री ने कहा, "अगर हम आज की दुनिया पर विचार करें तब तीन बड़ी चुनौतियां '3सी' ही सामने आती हैं. यह कोविड, कंफ्लिक्ट (संघर्ष) और क्लाइमेट (जलवायु) हैं. इन तीनों का ही खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है." उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान भी खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव पड़ा और इसके कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को खतरे की स्थिति का सामना करना पड़ा.
जयशंकर ने बताया कि भारत में भी कोविड के कारण लॉकडाउन लगा तो पड़ोसी देशों सहित कुछ खाड़ी के देश चिंतित हुए क्योंकि वे हमसे खाद्य पदार्थो का नियमित आयात करते थे. उन्होंने कहा कि हमने उन देशों को आश्वस्त किया कि हम खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को बनाये रखेंगे. यूक्रेन संघर्ष का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि यह संघर्ष इस बात का उदाहरण है कि किसी संघर्ष का खाद्य सुरक्षा पर किस प्रकार प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन गेहूं का प्रमुख निर्यातक देश रहा है, ऐसे में इस क्षेत्र में संघर्ष का प्रभाव देखा गया. उन्होंने कहा कि इसीलिए जब संघर्ष होगा तब खाद्यान्न की कीमतें बढ़ेंगी, आपूर्ति प्रभावित होगी.
विदेश मंत्री ने जलवायु प्रभावों का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सभी इस बात से सहमत होंगे कि आज कठिन जलवायु स्थितियां हैं, जिसका प्रभाव उत्पादन में कमी और कारोबार में बाधा के रूप में सामने आ सकता है. उन्होंने कहा कि कोविड, संघर्ष और जलवायु महत्वपूर्ण चुनौती है और हमें खाद्य सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. जयशंकर ने कहा, "हमें खाद्यान्न के अधिक विविधतापूर्ण स्रोत तलाशने, अधिक उत्पादन करने तथा भरोसेमंद एवं टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने पर ध्यान देने की जरूरत है." उन्होंने कहा कि दुनिया के 130 देश किसी न किसी रूप में मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं. ऐसे में इस विषय पर ध्यान देने से खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता आएगी, खाद्य आपूर्ति भी बेहतर होगी तथा किसानों की आय भी बढ़ेगी.
कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है जिसका मकसद इसकी वैश्विक खपत को बढ़ावा देना, उत्पादन बढ़ाना, कुशल प्रसंस्करण एवं फसल चक्र का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है. उन्होंने कहा कि मोटे अनाज के उत्पादन में पानी की कम खपत होती है, कम कार्बन उत्सर्जन होता है तथा यह जलवायु अनुकूल फसल है जो सूखे वाली स्थिति में भी उगायी जा सकती है. तोमर ने कहा कि शाकाहारी खाद्य पदार्थो की बढ़ती मांग के दौर में मोटा अनाज वैकल्पिक खाद्य प्रणाली प्रदान करता है.
कृषि मंत्री ने मोटे अनाज को मानवता को प्रकृति का उपहार करार देते हुए कहा कि कृषि मंत्रालय, अन्य मंत्रालयों एवं हितधारकों के साथ मिलकर मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिये मिशन मोड में काम कर रहा है. तोमर ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत पोषक अनाज घटक के रूप में भी मोटे अनाज को बढ़ावा दिया जा रहा है.