नई दिल्ली : दिल्ली की फिजाओं में जहरीले प्रदूषण का मुद्दा राजनीतिक बन चुका है. भाजपा व आप एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं. इसी वार-पलटवार के बीच ये मामला अदालत में भी पहुंच चुका है और आए दिन अदालत दोनों ही सरकारों को फटकार लगा रही है. लेकिन कोई यह स्वीकार करने को तैयार नहीं कि गलती उनकी है. हालांकि इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.
दरअसल, दिल्ली का प्रदूषण अब हर साल की समस्या बन चुकी है लेकिन न तो केंद्र और न ही राज्य सरकारों ने इस पर कोई ठोस नीति बनाई है. इस लड़ाई के बीच प्रदूषण से आम जनता परेशान है. केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार प्रदूषण के मसले पर आमने सामने आ चुकी है. केंद्र में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और राज्य में सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी दोनों ही एक दूसरे पर प्रदूषण का ठीकरा फोड़ रहे हैं.
दिल्ली की केजरीवाल सरकार प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा में जल रही पराली को जिम्मेदार ठहरा रही है. वहीं केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए भारतीय जनता पार्टी ने इसे सरकार का बहाना बताया है. यह भी कहा कि देश में कोई भी राज्य सर्वाधिक प्रदूषण से ग्रसित है तो वह दिल्ली है.
दिवाली के बाद लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से बीजेपी और आप के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी बढ़ता गया. बुधवार को बीजेपी ने केजरीवाल को ₹40000 देने तक का ऐलान किया वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए सांसद विजय गोयल ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार प्रदूषण के नाम पर करोड़ों रुपए का विज्ञापन दे रही है लेकिन प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ नहीं कर रही है.
विजय गोयल ने आम आदमी पार्टी की सरकार आरोप लगाते हुए कहा कि हर साल दिल्ली में पोल्यूशन बढ़ता है और दिल्ली सरकार इसकी जिम्मेदारी हरियाणा और पंजाब की सरकार डालकर अपनी ड्यूटी से छुट्टी पा लेती है.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव आरपी सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए दिल्ली सरकार से सवाल किया है कि अपने विज्ञापनों की ऑडिट कराए और जनता के सामने रखे. उन्होंने कहा कि जब से सरकार आई है तब से विज्ञापनों पर और दिल्ली में प्रदूषण को कम करने पर कितने रुपए खर्च किए गए हैं.
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उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार को शर्म आनी चाहिए जिन दिल्ली वालों ने उन्हें वोट दिया उन्हीं को वह जहरीली हवा देकर बीमार कर रही है. जब अदालत फटकार लगाती है तो अदालत में भी सरकार की तरफ से बहानेबाजी की जा रही है.