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एक नवंबर से खुलेंगे दुधवा के द्वार, बाघों के दीदार को सैलानी हो जाएं तैयार

बाघ, गैंडा और पांच प्रकार के हिरणों के लिए देश दुनिया में मशहूर उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व (Dudhwa Tiger Reserve) के द्वार सैलानियों के लिए इस बार एक नवंबर से ही खुल जाएंगे. कोरोना महामारी के बीच इस बार सैलानियों को जंगल सफारी का मजा दोगुना करने के लिए टाइगर रिजर्व प्रशासन ने तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं.

उत्तर प्रदेश का दुधवा टाइगर रिजर्व
उत्तर प्रदेश का दुधवा टाइगर रिजर्व
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Published : Sep 17, 2021, 10:52 PM IST

लखीमपुर खीरीः दुधवा नेशनल पार्क (Dudhwa National Park) को सैलानियों के लिए एक नवंबर से खोल दिया जाएगा. पार्क के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक कहते हैं कि हिमालय की तराई में स्थित दुधवा के जंगल अपने आप में वाइल्ड लाइफ की इनसाइक्लोपीडिया है. सैलानी यहां जंगल, जंगली जानवरों को ही न देखें बल्कि जंगलों की इकोलॉजी को समझें. इसकी चुनौतियों को भी जानें और बचाव के क्या उपाय हो सकते इनपर अपनी राय भी दें.

फाइल फोटो.
फाइल फोटो.

दुर्गा और नवजात हाथी बच्चे रहेंगे आकर्षण का केंद्र
दुधवा टाइगर रिजर्व में इस बार भी पालतू हाथी हथिनी के बच्चे आकर्षण का केंद्र रहेंगे. इसके अलावा छोटी हथिनी दुर्गा भी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहेगी. दुर्गा हथिनी सहारनपुर के पास जंगलों से लावारिस मिली थी. इस हथिनी के बच्चे का नाम दुर्गा रखा गया है. क्योंकि ये नवरात्रों में दुधवा आई थी. दुर्गा के साथ लोग सेल्फी लेंगे और नवजात हाथी बच्चों को देख बच्चे बहुत खुश होंगे.

फाइल फोटो.
फाइल फोटो.

गैंडों का कुनबा बढ़ाएगा सैलानियों का मजा
दुधवा टाइगर रिजर्व देश का दूसरा ऐसा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व है, जिसमें बाघों के साथ साथ गैंडों का बड़ा कुनबा भी रहता है. सलूकापुर में गैंडा पुनर्वासन योजना में करीब 38 गैंडों का परिवार भी रहता है. 80 के दशक में असम के काजीरंगा और बाद में नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से यहां गैंडों को लाकर तराई की धरती पर पुनर्वासित किया गया था.

अभी पांच साल पहले छंगानाला में गैंडा पुनर्वास योजना-2 का भी श्रीगणेश किया जा चुका है. जिसमें एक नर और तीन मादाओं को छोड़ा गया था. हाल ही में फेज-2 में एक गैंडा शावक का जन्म भी हो चुका है. जो एक नवंबर से खुल रहे दुधवा टाइगर रिजर्व में आने वाले सैलानियों को दीदार देगा.

फाइल फोटो.
फाइल फोटो.

इसे भी पढ़ें- 'शर्मीली' को दुधवा टाइगर रिजर्व में छोड़ा, 18 महीने पहले पहुंच गई थी बरेली

बारहसिंघा की सबसे बड़ी कालोनी है दुधवा में
प्राकृतिक घास के मैदान और जंगल बारहसिंघा के लिए स्वर्ग साबित होता है. यही कारण है कि देश की सबसे बड़ी बारहसिंघों की आबादी दुधवा टाइगर रिजर्व में भी पाई जाती. तराई के ग्रासलैंड और दलदली भूमि बारहसिंघों के लिए सबसे अच्छा पर्यावास माना जाता. किशनपुर सेंचुरी हो या सठियाना के घास के मैदान बारहसिंघों के लिए दोनों ही जगह मुफीद मानी जाती.

यही कारण है कि बारहसिंघों की सबसे बड़ी कालोनी दुधवा में ही पाई जाती. प्रसिद्ध इंग्लिश वाइल्ड लाइफ लेखक जीबी शेलर ने तो अपनी पुस्तक में बारहसिंघों के लिए दुधवा टाइगर रिजर्व को स्वर्ग कहा था. दुधवा में बारहसिंघों के अलावा, चीलत, काकड़, पाढा पांच प्रकार के हिरन की प्रजातियां एक साथ पाई जाती हैं.

लखीमपुर खीरीः दुधवा नेशनल पार्क (Dudhwa National Park) को सैलानियों के लिए एक नवंबर से खोल दिया जाएगा. पार्क के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक कहते हैं कि हिमालय की तराई में स्थित दुधवा के जंगल अपने आप में वाइल्ड लाइफ की इनसाइक्लोपीडिया है. सैलानी यहां जंगल, जंगली जानवरों को ही न देखें बल्कि जंगलों की इकोलॉजी को समझें. इसकी चुनौतियों को भी जानें और बचाव के क्या उपाय हो सकते इनपर अपनी राय भी दें.

फाइल फोटो.
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दुर्गा और नवजात हाथी बच्चे रहेंगे आकर्षण का केंद्र
दुधवा टाइगर रिजर्व में इस बार भी पालतू हाथी हथिनी के बच्चे आकर्षण का केंद्र रहेंगे. इसके अलावा छोटी हथिनी दुर्गा भी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहेगी. दुर्गा हथिनी सहारनपुर के पास जंगलों से लावारिस मिली थी. इस हथिनी के बच्चे का नाम दुर्गा रखा गया है. क्योंकि ये नवरात्रों में दुधवा आई थी. दुर्गा के साथ लोग सेल्फी लेंगे और नवजात हाथी बच्चों को देख बच्चे बहुत खुश होंगे.

फाइल फोटो.
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गैंडों का कुनबा बढ़ाएगा सैलानियों का मजा
दुधवा टाइगर रिजर्व देश का दूसरा ऐसा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व है, जिसमें बाघों के साथ साथ गैंडों का बड़ा कुनबा भी रहता है. सलूकापुर में गैंडा पुनर्वासन योजना में करीब 38 गैंडों का परिवार भी रहता है. 80 के दशक में असम के काजीरंगा और बाद में नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से यहां गैंडों को लाकर तराई की धरती पर पुनर्वासित किया गया था.

अभी पांच साल पहले छंगानाला में गैंडा पुनर्वास योजना-2 का भी श्रीगणेश किया जा चुका है. जिसमें एक नर और तीन मादाओं को छोड़ा गया था. हाल ही में फेज-2 में एक गैंडा शावक का जन्म भी हो चुका है. जो एक नवंबर से खुल रहे दुधवा टाइगर रिजर्व में आने वाले सैलानियों को दीदार देगा.

फाइल फोटो.
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इसे भी पढ़ें- 'शर्मीली' को दुधवा टाइगर रिजर्व में छोड़ा, 18 महीने पहले पहुंच गई थी बरेली

बारहसिंघा की सबसे बड़ी कालोनी है दुधवा में
प्राकृतिक घास के मैदान और जंगल बारहसिंघा के लिए स्वर्ग साबित होता है. यही कारण है कि देश की सबसे बड़ी बारहसिंघों की आबादी दुधवा टाइगर रिजर्व में भी पाई जाती. तराई के ग्रासलैंड और दलदली भूमि बारहसिंघों के लिए सबसे अच्छा पर्यावास माना जाता. किशनपुर सेंचुरी हो या सठियाना के घास के मैदान बारहसिंघों के लिए दोनों ही जगह मुफीद मानी जाती.

यही कारण है कि बारहसिंघों की सबसे बड़ी कालोनी दुधवा में ही पाई जाती. प्रसिद्ध इंग्लिश वाइल्ड लाइफ लेखक जीबी शेलर ने तो अपनी पुस्तक में बारहसिंघों के लिए दुधवा टाइगर रिजर्व को स्वर्ग कहा था. दुधवा में बारहसिंघों के अलावा, चीलत, काकड़, पाढा पांच प्रकार के हिरन की प्रजातियां एक साथ पाई जाती हैं.

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