नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के चुनाव रविवार (22 अगस्त) को होने वाले हैं. दिल्ली सरकार के गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के अनुसार, कुल 46 नगर वाडरें के लिए मतदान 22 अगस्त को होगा और मतगणना 25 अगस्त को होगी. चुनाव की पूरी प्रक्रिया 31 अगस्त तक पूरी करनी है.
प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखते हुए चुनाव सुनिश्चित करने के लिए, दिल्ली सरकार ने अपने 23 वरिष्ठ अधिकारियों को प्रत्येक 45 वाडरें के लिए रिटनिर्ंग ऑफिसर के तौर पर नियुक्त किया है. डीएसजीएमसी के लिए चुनाव जो पहले 23 अप्रैल को निर्धारित किया गया था, लेकिन इस अवधि के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में कोविड महामारी की घातक लहर के कारण स्थगित कर दिया गया था, उसे बाद में 22 अगस्त को पुनर्निर्धारित किया गया था। चुनाव त्रिकोणीय होने की संभावना है.
डीएसजीएमसी चुनावी घटनाक्रम से जुड़े और जागरूक लोगों ने आईएएनएस को बताया कि इसमें शिरोमणि अकाली दल (बादल), डीएसजीएमसी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके के नेतृत्व वाले जग असरा गुरु ओट (जागो) और परमजीत सिंह सरना के नेतृत्व वाली शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा.
शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) ने अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार रंजीत सिंह के नेतृत्व वाले पंथिक अकाली लहर के साथ गठबंधन किया है.कुल 45 सीटों (नगरपालिका वार्ड) में जहां चुनाव होंगे, सभी सीटों पर केवल शिअद (बादल) चुनाव लड़ रही है, जबकि जीके की पार्टी 41 सीटों पर और सराना (शिअद-दिल्ली) की 35 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
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डीएसजीएमसी चुनाव लड़ने वाली पार्टियां पिछले कुछ महीनों से सिख समुदाय के लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए प्रचार कर रही हैं. कोविड महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के बावजूद लोगों तक पहुंचने का उनका प्रयास जारी रहा और उन्होंने पिछले कुछ महीनों से विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है.
डीएसजीएमसी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान विभिन्न कार्यों पर प्रकाश डालते रहे हैं. दिल्ली सिख गुरुद्वारा अधिनियम के तहत 1971 में दिल्ली सरकार के गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय की स्थापना के बाद डीएसजीएमसी के लिए पहला चुनाव 1974 में हुआ था.