नई दिल्ली : राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को लोकसभा और राज्य सभा से कुल मिला कर 540 वोट मिले , जबकि यशवंत सिन्हा को 208 वोट. ठीक-ठीक तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन एक अंदाज़ा बेशक लगाया जा सकता है कि कितने सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की. आइए एक नजर डालते हैं उन पार्टियों पर जो या तो एनडीए का हिस्सा हैं, या फिर द्रौपदी मुर्मू को उन्होंने समर्थन का ऐलान कर दिया था.
लोकसभा में मुर्मू के पक्ष में ताकत कुछ इस तरह थी: बीजेपी-303, बीएसपी-10, बीजेडी-12, जेडीयू-16, एआईएडीएमके-1, जेएमएम-1, डीपी-3, शिवसेना-19, वाईएसआर कांग्रेस-22, एलजेपी-6, शिरोमणि अकाली दल (बादल)-2, अपना दल-2 . यानी कुल मिला कर ये संख्या होती है 397.
अब आइए राज्यसभा में ये ताकत कितनी है देख लेते हैं. राज्यसभा में बीजेपी के 91 सदस्यों के अलावा 5 सदस्य जेडीयू के, 9 बीजेडी के, 4 एआईएडीएमके के, और एक सांसद बीएसपी का है. इसके अलावा 2 सांसद जेएमएम के, 1 टीडीपी का, एक आरपीआई का और तीन शिवसेना के सांसद यानी कुल मिला कर राज्य सभा से द्रौपदी मुर्मू को कुल 117 सांसदों का समर्थन प्राप्त था. अब लोकसभा के 397 और राज्यसभा के 117 सदस्यों के वोट मिला दें तो ये संख्या बनती है 514.
कुछ निर्दलीय सांसदों ने भी समर्थन की घोषणा की थी. संसद के दोनों सदनों को मिला कर इन सभी दलों और राजग के सांसदों की संख्या 529 होती है. इनमें से भाजपा, शिवसेना और बसपा के दो-दो सांसदों ने वोट नहीं डाले थे. इस हिसाब से मुर्मू को 523 सांसदों का समर्थन मिलना था, जबकि इसके उलट उसे 540 सांसदों का समर्थन हासिल हुआ. यानी करीब 17 सांसदों का अतिरिक्त वोट द्रौपदी मुर्मू को मिला.
राष्ट्रपति पद के लिए मतदान गुप्त होता है और इसके लिए कोई व्हिप भी जारी नहीं किया जाता है. इसलिए ये नहीं कह सकते कि किसने किसने क्रॉस वोटिंग कर द्रौपदी मुर्मू की मदद की. क्रॉस वोटिंग करने वालों की संख्या का अनुमान मुर्मू को समर्थन के ऐलान के आधार पर लगाया जा रहा है. इनमे उन सांसदों को शामिल नहीं किया गया है जो निर्दलीय हैं या जिन्होंने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का साफ ऐलान नही किया है.
लेकिन संकेत बिलकुल साफ है. मोदी और अमित शाह की जोडी के सामने विपक्ष की ताकत एक बार फिर तार-तार हो गई. इससे पहले महाराष्ट्र मं शिवसेना कैसे टूटी और दो दिन पहले कैसे शिवसेना के 12 सांसदों को अलग गुट का दर्ज़ा मिला, ये सबने देखा। हालांकि राष्ट्रपति चुनाव में शुरुआती गणित मुर्मू के पक्ष में ही था, लेकिन मुर्मू को मिले अतिरिक्त वोटों से विपक्ष को ये अंदाज़ा हो जाना चाहिए कि उनका मोर्चा कितना कमज़ोर है और 2024 की लड़ाई के लिए उन्हें कहां-कहां पैबन्द लगाने होंगे.
पढ़ें- आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने जीता राष्ट्रपति चुनाव, मोदी-नड्डा, शाह, राजनाथ ने मुलाकात कर दी बधाई
पढ़ें- द्रौपदी मुर्मू : सादगी से परिपूर्ण व्यक्तित्व, प्याज-लहसुन से भी करती हैं परहेज
पढ़ें- द्रौपदी मुर्मू के पैतृक गांव रायरंगपुर और देशभर में लोग मना रहे जश्न