नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी जब-जब सत्ता में रही है तो सर्वोच्च पद पर कहीं ना कहीं अप्रत्याशित नाम को ही आगे बढ़ाती रही है. अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने कार्यकाल में अल्पसंख्यक समुदाय से विख्यात वैज्ञानिक अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति चुना, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सत्ता आने के बाद पहले अनुसूचित जाति से रामनाथ कोविंद को बनाकर सत्ता पक्ष नहीं विपक्ष को भी चौंका दिया और अब देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को देकर लोगों को खास तौर पर महिलाओं और आदिवासी समुदाय को सशक्त करने के एक संदेश भी दिया है.
एक समय अगड़ी जाति के नाम पर जाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने आज अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के साथ-साथ महिला आदिवासी को राष्ट्रपति बनाकर कहीं ना कहीं एक नई राजनीति की परिभाषा गढ़ी है. क्या देश बदल रहा है या देश की राजनीतिक मायने बदल रहे हैं. जहां एक तरफ बाकी पार्टियां व्यक्तिगत पहचान को बढ़ावा देते हुए अपनी राजनीतिक विचारधारा को आगे बढ़ा रही हैं वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी एक सामाजिक समीकरण को साधते हुए पूरे देश में एक ग्लोबल छवि बनाने की कोशिश कर रही है.
देश में एक महिला आदिवासी नेता के संविधान के सर्वोच्च पद पर बिठाए जाने के कारण आदिवासी समाज में और खास तौर पर पूर्वी राज्यों में एक बहुत बड़ा मैसेज दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री जिन्होंने ओडिशा राज्य में द्रौपदी मुर्मू के साथ संगठन में काम कर चुके भाजपा सांसद और ओडिशा के पूर्व भाजपा अध्यक्ष जुएल उरांव (Jual Oram) से इस मुद्दे पर बात जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने कहा की जब वो पहले विधायक थे और वो जब ओडिशा के प्रदेश अध्यक्ष थे तब द्रौपदी मुर्मू जिला अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रही थीं.
उन्होंने कहा की एक के बाद एक उनके साथ बहुत से हादसे हुए लेकिन पार्टी उनके साथ खड़ी रही. वहीं द्रौपदी मुर्मू ने भी सारे पदों को बखूबी निभाया. उन्होंने कहा कि जब वह एक कॉरपोरेटर से राज्य की मंत्री और राज्यपाल भी बनी, लेकिन हर पद पर वो एक सशक्त नेता के तौर पर काम करती रहीं. जुएल उरांव ने कहा कि आज उनके महामहिम राष्ट्रपति बनने से कहीं ना कहीं आदिवासी समुदाय को लाभ मिलेगा खासकर ओडिशा की राजनीति में फर्क पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों ने एक इमेज बनाकर हमारी पार्टी के लिए गलत बातें प्रचारित की थीं, की ये अगड़ों की ब्राह्मण और बनियों की पार्टी है. मगर हमारी पार्टी हमेशा से काम सभी जातियों अनुसूचित जाति या दलित और गरीबों के लिए काम करती रही है. इस सवाल पर की क्या इससे अगड़ी जाति का वोट बैंक पार्टी से खिसकने का रिस्क नहीं. जुएल उरांव का कहना था की ये बात मैं नहीं कह सकता, इसके लिए मैं छोटा व्यक्ति हूं मगर जहां तक मेरा अनुभव है मुझे लगता है हमारी पार्टी से सभी जुड़ी है सभी के लिए काम कर रही है.
बहरहाल यदि देखा जाए तो रायसीना हिल में द्रौपदी मुर्मू के बैठने से आदिवासी बहुल क्षेत्र खासकर झारखंड,ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश समेत कई इलाकों में खासतौर पर अनुसूचित जाति के बीच एक संदेश तो जाएगा ही पार्टी के एक शहरी इमेज में भी बदलाव आएगा और ग्लोबल छवि बनाने और ग्रामीण इलाकों में पहुंच बनाने में आसानी होगी.
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