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नए ड्रोन नियम से एयर टैक्सी क्षेत्र में आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी : उद्योग विशेषज्ञ

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Published : Aug 28, 2021, 9:48 PM IST

नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि नई ड्रोन पॉलिसी के तहत आने वाले दिनों में एयर टैक्सी संभव होगी जो सड़कों के बजाय हवाई क्षेत्र में परिचालित होगी. वहीं, उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि संपूर्ण ढांचा विमानन उद्योग में सकारात्मक और प्रगतिशील परिवर्तन लाने के लिए समर्पित है, हालांकि इस क्षेत्र में अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है, इस तरह की रूपरेखा निवेशकों को देश को नवाचार के संभावित केंद्र के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित करती है. पढ़िए, ईटीवी भारत के संवाददात तौसीफ अहमद की रिपोर्ट...

एयर टैक्सी क्षेत्र
एयर टैक्सी क्षेत्र

नई दिल्ली : नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वैश्विक स्तर पर हवाई टैक्सी के संबंध में शोध और आविष्कार किए जा रहे हैं और कई स्टार्टअप सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह समय दूर नहीं है जब आप सड़कों पर उबर आदि की तरह हवा में ड्रोन नीति के तहत टैक्सियां देखेंगे. मुझे लगता ​​है कि यह बहुत संभव है.

उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और बीसीएएस (नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो) एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि शत्रु ड्रोन विरोधी तकनीक को जल्दी विकसित और अपनाया जा सके. उन्होंने कहा कि ड्रोन नियम 2021 मानव रहित विमान प्रणालियों के लिए पहले की तुलना में बहुत अधिक उदार हैं.

ड्रोन नियम- 2021 बुधवार को जारी किए गए. इन नए नियमों ने मानवरहित विमान प्रणाली (यूएएस) नियम, 2021 का स्थान लिया है जो इस साल 12 मार्च को लागू हुआ था. नए नियमों के अनुसार, शुल्क को नाममात्र के स्तर तक घटा दिया गया है और इसे ड्रोन के आकार से अलग कर दिया गया है. उदाहरण के लिए, सभी श्रेणियों के ड्रोन के रिमोट पायलट लाइसेंस के लिए शुल्क 3,000 रुपये (एक बड़े ड्रोन के लिए) को घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है और यह 10 साल के लिए वैध रहेगा.

इंटीग्रेशन विजार्ड्स सॉल्यूशंस (Integration Wizards Solutions) के सह-संस्थापक कुणाल किसले (Kunal Kislay) ने कहा कि सड़कों पर ट्रैफिक को देखते हुए समय और लागत प्रभावी समाधान प्राप्त करने के लिए ड्रोन का संचालन किया जा सकता है. समावेशी भार में वृद्धि से कई क्षेत्रों को ड्रोन टैक्सियों का उपयोग करने में मदद मिलती है, जो उद्योग को स्वास्थ्य सेवा, ई-कॉमर्स, कृषि, खाद्य वितरण आदि में सहायता करेगा. दवाओं, भोजन की डिलीवरी की सुविधा होगी.

उन्होंने आगे कहा कि ड्रोन के जरिए आपदा की निगरानी और प्राथमिक उपचार जैसे महत्वपूर्ण राहत उपायों से एक ही बार में निपटा जा सकता है. कृषि क्षेत्र को भी उन विभिन्न तरीकों का पता लगाना बाकी है, जिसे वे ड्रोन के माध्यम से पूरा कर सकते हैं. धीरे-धीरे सीखते हुए, हम नए पहलुओं पर ध्यान देंगे कि कैसे ड्रोन या ड्रोन टैक्सी हमारे कार्यों में कुशलता से सहायता कर सकते हैं.

पॉलिसी थिंक टैंक द डायलॉग (The Dialogue) के संस्थापक करीम रिजवी (Karim Rizvi) ने कहा कि इस फ्रेमवर्क को भविष्य में संभावित तकनीकी प्रगति को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है. संपूर्ण ढांचा उड्डयन उद्योग में सकारात्मक और प्रगतिशील परिवर्तन लाने के लिए समर्पित है.

उन्होंने कहा कि उड्डयन मंत्री ने कहा है कि नई ड्रोन पॉलिसी के तहत हवाई टैक्सी का संचालन किया जा सकता है, यह बताता है कि भारत इस क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने के लिए भविष्य की ओर देख रहा है.

रिजवी ने कहा कि विकल्पों को खुला रखने के लिए यह एक दूरदर्शी दृष्टिकोण है. हालांकि इस क्षेत्र में अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है, इस तरह की रूपरेखा निवेशकों को देश को नवाचार के संभावित केंद्र के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित करती है.

ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया (एफडीआई) के निदेशक स्मित शाह (Smit Shah) का मानना है कि नए ड्रोन नियमों की घोषणा भारतीय ड्रोन पारिस्थितिकी तंत्र में नए युग की शुरुआत है, जिसकी बाजार क्षमता 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है और अगले पांच वर्षों में 5,00,000 पेशेवर नौकरियां पैदा कर सकता है.

उन्होंने कहा कि 500 किलोग्राम तक के ड्रोन को कवर करने वाले नियम भारत को भविष्य के लिए तैयार करने वाले डिलीवरी ड्रोन और ड्रोन टैक्सियों के स्वदेशी निर्माण के अवसर खोलेंगे.

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में शामिल होना चाहता है. इससे हासिल करने के लिए भारत को तकनीकी, सांस्कृतिक, सैन्य और साथ ही आर्थिक ताकत विकसित करने की आवश्यकता है. इस विजन को हासिल करने में ड्रोन अहम भूमिका निभाएंगे.

स्मित शाह का कहना है कि हमारी उत्तरी सीमाओं के पास कई ड्रोन घटनाओं के बाद भी ड्रोन नीति को उदार बनाने का सरकार का निडर निर्णय इस दिशा में एक सर्वोपरि कदम है.

यह भी पढ़ें- नए नियमों के तहत ड्रोन का पंजीकरण अनिवार्य : अधिकारी

बता दें कि नए ड्रोन नियमों ने विभिन्न मंजूरियों की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया है, जिनमें अनुरूपता का प्रमाणपत्र, रख-रखाव का प्रमाण पत्र, आयात मंजूरी, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, परिचालक परमिट, शोध एवं विकास संगठन की स्वीकृति और विद्यार्थी रिमोट पायलट लाइसेंस शामिल हैं.

ड्रोन नियम, 2021 के मुताबिक अन्य स्वीकृतियों जैसे विशिष्ट प्राधिकरण संख्या, विशिष्ट प्रोटोटाइप पहचान संख्या और विनिर्माण एवं उड़ान योग्यता प्रमाण-पत्र आदि को भी समाप्त कर दिया गया है.

नए नियमों के अनुसार 'ग्रीन जोन' में 400 फुट तक और हवाईअड्डे की परिधि से आठ से 12 किलोमीटर के बीच के क्षेत्र में 200 फुट तक ड्रोन उड़ाने की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. 'ग्रीन ज़ोन' का मतलब 400 फुट की लंबवत दूरी तक का हवाई क्षेत्र है जिसे हवाई क्षेत्र के नक्शे में रेड ज़ोन या येलो ज़ोन के रूप में नामित नहीं किया गया है. ड्रोन नियम, 2021 ने ड्रोन के हस्तांतरण एवं पंजीकरण को रद्द करने के लिए आसान प्रक्रिया भी निर्धारित की है.

नई दिल्ली : नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वैश्विक स्तर पर हवाई टैक्सी के संबंध में शोध और आविष्कार किए जा रहे हैं और कई स्टार्टअप सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह समय दूर नहीं है जब आप सड़कों पर उबर आदि की तरह हवा में ड्रोन नीति के तहत टैक्सियां देखेंगे. मुझे लगता ​​है कि यह बहुत संभव है.

उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और बीसीएएस (नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो) एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि शत्रु ड्रोन विरोधी तकनीक को जल्दी विकसित और अपनाया जा सके. उन्होंने कहा कि ड्रोन नियम 2021 मानव रहित विमान प्रणालियों के लिए पहले की तुलना में बहुत अधिक उदार हैं.

ड्रोन नियम- 2021 बुधवार को जारी किए गए. इन नए नियमों ने मानवरहित विमान प्रणाली (यूएएस) नियम, 2021 का स्थान लिया है जो इस साल 12 मार्च को लागू हुआ था. नए नियमों के अनुसार, शुल्क को नाममात्र के स्तर तक घटा दिया गया है और इसे ड्रोन के आकार से अलग कर दिया गया है. उदाहरण के लिए, सभी श्रेणियों के ड्रोन के रिमोट पायलट लाइसेंस के लिए शुल्क 3,000 रुपये (एक बड़े ड्रोन के लिए) को घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है और यह 10 साल के लिए वैध रहेगा.

इंटीग्रेशन विजार्ड्स सॉल्यूशंस (Integration Wizards Solutions) के सह-संस्थापक कुणाल किसले (Kunal Kislay) ने कहा कि सड़कों पर ट्रैफिक को देखते हुए समय और लागत प्रभावी समाधान प्राप्त करने के लिए ड्रोन का संचालन किया जा सकता है. समावेशी भार में वृद्धि से कई क्षेत्रों को ड्रोन टैक्सियों का उपयोग करने में मदद मिलती है, जो उद्योग को स्वास्थ्य सेवा, ई-कॉमर्स, कृषि, खाद्य वितरण आदि में सहायता करेगा. दवाओं, भोजन की डिलीवरी की सुविधा होगी.

उन्होंने आगे कहा कि ड्रोन के जरिए आपदा की निगरानी और प्राथमिक उपचार जैसे महत्वपूर्ण राहत उपायों से एक ही बार में निपटा जा सकता है. कृषि क्षेत्र को भी उन विभिन्न तरीकों का पता लगाना बाकी है, जिसे वे ड्रोन के माध्यम से पूरा कर सकते हैं. धीरे-धीरे सीखते हुए, हम नए पहलुओं पर ध्यान देंगे कि कैसे ड्रोन या ड्रोन टैक्सी हमारे कार्यों में कुशलता से सहायता कर सकते हैं.

पॉलिसी थिंक टैंक द डायलॉग (The Dialogue) के संस्थापक करीम रिजवी (Karim Rizvi) ने कहा कि इस फ्रेमवर्क को भविष्य में संभावित तकनीकी प्रगति को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है. संपूर्ण ढांचा उड्डयन उद्योग में सकारात्मक और प्रगतिशील परिवर्तन लाने के लिए समर्पित है.

उन्होंने कहा कि उड्डयन मंत्री ने कहा है कि नई ड्रोन पॉलिसी के तहत हवाई टैक्सी का संचालन किया जा सकता है, यह बताता है कि भारत इस क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने के लिए भविष्य की ओर देख रहा है.

रिजवी ने कहा कि विकल्पों को खुला रखने के लिए यह एक दूरदर्शी दृष्टिकोण है. हालांकि इस क्षेत्र में अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है, इस तरह की रूपरेखा निवेशकों को देश को नवाचार के संभावित केंद्र के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित करती है.

ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया (एफडीआई) के निदेशक स्मित शाह (Smit Shah) का मानना है कि नए ड्रोन नियमों की घोषणा भारतीय ड्रोन पारिस्थितिकी तंत्र में नए युग की शुरुआत है, जिसकी बाजार क्षमता 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है और अगले पांच वर्षों में 5,00,000 पेशेवर नौकरियां पैदा कर सकता है.

उन्होंने कहा कि 500 किलोग्राम तक के ड्रोन को कवर करने वाले नियम भारत को भविष्य के लिए तैयार करने वाले डिलीवरी ड्रोन और ड्रोन टैक्सियों के स्वदेशी निर्माण के अवसर खोलेंगे.

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में शामिल होना चाहता है. इससे हासिल करने के लिए भारत को तकनीकी, सांस्कृतिक, सैन्य और साथ ही आर्थिक ताकत विकसित करने की आवश्यकता है. इस विजन को हासिल करने में ड्रोन अहम भूमिका निभाएंगे.

स्मित शाह का कहना है कि हमारी उत्तरी सीमाओं के पास कई ड्रोन घटनाओं के बाद भी ड्रोन नीति को उदार बनाने का सरकार का निडर निर्णय इस दिशा में एक सर्वोपरि कदम है.

यह भी पढ़ें- नए नियमों के तहत ड्रोन का पंजीकरण अनिवार्य : अधिकारी

बता दें कि नए ड्रोन नियमों ने विभिन्न मंजूरियों की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया है, जिनमें अनुरूपता का प्रमाणपत्र, रख-रखाव का प्रमाण पत्र, आयात मंजूरी, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, परिचालक परमिट, शोध एवं विकास संगठन की स्वीकृति और विद्यार्थी रिमोट पायलट लाइसेंस शामिल हैं.

ड्रोन नियम, 2021 के मुताबिक अन्य स्वीकृतियों जैसे विशिष्ट प्राधिकरण संख्या, विशिष्ट प्रोटोटाइप पहचान संख्या और विनिर्माण एवं उड़ान योग्यता प्रमाण-पत्र आदि को भी समाप्त कर दिया गया है.

नए नियमों के अनुसार 'ग्रीन जोन' में 400 फुट तक और हवाईअड्डे की परिधि से आठ से 12 किलोमीटर के बीच के क्षेत्र में 200 फुट तक ड्रोन उड़ाने की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. 'ग्रीन ज़ोन' का मतलब 400 फुट की लंबवत दूरी तक का हवाई क्षेत्र है जिसे हवाई क्षेत्र के नक्शे में रेड ज़ोन या येलो ज़ोन के रूप में नामित नहीं किया गया है. ड्रोन नियम, 2021 ने ड्रोन के हस्तांतरण एवं पंजीकरण को रद्द करने के लिए आसान प्रक्रिया भी निर्धारित की है.

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