देहरादून : कोरोना की दूसरी लहर में देश भर में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं धराशायी हो गई हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण अस्पतालों की कमी होने लगी है, जिसके कारण हर दिन अस्थाई अस्पताल तैयार किये जा रहे हैं. उत्तराखंड में भी कोरोना की दूसरी लहर कहर बनकर टूटी है. यहां के सीमित संसाधनों में कोरोना से लड़ाई लड़ना संभव नहीं है, जिसे देखते हुए संकटमोचक के तौर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) आगे आया है. DRDO की टीम मात्र 14 दिनों के भीतर प्रदेश में 875 बेड के दो बड़े अस्पताल खड़े करने जा रही है.
इसी कड़ी में DRDO की एक टीम ऋषिकेश आईडीपीएल ग्राउंड में रात दिन एक काम करते हुए जल्द से जल्द अस्पताल को खड़ा करने में लगी है. ये सेना के जवानों और अधिकारियों के ही जज्बे का नतीजा है कि 18 मई को प्रदेश में 2 बड़े अत्याधुनिक सुविधाओं वाले अस्पताल तैयार हो जाएंगे.
डीआरडीओ के चीफ कंस्ट्रक्शन इंजीनियर जीआई वाधवा ने बताया कि जर्मन हैंगर तकनीक से इन अस्पतालों को बनाया जा रहा है. जिनमें बेहद तेज गति से काम किया जा रहा है. डीआरडीओ के अधिकारी वाधवा ने बताया कि इन हॉस्पिटलों में एक 500 बेड का अस्पताल ऋषिकेश आईडीपीएल में तैयार किया जा रहा है. जिसे क्लीनिकल सपोर्ट एम्स अस्पताल देगा. साथ ही 500 में से 100 आईसीयू बेड एम्स अस्पताल में लगाए जाएंगे.
इसके अलावा हल्द्वानी में 375 बेड का ऑक्सीजन सपोर्टेड अस्पताल तैयार किया जा रहा है. जिसमें से 125 आईसीयू बेड सुशीला तिवारी अस्पताल में लगाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि अस्पताल अस्थाई बेस पर बहुत तेज गति से असेंबल किए जा रहे हैं. जिनमें जर्मन हैंगर का प्रयोग करके जमीन से तकरीबन डेढ़ फुट ऊपर वुडन फ्लोरिंग के बाद बेड लगाए जाएंगे.
उन्होंने बताया बेड्स को तैयार करने में ध्यान रखा जा रहा है कि मरीज को किसी भी तरह की कोई समस्या न हो. इसके अलावा हल्द्वानी और ऋषिकेश में डीआरडीओ द्वारा ऑक्सीजन प्लांट भी शुरू किया जाएगा. दोनों जगह सभी बेड्स पर ऑक्सीजन सपोर्ट रहेगा.
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इन मुश्किल हालातों में जब सभी अस्पतालों से लेकर श्मशान घाट तक जगह पाने के लिए कतारें लगी हैं. ऐसे में DRDO के अथक प्रयासों के जिंदगी बचाने के लिए इन अस्पतालों का तेजी से निर्माण किया जा रहा है, जो कि जल्द ही बनकर तैयार हो जाएंगे.