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दांतों का म्यूजियम देखा है क्या आपने? - dr Chandarana Dental Museum vadodara gujarat

गुजरात के वडोदरा में निजी दंत संग्रहालय (dental museum) है जहां 4,000 से अधिक नमूनों का संग्रह है. दावा है कि इस म्यूजियम को 20 हजार से भी ज्यादा लोग देख चुके हैं. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : May 13, 2022, 8:54 AM IST

वडोदरा: शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए स्वस्थ दांतों का होना जरूरी है. ये दांत ही हैं जिनकी मदद से हम खाने को चबाकर शरीर के लिए जरूरी पोषण देते हैं. लेकिन बहुत कम लोग हैं जो इन 32 रक्षकों की जरूरतों के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं. यही वजह है कि दांतों की बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं. गुजरात के वडोदरा में दांतों के प्रति जागरूक करने के लिए एक संग्रहालय है.

देखिए वीडियो

वडोदरा के दंत चिकित्सक डॉ. योगेश चंद्राना और डॉ. प्रणव ने दुनिया भर से अपने दम पर 4,000 से अधिक दंतों की चिकित्सा से संबंधित सैंपल और चिकित्सा उपकरण जुटाए हैं. यह शायद गुजरात का और देश का पहला निजी दंत चिकित्सा संग्रहालय है. डॉ. चंद्राना डेंटल म्यूजियम (Chandarana Dental Museum) ने अभी-अभी अपनी सातवीं वर्षगांठ मनाई है. संग्रहालय के संस्थापक डॉ. योगेश चंद्राना का दावा है कि 20 हजार से अधिक छात्र और लोग संग्रहालय देख चुके हैं. उनके मुताबिक साल दर साल आने वाली पीढ़ियों में जबड़े सिकुड़ जाते हैं और दांतों की संख्या भी हर दो हजार साल में कम हो जाती है. जब हम मां के गर्भ में होते हैं तो दांत मसूड़ों के नीचे बढ़ने लगते हैं और जन्म के 6 से 7 महीने बाद ये मसूड़े से बाहर निकल आते हैं. चूंकि यह प्रक्रिया बच्चे के लिए दर्दनाक होती है, इसलिए अंग्रेजी में टीथिंग ट्रबल जैसी कहावत प्रचलित हो गई है.

डेंटल म्यूजियम
डेंटल म्यूजियम

संग्रहालय में ऐसे डाक टिकट और सिक्के भी हैं जिन पर दांतों का जिक्र है. डॉ प्रणब ने कहा, 'हमने पाया है कि हमारे दंत संग्रहालय का खजाना एशिया का सबसे बड़ा निजी संग्रह है. हम इस जानकारी को प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा जल्द से जल्द पुष्टि करने के लिए काम कर रहे हैं.' इस संग्रहालय के माध्यम से वह लोगों में जीवन भर के लिए दांतों को बचाने की आदत डालकर, महंगे दंत चिकित्सा के खर्च को कम करने की उम्मीद करते हैं.

एक से एक शानदार ब्रश
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पढ़ें- युवाओं में 32 की जगह अब निकल रहे केवल 28 दांत! BHU की Study में सामने आई ये खास बात...

वडोदरा: शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए स्वस्थ दांतों का होना जरूरी है. ये दांत ही हैं जिनकी मदद से हम खाने को चबाकर शरीर के लिए जरूरी पोषण देते हैं. लेकिन बहुत कम लोग हैं जो इन 32 रक्षकों की जरूरतों के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं. यही वजह है कि दांतों की बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं. गुजरात के वडोदरा में दांतों के प्रति जागरूक करने के लिए एक संग्रहालय है.

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वडोदरा के दंत चिकित्सक डॉ. योगेश चंद्राना और डॉ. प्रणव ने दुनिया भर से अपने दम पर 4,000 से अधिक दंतों की चिकित्सा से संबंधित सैंपल और चिकित्सा उपकरण जुटाए हैं. यह शायद गुजरात का और देश का पहला निजी दंत चिकित्सा संग्रहालय है. डॉ. चंद्राना डेंटल म्यूजियम (Chandarana Dental Museum) ने अभी-अभी अपनी सातवीं वर्षगांठ मनाई है. संग्रहालय के संस्थापक डॉ. योगेश चंद्राना का दावा है कि 20 हजार से अधिक छात्र और लोग संग्रहालय देख चुके हैं. उनके मुताबिक साल दर साल आने वाली पीढ़ियों में जबड़े सिकुड़ जाते हैं और दांतों की संख्या भी हर दो हजार साल में कम हो जाती है. जब हम मां के गर्भ में होते हैं तो दांत मसूड़ों के नीचे बढ़ने लगते हैं और जन्म के 6 से 7 महीने बाद ये मसूड़े से बाहर निकल आते हैं. चूंकि यह प्रक्रिया बच्चे के लिए दर्दनाक होती है, इसलिए अंग्रेजी में टीथिंग ट्रबल जैसी कहावत प्रचलित हो गई है.

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संग्रहालय में ऐसे डाक टिकट और सिक्के भी हैं जिन पर दांतों का जिक्र है. डॉ प्रणब ने कहा, 'हमने पाया है कि हमारे दंत संग्रहालय का खजाना एशिया का सबसे बड़ा निजी संग्रह है. हम इस जानकारी को प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा जल्द से जल्द पुष्टि करने के लिए काम कर रहे हैं.' इस संग्रहालय के माध्यम से वह लोगों में जीवन भर के लिए दांतों को बचाने की आदत डालकर, महंगे दंत चिकित्सा के खर्च को कम करने की उम्मीद करते हैं.

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