रामनगर: मंदिर बनाना और भगवान की पूजा करना आम बात है. लेकिन रामनगर जिले के चन्नापट्टना तालुक के अग्रहारा वलागेरेहल्ली गांव में एक मंदिर बनाया गया जहां कुत्तों की पूजा की जाती है. अग्रहारा वलागेरेहल्ली गांव में गांव के देवता से पहले कुत्तों के लिए विशेष पूजा की जाती है. यहां के ग्रामीणों ने कुत्तों के लिए एक मंदिर बनाया है और वहां रोजाना पूजा की जाती है.
अब भी ग्रामीण इलाकों में चरवाहे अपनी भेड़ों की सुरक्षा के लिए कुत्ते पालते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक ऐसी मान्यता है कि कई साल पहले अग्रहारा वलागेरेहल्ली गांव में चरवाहे आए थे. लेकिन भेड़ों के साथ जो कुत्ते थे वे आश्चर्यजनक रूप से गायब हो गए. कुत्तों के गायब होने के बाद ग्रामीण गांव की शक्तिशाली देवी वीरमस्ती केम्पम्मा की पूजा-अर्जना की. फिर देवी ने कहा कि जंगल में केम्पम्मा मंदिर को द्वारपालों की आवश्यकता है.
इस तरह देवी ने आदेश दिया कि मंदिर के पास द्वारपाल के रूप में कुत्तों के लिए एक मंदिर बनाया जाए. इस प्रकार कुत्तों की मूर्ति बनाई गई और एक मंदिर बनाया गया. इस प्रकार, एक संगमरमर का मंदिर अस्तित्व में आया जिसमें दो कुत्ते एक दूसरे के बगल में खड़े थे. तब से ग्रामीणों का मानना है कि ये दो कुत्ते गांव की रक्षा करते हैं और इसे बुराई से बचाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि भगवान से पहले इन कुत्तों की पूजा की जाती है.
ये भी पढ़ें- जानें, कहां एक मुस्लिम महिला करती हैं गणेशोत्सव का नेतृत्व और पूजा
यह एक दुर्लभ कुत्ते का मंदिर है जो कर्नाटक में कहीं नहीं पाया जाता है. इस गांव में यह भी मान्यता है कि अगर कोई भगवान से प्रार्थना करता है तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए वर्ष में एक बार इस गांव में आयोजित होने वाले जात्रा महोत्सव (मेला) के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों से हजारों भक्त यहां आते हैं. भक्त पहले कुत्तों को प्रणाम करते हैं और फिर वीरमस्ति केम्पम्मा देवी के दर्शन करते हैं. यह आस्था है कि चन्नापट्टना के वलागेरेहल्ली गांव में कुत्तों को विशेष प्राथमिकता मिली है.