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Monsoon Update : क्या 'बिपरजॉय' की वजह से मानसून में हुई देरी, आपके यहां कब पहुंचेगा मानसून, जानें

केरल में मानसून पहुंच चुका है. देश के दूसरे राज्यों में मानसून कब पहुंचेगा, मौसम विभाग ने फिर से नई तारीख जारी की है. इस बार मानसून में देरी की क्या वजह रही, आइए विस्तार से जानते हैं.

Monsoon delayed due to biparjoy
मानसून अपडेट
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Published : Jun 9, 2023, 2:14 PM IST

Updated : Jun 9, 2023, 3:56 PM IST

नई दिल्ली : लगातार बढ़ती गर्मी और मानसून में हो रही देरी ने सबको परेशान कर दिया. हालांकि, गुरुवार को केरल में मानसून ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी. इसके बाद यह देश के दूसरे राज्यों में जाएगा. मौसम विभाग ने अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग तिथियों की घोषणा की है. केरल के बाद कर्नाटक और तमिलनाडु में मानसून अगले एक दिनों में दस्तक दे देगा. इसके बाद यह देश के पूर्वोत्तर इलाके में 9-12 जून तक पहुंचेगा. बाद में दूसरे राज्यों का नंबर आएगा. इस बार मानसून के आने में देरी क्यों हुई, इस पर मौसम विभाग ने चक्रवाती तूफान बिपरजॉय को जिम्मेदार ठहराया है. इस तूफान की वजह से गुजरात, गोवा, केरल और कर्नाटक में असर पड़ सकता है. इन राज्यों को पहले ही अलर्ट जारी किया जा चुका है. दूसरे राज्यों में क्या स्थिति है, इसे जानने से पहले मानसून के बारे में जानते हैं.

किस आधार पर तय होता है कि मानसून आ गया- मौसम विभाग इसके लिए तीन पैमानों का उपयोग करता है. हवा का बहाव दक्षिण पश्चिम हो. कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप के 14 स्टेशनों से बारिश को मॉनिटर किया जाता है, उनमें से 60 फीसदी स्टेशनों पर कम के कम 2.5 एमएम की बारिश दो दिनों के लिए जरूर हो. ये स्टेशन हैं - कोझीकोड, त्रिचूर, कन्नूर, कुडुलु, मेंगलोर, कोच्चि, अल्लापुझा, कोल्लम, मिनिकॉय, थालास्सेरी, अमिनी, तिरुवनंतपुरम, पुनालुर और कोट्टायम. तीसरी स्थिति होती है - बादल कितना अधिक और कितने घने हैं.

मानसून - यह अरबी शब्द मौसिम से बना है. मानसून शब्द को अल मसूदी नाम के एक लेखक ने दिया था. इसका अर्थ होता है - मौसमी हवाएं. मानसून दो प्रकार का होता है. पहला है समर मानसून और दूसरा है विंटर मानसून. समर मानसून को ही दक्षिण पश्चिम मानसून कहते हैं. इसका समय जून महीने से लेकर सितंबर तक रहता है. विंटर मानसून लौटने वाले मानसून को कहते हैं. यह अक्टूबर से लेकर दिसंबर महीने तक रहता है. इसकी वजह से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बारिश होती है. दक्षिण पश्चिम मानसून केरल तट पर टकराता है. उसके बाद यह धीरे-धीरे उत्तर की ओर बढ़ता जाता है.

जून के महीने में तेज गर्मी रहती है. इस वजह से धरती पर गर्मी बढ़ जाती है, जबकि समुद्र पर थोड़ी कम गर्मी होती है. पानी और जमीन की स्पेसिफिक हिट कैपेसिटी अलग- अलग होती है, इस वजह से धरती पर गर्मी ज्यादा पड़ती है. दबाव के अंतर की वजह से हवाएं अपनी दिशाएं बदलती रहती हैं. यह उच्च प्रेशर बेल्ट से लो प्रेशर बेल्ट की ओर बहती है. ज्यादा गर्मी होने की वजह से धरती पर लो प्रेशर बेल्ट बनता है. इसलिए हवा समुद्र से धरती की ओर बहती है. समुद्र की ओर से आने वाली हवा में नमी रहती है. यह धरती पर आकर ठंडी हो जाती है और उससे बारिश होती है.

monsoon delayed earlier also
इससे पहले कब-कब मानसून में हुई देरी
  • मानसून के राज्यों में दस्तक देने की तारीख
  • केरल - 8 जून
  • कर्नाटक - 8 जून
  • तमिलनाडु - 8 जून
  • महाराष्ट्र - 10 जून
  • छत्तीसगढ़ - 15 जून
  • झारखंड - 15 जून
  • मध्य प्रदेश - 15 जून
  • बिहार - 15 जून
  • उत्तर प्रदेश - 20 जून
  • गुजरात - 20 जून
  • राजस्थान - 20 जून
  • दिल्ली - 30 जून
  • पंजाब - 30 जून
  • हरियाणा - 30 जून

केरल में मॉनसून ने दस्तक दी - इस बार भी केरल में मानसून देरी से पहुंचा है. यहां पर आठ जून को मानसून ने दस्तक दी है. केरल के कुछ जिलों के लिए मौसम विभाग ने येलो अलर्ट भी जारी किया है. येल अलर्ट का मतलब- छह सेंटीमीटर से 11 सेंटीमीटर की बारिश होती है. इससे अधिक बारिश की संभावना होने पर ऑरेंज अलर्ट जारी किया जाता है. केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) के सदस्य सचिव शेखर लुकोस कुरियाकोस ने कहा, 'यह अभी शुरुआत है. हमें उम्मीद है कि बारिश का दौर तेज होगा और मॉनसून देरी से आने की भरपाई अगले 2-3 सप्ताह में हो जाएगी.'

क्या चक्रवात बिपरजॉय की वजह से मानसून में हुई देरी- मौसम विभाग के विशेषज्ञ इसे सही मानते हैं. हालांकि उनका कहना है कि इससे मानसून से होने वाली बारिश की मात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बिपरजॉय’ गुजरात के पोरबंदर से 930 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में केंद्रित है. यह वहां से उत्तर-उत्तर पश्चिम की ओर जा रहा है.

अहमदाबाद में आईएमडी के मौसम विज्ञान केंद्र की निदेशक मनोरमा मोहंती ने कहा, 'चक्रवात के कारण 10,11 और 12 जून को हवा की गति 45 से 55 समुद्री मील प्रति घंटे तक जा सकती है. इस दौरान हवा की गति 65 समुद्री मील के निशान को भी छू सकती है. चक्रवात के कारण दक्षिणी गुजरात और सौराष्ट्र सहित तटीय क्षेत्रों में हल्की बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ने के आसार हैं. सभी बंदरगाहों को दूरस्थ चेतावनी संकेत जारी करने के लिए कहा गया है.'

(अतिरिक्त इनपुट- एजेंसी)

नई दिल्ली : लगातार बढ़ती गर्मी और मानसून में हो रही देरी ने सबको परेशान कर दिया. हालांकि, गुरुवार को केरल में मानसून ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी. इसके बाद यह देश के दूसरे राज्यों में जाएगा. मौसम विभाग ने अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग तिथियों की घोषणा की है. केरल के बाद कर्नाटक और तमिलनाडु में मानसून अगले एक दिनों में दस्तक दे देगा. इसके बाद यह देश के पूर्वोत्तर इलाके में 9-12 जून तक पहुंचेगा. बाद में दूसरे राज्यों का नंबर आएगा. इस बार मानसून के आने में देरी क्यों हुई, इस पर मौसम विभाग ने चक्रवाती तूफान बिपरजॉय को जिम्मेदार ठहराया है. इस तूफान की वजह से गुजरात, गोवा, केरल और कर्नाटक में असर पड़ सकता है. इन राज्यों को पहले ही अलर्ट जारी किया जा चुका है. दूसरे राज्यों में क्या स्थिति है, इसे जानने से पहले मानसून के बारे में जानते हैं.

किस आधार पर तय होता है कि मानसून आ गया- मौसम विभाग इसके लिए तीन पैमानों का उपयोग करता है. हवा का बहाव दक्षिण पश्चिम हो. कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप के 14 स्टेशनों से बारिश को मॉनिटर किया जाता है, उनमें से 60 फीसदी स्टेशनों पर कम के कम 2.5 एमएम की बारिश दो दिनों के लिए जरूर हो. ये स्टेशन हैं - कोझीकोड, त्रिचूर, कन्नूर, कुडुलु, मेंगलोर, कोच्चि, अल्लापुझा, कोल्लम, मिनिकॉय, थालास्सेरी, अमिनी, तिरुवनंतपुरम, पुनालुर और कोट्टायम. तीसरी स्थिति होती है - बादल कितना अधिक और कितने घने हैं.

मानसून - यह अरबी शब्द मौसिम से बना है. मानसून शब्द को अल मसूदी नाम के एक लेखक ने दिया था. इसका अर्थ होता है - मौसमी हवाएं. मानसून दो प्रकार का होता है. पहला है समर मानसून और दूसरा है विंटर मानसून. समर मानसून को ही दक्षिण पश्चिम मानसून कहते हैं. इसका समय जून महीने से लेकर सितंबर तक रहता है. विंटर मानसून लौटने वाले मानसून को कहते हैं. यह अक्टूबर से लेकर दिसंबर महीने तक रहता है. इसकी वजह से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बारिश होती है. दक्षिण पश्चिम मानसून केरल तट पर टकराता है. उसके बाद यह धीरे-धीरे उत्तर की ओर बढ़ता जाता है.

जून के महीने में तेज गर्मी रहती है. इस वजह से धरती पर गर्मी बढ़ जाती है, जबकि समुद्र पर थोड़ी कम गर्मी होती है. पानी और जमीन की स्पेसिफिक हिट कैपेसिटी अलग- अलग होती है, इस वजह से धरती पर गर्मी ज्यादा पड़ती है. दबाव के अंतर की वजह से हवाएं अपनी दिशाएं बदलती रहती हैं. यह उच्च प्रेशर बेल्ट से लो प्रेशर बेल्ट की ओर बहती है. ज्यादा गर्मी होने की वजह से धरती पर लो प्रेशर बेल्ट बनता है. इसलिए हवा समुद्र से धरती की ओर बहती है. समुद्र की ओर से आने वाली हवा में नमी रहती है. यह धरती पर आकर ठंडी हो जाती है और उससे बारिश होती है.

monsoon delayed earlier also
इससे पहले कब-कब मानसून में हुई देरी
  • मानसून के राज्यों में दस्तक देने की तारीख
  • केरल - 8 जून
  • कर्नाटक - 8 जून
  • तमिलनाडु - 8 जून
  • महाराष्ट्र - 10 जून
  • छत्तीसगढ़ - 15 जून
  • झारखंड - 15 जून
  • मध्य प्रदेश - 15 जून
  • बिहार - 15 जून
  • उत्तर प्रदेश - 20 जून
  • गुजरात - 20 जून
  • राजस्थान - 20 जून
  • दिल्ली - 30 जून
  • पंजाब - 30 जून
  • हरियाणा - 30 जून

केरल में मॉनसून ने दस्तक दी - इस बार भी केरल में मानसून देरी से पहुंचा है. यहां पर आठ जून को मानसून ने दस्तक दी है. केरल के कुछ जिलों के लिए मौसम विभाग ने येलो अलर्ट भी जारी किया है. येल अलर्ट का मतलब- छह सेंटीमीटर से 11 सेंटीमीटर की बारिश होती है. इससे अधिक बारिश की संभावना होने पर ऑरेंज अलर्ट जारी किया जाता है. केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) के सदस्य सचिव शेखर लुकोस कुरियाकोस ने कहा, 'यह अभी शुरुआत है. हमें उम्मीद है कि बारिश का दौर तेज होगा और मॉनसून देरी से आने की भरपाई अगले 2-3 सप्ताह में हो जाएगी.'

क्या चक्रवात बिपरजॉय की वजह से मानसून में हुई देरी- मौसम विभाग के विशेषज्ञ इसे सही मानते हैं. हालांकि उनका कहना है कि इससे मानसून से होने वाली बारिश की मात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बिपरजॉय’ गुजरात के पोरबंदर से 930 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में केंद्रित है. यह वहां से उत्तर-उत्तर पश्चिम की ओर जा रहा है.

अहमदाबाद में आईएमडी के मौसम विज्ञान केंद्र की निदेशक मनोरमा मोहंती ने कहा, 'चक्रवात के कारण 10,11 और 12 जून को हवा की गति 45 से 55 समुद्री मील प्रति घंटे तक जा सकती है. इस दौरान हवा की गति 65 समुद्री मील के निशान को भी छू सकती है. चक्रवात के कारण दक्षिणी गुजरात और सौराष्ट्र सहित तटीय क्षेत्रों में हल्की बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ने के आसार हैं. सभी बंदरगाहों को दूरस्थ चेतावनी संकेत जारी करने के लिए कहा गया है.'

(अतिरिक्त इनपुट- एजेंसी)

Last Updated : Jun 9, 2023, 3:56 PM IST
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