नई दिल्लीः फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर इसका अनुचित लाभ उठाने वाले अब इसका दुरूपयोग नहीं कर पाएंगे. दरअसल, दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) ने फैसला किया है कि डॉक्टर अब किसी भी मरीज को 15 दिनों से अधिक समय के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं देंगे. राजधानी दिल्ली में हुई डॉक्टरों की बैठक के बाद दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने यह निर्णय लिया है. अब मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने वाले डॉक्टर व्यक्तिगत तौर पर मरीज से मुलाकात करेंगे.
डीएमसी के इस निर्णय के बाद अब फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट प्राप्त कर गलत तरीके से लाभान्वित होने वाले लोगों की परेशानी शुरू हो जाएगी. गंभीर बीमारी के स्थिति में भी 15 दिनों से ज्यादा के मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बनेंगे. बता दें कि इसी साल मार्च में दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने नियमों के खिलाफ मेडिकल सर्टिफिकेट देने के मामले में एक डॉक्टर का लाइसेंस एक साल के लिए रद्द कर दिया था. उस डॉक्टर ने कई मामलों में आरोपी दिल्ली के एक पूर्व विधायक को तीन-तीन बार मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया था.
पूर्व विधायक भी ले चुके हैं अनुचित लाभः डीएमसी के रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी ने बताया कि कुछ प्रभावशाली लोग मेडिकल सर्टिफिकेट का दुरूपयोग करते हैं. फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाकर इसका अनुचित लाभ उठाते हैं. ऐसा एक मामला दिल्ली के पूर्व विधायक रामबीर शौकीन का है, जो जेल में बंद थे. जमानत के लिए उन्होंने एनेस्थीसिया के डॉक्टर हेमंत तिवारी से मेडिकल सर्टिफिकेट बना कर जमा किया था. इस सर्टिफिकेट में एक सिस्ट होने का जिक्र किया गया था और उसे सर्जरी की सलाह दी गई थी.
मामला डीएमसी के पास पहुंचा तो पता चला कि डॉ. हेमंत अब तक तीन बार रामबीर शौकीन को मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर चुके थे. उन्होंने कहा कि एनेस्थीसिया के डॉक्टर सर्जरी की सलाह नहीं दे सकते. यह काम सर्जरी के डॉक्टर का है. डीएमसी की जांच में यह भी पाया गया था कि डॉ हेमंत तिवारी दिल्ली के तीन अलग-अलग अस्पतालों में काम करते हैं. जब अस्पतालों से पूछा गया तो सबने कहा कि डॉक्टर यहां परमानेंट काम नहीं करते हैं और डॉक्टर ने अपने स्तर पर सर्टिफिकेट दिया है. डीएमसी की जांच में दोषी पाए जाने के बाद डॉक्टर हेमंत तिवारी का लाइसेंस एक साल के लिए रद्द कर दिया गया.
अनियमितता पर होगी कानूनी कार्रवाईः डॉ. गिरिश त्यागी ने बताया कि इस तरह की घटना को देखते हुए ही डीएमसी ने मेडिकल सर्टिफिकेट की अवधि अब 15 दिनों तक कर दी है. डॉक्टर सर्टिफिकेट जारी करने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन नंबर और अस्पताल की मुहर का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में अगर किसी डॉक्टर ने चिकित्सा प्रमाण-पत्र जारी करने में अनियमितता बरती तो अब उस पर कानूनी कार्रवाई भी होगी. डॉक्टर मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार करने के लिए अस्पताल के लेटरहेड और स्टैंप का अनधिकृत उपयोग नहीं कर सकते हैं.