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डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान पेट में छोड़ी रुई, उपभोक्ता फोरम ने लगाया पांच लाख का जुर्माना

एक डॉक्टर ने इलाज के दौरान मरीज के पेट में रुई छोड़ दी. जिसके बाद मरीज की हालत खराब हो गई. अब उस अस्पताल पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगा है, ये रुपये पीड़ित मरीज को देने के लिए कहा गया है. पूरा माजरा जानने के लिए पढ़िये ख़बर

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Published : Sep 16, 2021, 10:44 PM IST

लापरवाही
लापरवाही

ग्वालियर: ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट में रुई छोड़ने वाले डॉक्टर पर जुर्माना लगा है. मामला ग्वालियर के मानसरोवर केयर मल्टी स्पेशलिटी एंड रिसर्च सेंटर का है. जहां एक डॉक्टर ने मरीज का इलाज करते हुए कॉटन पेट (Cotton in Patient's Stomach) में ही छोड़ दिया था. महिला ने डॉक्टर की शिकायत उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) में की. फोरम ने मानसरोवर केयर मल्टीस्पेशलिटी एंड रिसर्च सेंटर पर पौने पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. यह हर्जाना उपभोक्ता फोरम ने पीड़ित महिला को चुकाने के आदेश दिए हैं.

मामला क्या था ?

दरअसल भिंड निवासी ममता शर्मा को अत्यधिक ब्लीडिंग की शिकायत थी. इसका इलाज करवाने के लिए ममता ने 19 अगस्त 2017 को मानसरोवर अस्पताल के डॉ. विशाल यादव से इलाज करवाया. डॉक्टर के कहने पर ममता शर्मा की बच्चेदानी का ऑपरेशन करवा लिया, लेकिन ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ने रुई महिला के पेट में ही छोड़ दी और टांके लगा दिए. जिसके बाद महिला का स्वास्थ और खराब हो गया.

उपभोक्ता फोरम ने लगाया जुर्माना
उपभोक्ता फोरम ने लगाया जुर्माना

स्वास्थ्य खराब होने पर दूसरे अस्पताल किया रेफर

ऑपरेशन के बाद महिला का स्वास्थ्य खराब हुआ तो उसे कल्याण मेमोरियल हॉस्पिटल (Kalyan Memorial Hospital) में रेफर कर दिया गया. 10 दिन तक ममता का वहां इलाज चला. लेकिन अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी ममता के पेट में दर्द की शिकायत बनी रही. सात आठ महीने बाद ममता के पेट की आंते गल गई. जिससे उसे उल्टी और पेट में तेज दर्द होने लगा. जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया. जहां 26 अप्रैल 2018 को सर्जरी कर उसके पेट में छोड़े गए रुई के टुकड़े को निकाला गया.

महिला को अस्पताल देगा 4 लाख 70 हजार रुपए

ऑपरेशन के दौरान लापरवाही के कारण महिला को आर्थिक और मानसिक कष्ट उठाना पड़ा. इसके बाद महिला के परिजनों ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई. जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायतकर्ता को इलाज में हुई लापरवाही के कारण होने वाला खर्च और दूसरे ऑपरेशन के लिए डेढ़ लाख क्षतिपूर्ति के रूप में देने के आदेश दिए. इसके अलावा शारीरिक और मानसिक रूप से उठाए गए कष्ट के लिए तीन लाख रुपए 15 दिन के भीतर महिला को अदा करने के निर्देश मानसरोवर हॉस्पिटल को दिए. 15 दिन में क्षतिपूर्ति राशि अदा नहीं करने पर 7% वार्षिक ब्याज भी अदा करने का आदेश दिया गया है.

ये भी पढ़ें: बड़ी लापरवाही : 2 महीने 24 दिन बाद मृत महिला को लगा वैक्सीन का दूसरा डोज

ग्वालियर: ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट में रुई छोड़ने वाले डॉक्टर पर जुर्माना लगा है. मामला ग्वालियर के मानसरोवर केयर मल्टी स्पेशलिटी एंड रिसर्च सेंटर का है. जहां एक डॉक्टर ने मरीज का इलाज करते हुए कॉटन पेट (Cotton in Patient's Stomach) में ही छोड़ दिया था. महिला ने डॉक्टर की शिकायत उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) में की. फोरम ने मानसरोवर केयर मल्टीस्पेशलिटी एंड रिसर्च सेंटर पर पौने पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. यह हर्जाना उपभोक्ता फोरम ने पीड़ित महिला को चुकाने के आदेश दिए हैं.

मामला क्या था ?

दरअसल भिंड निवासी ममता शर्मा को अत्यधिक ब्लीडिंग की शिकायत थी. इसका इलाज करवाने के लिए ममता ने 19 अगस्त 2017 को मानसरोवर अस्पताल के डॉ. विशाल यादव से इलाज करवाया. डॉक्टर के कहने पर ममता शर्मा की बच्चेदानी का ऑपरेशन करवा लिया, लेकिन ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ने रुई महिला के पेट में ही छोड़ दी और टांके लगा दिए. जिसके बाद महिला का स्वास्थ और खराब हो गया.

उपभोक्ता फोरम ने लगाया जुर्माना
उपभोक्ता फोरम ने लगाया जुर्माना

स्वास्थ्य खराब होने पर दूसरे अस्पताल किया रेफर

ऑपरेशन के बाद महिला का स्वास्थ्य खराब हुआ तो उसे कल्याण मेमोरियल हॉस्पिटल (Kalyan Memorial Hospital) में रेफर कर दिया गया. 10 दिन तक ममता का वहां इलाज चला. लेकिन अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी ममता के पेट में दर्द की शिकायत बनी रही. सात आठ महीने बाद ममता के पेट की आंते गल गई. जिससे उसे उल्टी और पेट में तेज दर्द होने लगा. जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया. जहां 26 अप्रैल 2018 को सर्जरी कर उसके पेट में छोड़े गए रुई के टुकड़े को निकाला गया.

महिला को अस्पताल देगा 4 लाख 70 हजार रुपए

ऑपरेशन के दौरान लापरवाही के कारण महिला को आर्थिक और मानसिक कष्ट उठाना पड़ा. इसके बाद महिला के परिजनों ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई. जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायतकर्ता को इलाज में हुई लापरवाही के कारण होने वाला खर्च और दूसरे ऑपरेशन के लिए डेढ़ लाख क्षतिपूर्ति के रूप में देने के आदेश दिए. इसके अलावा शारीरिक और मानसिक रूप से उठाए गए कष्ट के लिए तीन लाख रुपए 15 दिन के भीतर महिला को अदा करने के निर्देश मानसरोवर हॉस्पिटल को दिए. 15 दिन में क्षतिपूर्ति राशि अदा नहीं करने पर 7% वार्षिक ब्याज भी अदा करने का आदेश दिया गया है.

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