बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 13 वर्षीय एक बलात्कार पीड़िता के 25 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दे दी है, जो यहां के एक सरकारी अस्पताल के चिकित्कों की सलाह पर निर्भर करेगा. उच्च न्यायालय ने कहा कि पीड़िता की जांच करने और इस तरह की प्रक्रिया से उसकी जान को खतरे का आकलन करने के बाद, इस विषय पर चिकित्सक निर्णय लेने वाला प्राधिकारी होगा.
उच्च न्यायालय ने हाल में एक आदेश में कहा, 'यह प्रक्रिया उस डॉक्टर के आगे की जांच पर निर्भर करता है, जिसे इस तरह की प्रक्रिया करनी है. अगर डॉक्टर को ऐसा लगेगा कि इस प्रक्रिया से याचिकाकर्ता के जीवन को नुकसान पहुंच सकता है, तो वह इस बारे में निर्णय लेने वाला अंतिम प्राधिकारी होगा कि इस तरह की प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ना है, या नहीं.'
अदालत ने कहा कि स्थानीय पुलिस द्वारा पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों को घर से अस्पताल ले जाया जाएगा और फिर वापस घर छोड़ा जाएगा. न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने अस्पताल के अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रक्रिया की लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी और यदि प्रक्रिया पूरी की जाती है, तो मामले में भविष्य में की जाने वाली डीएनए जांच के लिए भ्रूण को संरक्षित रखा जाए.
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अदालत ने कहा कि ऊतक के नमूने को अस्पताल द्वारा बेंगलुरु या हैदराबाद स्थित केंद्रीय फॉरेंसिक जांच प्रयोगशाला में संरक्षण के लिए भेजा जाएगा. उच्च न्यायालय ने इसी तरह के एक मामले में अदालत के पहले के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि प्रक्रिया को गर्भपात कानून (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स, 1971) के अनुसार पूरा किया जाएगा. पीड़िता ने अपनी मां के जरिये एक याचिका के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। मई 2022 में पीड़िता के साथ दुष्कर्म की घटना हुई थी.
(पीटीआई-भाषा)