जयपुर. मशहूर फिल्म अभिनेता आमिर खान की एक फिल्म में उन्होंने एलियन का किरदार निभाते हुए ये सवाल उठाया था कि शरीर पर कौन सा ठप्पा लगा है, जो यह तय करेगा कि वो हिंदू है या मुसलमान. वाकई ऐसा कोई ठप्पा किसी के शरीर पर नहीं लगा होता और ना ही उन दो मासूमों के शरीर पर है, जो सांगानेरी गेट महिला अस्पताल में अदला-बदली हो गए. इनमें से एक के परिजन मुस्लिम हैं और दूसरे के हिंदू. ऐसे में अब डीएनए जांच कराई (DNA paternity test in Jaipur) जाएगी, जो यह तय करेगी कि इन मासूमों में से कौन हिंदू होगा और कौन मुसलमान?.
सांगानेरी गेट स्थित महिला अस्पताल के डॉक्टर्स की लापरवाही की वजह से दो मासूमों का मजहब क्या होगा, ये सवाल खड़ा हो गया है. घाटगेट निवासी रेशमा और करौली निवासी निशा की यहां डिलीवरी हुई. अस्पताल प्रशासन की मानें तो निशा ने पुत्र और रेशमा ने पुत्री को जन्म दिया था. लेकिन दोनों बच्चों के गलत टैग लगने की वजह से बच्चों की अदला-बदली हो गई. 3 दिन बाद जब गलती का पता चला, तो दोनों बच्चों के परिजनों को इसकी सूचना दी गई. लेकिन रेशमा के परिजन बच्ची को लेने से इनकार कर रहे हैं. फिलहाल दोनों बच्चों को नर्सरी में रखा गया है और मामले को सुलझाने के लिए बनी 6 चिकित्सकों की जांच कमेटी ने दोनों बच्चों का डीएनए टेस्ट कराने का फैसला लेते हुए इस संबंध में लाल कोठी पुलिस थाने को लिखा है.
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डीएनए एनालिसिस रिपोर्ट आने के बाद ही प्रसूताओं और बच्चों को डिस्चार्ज किया जाएगा. अस्पताल अधीक्षक आशा वर्मा का कहना है कि ये मानवीय भूल है. अस्पताल प्रशासन ने खुद अपनी गलती को पकड़ा है. अस्पताल में 50 से 70 डिलीवरी हर दिन होती है. हालांकि ऐसा प्रकरण उनके संज्ञान में पहली बार आया है. इस तरह की चूक दोबारा ना हो इसको लेकर कमेटी के सदस्यों ने कुछ सुझाव दिए हैं, उनको लागू किया जाएगा.
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बहरहाल, डीएनए जांच रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय हो पाएगा कि रेशमा के पति मोहम्मद इरफान जिनके पहले ही दो बेटी हैं, उसने जिस बच्चे को मोहम्मद अली नाम दिया है, क्या वो बच्चा उसका है. या निशा के पति मोतीलाल जिस बच्चे का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं वो बच्चा लड़का है या लड़की. यही टेस्ट यह भी तय करेगा कि इनमें से कौन हिंदू होगा और कौन मुसलमान.