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बच्चे बदलने का मामलाः डीएनए टेस्ट तय करेगा ’कौन होगा हिंदू, कौन होगा मुसलमान’

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Published : Sep 7, 2022, 6:51 PM IST

राजस्थान की राजधानी जयपुर के सांगानेरी गेट स्थित महिला अस्पताल के डॉक्टर्स की लापरवाही की वजह से दो मासूम अपने-अपने माता-पिता से दूर हैं. दोनों बच्चों की डिलवरी पर गलत टैग लगने से यह तय नहीं हो पा रहा है कौनसा बच्चा किसका है. इनमें से एक बच्चे के के परिजन हिन्दू हैं और दूसरे के मुस्लिम. अब अस्पताल ने दोनों बच्चों के असल माता-पिता तय करने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया (DNA test to decide child parents) है. इसके बाद ही तय हो पाएगा कि इनमें से कौन हिंदू होगा और कौन मुसलमान.

Negligence of Jaipur hospital, No takers of baby girl born in hospital
डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया.

जयपुर. मशहूर फिल्म अभिनेता आमिर खान की एक फिल्म में उन्होंने एलियन का किरदार निभाते हुए ये सवाल उठाया था कि शरीर पर कौन सा ठप्पा लगा है, जो यह तय करेगा कि वो हिंदू है या मुसलमान. वाकई ऐसा कोई ठप्पा किसी के शरीर पर नहीं लगा होता और ना ही उन दो मासूमों के शरीर पर है, जो सांगानेरी गेट महिला अस्पताल में अदला-बदली हो गए. इनमें से एक के परिजन मुस्लिम हैं और दूसरे के हिंदू. ऐसे में अब डीएनए जांच कराई (DNA paternity test in Jaipur) जाएगी, जो यह तय करेगी कि इन मासूमों में से कौन हिंदू होगा और कौन मुसलमान?.

सांगानेरी गेट स्थित महिला अस्पताल के डॉक्टर्स की लापरवाही की वजह से दो मासूमों का मजहब क्या होगा, ये सवाल खड़ा हो गया है. घाटगेट निवासी रेशमा और करौली निवासी निशा की यहां डिलीवरी हुई. अस्पताल प्रशासन की मानें तो निशा ने पुत्र और रेशमा ने पुत्री को जन्म दिया था. लेकिन दोनों बच्चों के गलत टैग लगने की वजह से बच्चों की अदला-बदली हो गई. 3 दिन बाद जब गलती का पता चला, तो दोनों बच्चों के परिजनों को इसकी सूचना दी गई. लेकिन रेशमा के परिजन बच्ची को लेने से इनकार कर रहे हैं. फिलहाल दोनों बच्चों को नर्सरी में रखा गया है और मामले को सुलझाने के लिए बनी 6 चिकित्सकों की जांच कमेटी ने दोनों बच्चों का डीएनए टेस्ट कराने का फैसला लेते हुए इस संबंध में लाल कोठी पुलिस थाने को लिखा है.

डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया.

पढ़ें: अस्पताल की लापरवाही नवजातों पर भारी: दो मासूम 72 घंटे से मां के आंचल से दूर, जानिए क्यों

डीएनए एनालिसिस रिपोर्ट आने के बाद ही प्रसूताओं और बच्चों को डिस्चार्ज किया जाएगा. अस्पताल अधीक्षक आशा वर्मा का कहना है कि ये मानवीय भूल है. अस्पताल प्रशासन ने खुद अपनी गलती को पकड़ा है. अस्पताल में 50 से 70 डिलीवरी हर दिन होती है. हालांकि ऐसा प्रकरण उनके संज्ञान में पहली बार आया है. इस तरह की चूक दोबारा ना हो इसको लेकर कमेटी के सदस्यों ने कुछ सुझाव दिए हैं, उनको लागू किया जाएगा.

पढ़ें: जेके लोन अस्पताल में बच्चों की अदला-बदली, 5 घंटे की मशक्कत के बाद वापस परिजनों खुद का बच्चा

बहरहाल, डीएनए जांच रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय हो पाएगा कि रेशमा के पति मोहम्मद इरफान जिनके पहले ही दो बेटी हैं, उसने जिस बच्चे को मोहम्मद अली नाम दिया है, क्या वो बच्चा उसका है. या निशा के पति मोतीलाल जिस बच्चे का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं वो बच्चा लड़का है या लड़की. यही टेस्ट यह भी तय करेगा कि इनमें से कौन हिंदू होगा और कौन मुसलमान.

जयपुर. मशहूर फिल्म अभिनेता आमिर खान की एक फिल्म में उन्होंने एलियन का किरदार निभाते हुए ये सवाल उठाया था कि शरीर पर कौन सा ठप्पा लगा है, जो यह तय करेगा कि वो हिंदू है या मुसलमान. वाकई ऐसा कोई ठप्पा किसी के शरीर पर नहीं लगा होता और ना ही उन दो मासूमों के शरीर पर है, जो सांगानेरी गेट महिला अस्पताल में अदला-बदली हो गए. इनमें से एक के परिजन मुस्लिम हैं और दूसरे के हिंदू. ऐसे में अब डीएनए जांच कराई (DNA paternity test in Jaipur) जाएगी, जो यह तय करेगी कि इन मासूमों में से कौन हिंदू होगा और कौन मुसलमान?.

सांगानेरी गेट स्थित महिला अस्पताल के डॉक्टर्स की लापरवाही की वजह से दो मासूमों का मजहब क्या होगा, ये सवाल खड़ा हो गया है. घाटगेट निवासी रेशमा और करौली निवासी निशा की यहां डिलीवरी हुई. अस्पताल प्रशासन की मानें तो निशा ने पुत्र और रेशमा ने पुत्री को जन्म दिया था. लेकिन दोनों बच्चों के गलत टैग लगने की वजह से बच्चों की अदला-बदली हो गई. 3 दिन बाद जब गलती का पता चला, तो दोनों बच्चों के परिजनों को इसकी सूचना दी गई. लेकिन रेशमा के परिजन बच्ची को लेने से इनकार कर रहे हैं. फिलहाल दोनों बच्चों को नर्सरी में रखा गया है और मामले को सुलझाने के लिए बनी 6 चिकित्सकों की जांच कमेटी ने दोनों बच्चों का डीएनए टेस्ट कराने का फैसला लेते हुए इस संबंध में लाल कोठी पुलिस थाने को लिखा है.

डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया.

पढ़ें: अस्पताल की लापरवाही नवजातों पर भारी: दो मासूम 72 घंटे से मां के आंचल से दूर, जानिए क्यों

डीएनए एनालिसिस रिपोर्ट आने के बाद ही प्रसूताओं और बच्चों को डिस्चार्ज किया जाएगा. अस्पताल अधीक्षक आशा वर्मा का कहना है कि ये मानवीय भूल है. अस्पताल प्रशासन ने खुद अपनी गलती को पकड़ा है. अस्पताल में 50 से 70 डिलीवरी हर दिन होती है. हालांकि ऐसा प्रकरण उनके संज्ञान में पहली बार आया है. इस तरह की चूक दोबारा ना हो इसको लेकर कमेटी के सदस्यों ने कुछ सुझाव दिए हैं, उनको लागू किया जाएगा.

पढ़ें: जेके लोन अस्पताल में बच्चों की अदला-बदली, 5 घंटे की मशक्कत के बाद वापस परिजनों खुद का बच्चा

बहरहाल, डीएनए जांच रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय हो पाएगा कि रेशमा के पति मोहम्मद इरफान जिनके पहले ही दो बेटी हैं, उसने जिस बच्चे को मोहम्मद अली नाम दिया है, क्या वो बच्चा उसका है. या निशा के पति मोतीलाल जिस बच्चे का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं वो बच्चा लड़का है या लड़की. यही टेस्ट यह भी तय करेगा कि इनमें से कौन हिंदू होगा और कौन मुसलमान.

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