जयपुर. देश की स्टार घुड़सवार दिव्यकृति सिंह को घुड़सवारी खेल में गोल्ड मेडल जीतने के बाद अब अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. इस खेल में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित होने वाली वे देश की पहली महिला खिलाड़ी हैं. 31 साल बाद एशियन गेम्स में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली दिव्यकृति सिंह से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. दिव्यकृति ने कहा कि ये अवॉर्ड मिलना एक सपना पूरा होने जैसा है.
घुड़सवारी में अर्जुन अवॉर्ड पाने वाली देश की पहली महिला : जयपुर की दिव्यकृति सिंह के नाम एक और कीर्तिमान जुड़ गया है. हाल ही में एशियाई खेलों में घुड़सवारी खेल में गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम का हिस्सा रहीं दिव्यकृति सिंह को अब अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. घुड़सवारी खेल में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित होने वाली दिव्यकृति भारत की पहली और एकमात्र महिला हैं.
भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय ने इस साल के लिए प्रतिष्ठित अर्जुन अवॉर्ड की घोषणा की है. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस खानविलकर की अध्यक्षता में बनी समिति ने दिव्यकृति का चयन किया.
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अर्जुन अवॉर्ड के लिए चयनित होने पर दिव्यकृति ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि ये एक सुखद अनुभव है. इसके लिए में अपने उन घोड़ों का धन्यवाद देना चाहती हूं, जो हमेशा मेरी सफलता का माध्यम बने. इसके साथ दिव्यकृति अपने कोच का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुकाम तक पहुंचने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. दिव्यकृति ने कहा कि एशियन गेम्स में भारत ने आखिरी बार 1986 में कांस्य पदक जीता था , उसके बाद 2023 में हांगझाऊ में आयोजित एशियन गेम्स में हमने गोल्ड मेडल जीता. 31 साल बाद देश को स्वर्णिम सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि ड्रेसाज के 'इक्वेस्ट्रियन डिसिप्लिन' में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मैंने अपना अब तक का बेस्ट दिया और इससे सफलता मिली.
हार नहीं माननी चाहिए : दिव्यकृति ने कहा कि कोई भी गेम हो, उसमें सफलता और विफलता आती रहती है. कई बार ऐसा भी समय आता है जब लगता है कि अब कैसे होगा, मेरे साथ भी ऐसा कई बार हुआ, पर मैंने हार नहीं मानी. मैं युवाओं से यही कहना चाहती हूं कि हार नहीं माननी है, लक्ष्य के पीछे मेहनत करिए हम हर हाल में सफल होंगे. हार से घबराएं नहीं, हार हमें सिखाती है, कमियों को पहचानों और प्रयास में कहीं जरा सी भी कमी है तो उस कमी को दूर करो और सफलता आपके सामने खड़ी है.
लड़कियों को लेकर मेरा यही कहना है कि वो अपने सपने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ें. मेरा परिजनों से यही कहना है कि वे अपने बच्चों पर भरोसा रखें, उन्हें खेलने का मौका दें, वह उनका और देश का नाम रोशन करेंगे. दिव्यकृति ने कहा कि घुड़सवारी में यह सम्मान पाने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनना भी मेरे लिए गर्व की बात है. मेरे परिजनों ने मेरा हमेशा समर्थन किया. यह अवॉर्ड मैं कोच, मम्मी, पापा, भाई और मेरी पूरी टीम को समर्पित करना चाहती हूं. मेरा प्रिय घोड़ा भी मेरी इस कामयाबी में बराबर का हिस्सेदार है.
तीन साल से थी घर से दूर : दिव्यकृति ने पिछले तीन वर्ष से जर्मनी में हेगन के प्रसिद्ध हॉफ कैसलमैन ड्रेसाज यार्ड में अपने कौशल को निखारा है. हांगझाऊ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहीं. पिछले महीने सऊदी अरब में ड्रेसाज प्रतियोगिता में एक व्यक्तिगत रजत और दो कांस्य जीते. दिव्यकृति ने कहा कि बड़ा मुश्किल होता है, जब आप घर से दूर होते हो, अपनों से दूर होते हो लेकिन सपने को सच करने के लिए इन सब परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मैं पिछले 3 साल से अपने घर परिवार से दूर विदेश में अपनी तैयारी कर रही हूं, और मुझे अच्छा लगा कि उसे तैयारी का मुझे फल मिला और अर्जुन अवार्ड के लिए मुझे चयनित किया गया. जर्मनी में अभ्यास करने वाली दिव्यकृति ने कहा एशियन गेम्स में अच्छे प्रदर्शन के बाद अब आगामी एशियन चैंपियनशिप, एशियन गेम्स और ओलंपिक की तैयारी के लिए मैं जनवरी से ट्रेनिंग शुरू कर दूंगी.