पटना : बिहार में भाजपा और जदयू के बीच सियासी उठापटक चरम पर है. एनडीए के सहयोगी जीतन राम मांझी गाहे-बगाहे अपने बयानों से भाजपा और जदयू के लिए असहज स्थिति बनाए रखते हैं. इधर, लॉकडाउन के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के पटना लौटने की उम्मीद है. राजद का दावा है कि लालू के लौटते ही बिहार में बड़ा सियासी बदलाव देखने को मिल सकता है.
लालू यादव जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद से दिल्ली में मीसा भारती के आवास पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. बिहार में लॉकडाउन खत्म होने के बाद लालू के पटना लौटने की उम्मीद जताई जा रही है. इन सबके बीच राष्ट्रीय जनता दल का दावा है कि भाजपा और जदयू की आपसी लड़ाई बिहार में संभावित सत्ता परिवर्तन की कहानी खुद बयां कर रही है.
पहले भी कमाल कर चुके हैं लालू
विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीट चाहिए. एनडीए के पास अभी 128 सीटें हैं. इससे पहले बिहार की सियासत में लालू क्या कर सकते हैं, 2015 में वे दिखा चुके हैं. उन्होंने नीतीश से हाथ मिलाकर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई थी. उसके बाद 2020 में तेजस्वी को आगे कर विधानसभा चुनाव में लालू ने सबसे बड़ी पार्टी के रूप में राजद को फिर से स्थापित कर दिया. वह महागठबंधन की सरकार बनाने के लिए चुनाव बाद से ही दांवपेंच में लगे हैं. यही वजह है कि लालू यादव का पटना पहुंचना बिहार में बड़े सियासी बदलाव की वजह बन सकता है.
राजद का दावा- ज्यादा दिन नहीं चलेगी सरकार
राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि 'बिहार में बीजेपी और जदयू की आपसी लड़ाई चरम पर है. मांझी भी बार-बार कभी नरेंद्र मोदी तो कभी नीतीश कुमार पर हमला बोलते रहते हैं. यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चलने वाली. बस लालू यादव के पटना पहुंचने की देर है. बीजेपी एमएलसी टुन्ना पांडेय तो सिर्फ एक उदाहरण हैं. ऐसे कई बीजेपी और जदयू नेता हैं जो अपनी अनदेखी से नाराज हैं.'
बिहार की सियासत को नजदीक से देखने और समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि लालू किंग मेकर रहे हैं. बिहार की सियासत में लालू की भूमिका से कोई इनकार नहीं कर सकता. वर्तमान राजनीतिक हालात में एनडीए और महागठबंधन की विधायक संख्या में कोई बड़ा अंतर नहीं है.
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राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि 'पटना लौटने के बाद लालू कोई धार्मिक कार्य में लगने वाले नहीं हैं. वह सियासी जोड़-तोड़ में लगेंगे. जिस तरह की रस्साकशी जीतन राम मांझी, मुकेश सहनी, बीजेपी और जदयू के बीच चल रही है, वह कहीं ना कहीं इस बात का संकेत है कि एनडीए सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है. इसका फायदा लालू आने वाले वक्त में उठा सकते हैं.'