नई दिल्ली : कर्नाटक हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज छठे दिन सुनवाई हुई. वरिष्ठ अधिवक्ता जयन कोठारी ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष तर्क दिए. याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत को बताया कि सभी दुनिया में अदालतें हैं और आबादी का एक बड़ा हिस्सा हिजाब को अपनी सांस्कृतिक प्रथा के रूप में पहचानता है. हम भी इसी का हिस्सा हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नियम कहते हैं कि शैक्षणिक संस्थानों को वर्दी निर्धारित करने का अधिकार है.
अरोड़ा ने तर्क दिया कि हम अपने देश में बहुसंख्यक हैं लेकिन दूसरे देशों में अल्पसंख्यक हैं इसलिए हम अपने धर्म या संस्कृति के प्रतीक जैसे धागा पहनते हैं, लाल तिलक लगाते हैं, भले ही लोग हमसे वहां सवाल करें. इसी तरह के मुसलमानों को भी हिजाब पहनने का अधिकार है.
याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए अधिवक्ता शोएब आलम ने तर्क दिया, 'लोगों का एक वर्ग है जो मानता है कि लोगों की भावना और गरिमा कपड़ों से जुड़ी होती है, यह नहीं कहा जा सकता है कि गरिमा को सुरक्षित करने के लिए कितना कवर किया जाए.'
सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने तर्क दिया कि बच्चों को धर्म और संस्कृति के बारे में सिखाने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता है कि उनके सहपाठियों ने उन्हें हिजाब जैसे प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया. गोंजाल्विस ने तर्क दिया कि पगड़ी और कृपाण संवैधानिक और वैधानिक रूप से संरक्षित हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हिजाब पर सवाल उठाया जा सकता है और प्रतिबंधित किया जा सकता है.
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि हिजाब अनुच्छेद 19 के तहत व्यक्त करने के अधिकार का हिस्सा है और अनुच्छेद 19 के अपवाद शालीनता, सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता का किसी भी तरह से हिजाब के माध्यम से उल्लंघन नहीं किया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर पोशाक का अधिकार स्वयं की अभिव्यक्ति है तो इस सवाल पर संविधान पीठ को फैसला करना चाहिए.
सिब्बल ने तर्क दिया, 'मैं 10 साल या 15 साल से हिजाब पहन रहा हूं. यह मेरे व्यक्तित्व का हिस्सा है, आप इसे नष्ट नहीं कर सकते. कोर्ट मामले की सुनवाई 19 सितंबर को दोपहर 2 बजे से जारी रखेगी. आज सुनवाई का छठा दिन था और याचिकाकर्ताओं के पक्ष में कई अधिवक्ताओं को समय सीमा दी गई जिसमें उन्हें तर्क समाप्त करना है. याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें आज समाप्त की जानी थीं, लेकिन इसके 2 दिनों तक चलने की संभावना है और फिर राज्य अपनी दलीलें देना शुरू कर देगा.
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