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पंजाब कांग्रेस में कलह जारी, सिद्धू ने की सत्र बढ़ाने की मांग, विपक्षियों ने हां में हां मिलाई

पंजाब कांग्रेस में अंर्तकलह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. हरीश रावत द्वारा कैप्टन अमरिंदर सिंह को सन 2022 का सीएम चेहरा कहे जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे के विधायक नाराज हो गए हैं और परगट सिंह ने खुलकर नाराजगी जताते हुए कहा कि हरीश रावत कौन होते हैं सीएम चेहरा घोषित करने वाले? यह पार्टी हाईकमान का काम है.

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Published : Aug 30, 2021, 9:19 PM IST

चंडीगढ़ : सिद्धू खेमे के विधायक की बयानबाजी के बाद हरीश रावत को हाईकमान ने दोनों गुटों के बीच सुलह कराने की जिम्मेदारी सौंपी है. इसके बाद रावत थोड़े से नरम पड़े और उन्होंने कहा कि पंजाब में चुनाव राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे. पंजाब में काफी नामी चेहरे हैं जिनमें कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं, नवजोत सिंह सिद्धू हैं और वह परगट सिंह भी हो सकते हैं.

यह कहीं न कहीं वह कोशिश है कि अंतर्कलह को खत्म किया जाए. वहीं दूसरी तरफ डिनर डिप्लोमेसी की बात करें तो इसके बाद कैप्टन आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आ रहे हैं कि उनके पास विधायकों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में बहुमत साबित करने पर मुख्यमंत्री को भी समर्थन मिलेगा.

पंजाब कांग्रेस के बीच चल रहे क्लेश पर अकाली दल के नेता कर्मवीर गोराया ने कहा कि पंजाब कांग्रेस का क्लेश ऐसे ही चलना है क्योंकि कांग्रेस हाईकमान दोनों को एक साथ चलाना चाहता है. वे दोनों को अपने हाथों में रखना चाहते हैं. ऐसे में यह क्लेश कभी खत्म नहीं होगा. वहीं दोनों गुट अपनी-अपनी तैयारी कर रहे हैं.

आम आदमी पार्टी के नेता नील गर्ग ने कहा कि पंजाब सरकार में चल रहे क्लेश के तहत पंजाब के जो असल मुद्दे हैं वे कहीं पीछे रह गए हैं. अखबारों की सुर्खियां सिर्फ इनके झगड़े और बयानबाजी से भरी रहती हैं. जिस तरह से लगातार कैप्टन अमरिंदर सिंह का विरोध हो रहा है, ऐसे में आम आदमी पार्टी पहले ही राज्यपाल से मुलाकात कर फ्लोर टेस्ट के लिए कह चुकी है. कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी अपना बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट दे देना चाहिए क्योंकि हाईकमान कई बार सुलह करवा चुकी है लेकिन नाकामयाबी नहीं मिली है.

पंजाब कांग्रेस के प्रवक्ता जीएस बाली ने कहा कि बहुत अच्छा होगा कि विचारधाराओं का जो अंतर कांग्रेस पार्टी में आ गया है, हरीश रावत उसे दूर कर पाएं लेकिन जो वादे थे वह पूरे नहीं हुए हैं. मुख्यमंत्री ने जो वादे पूरे नहीं किए उसका जबाब कैसे कांग्रेस के विधायक देंगे. वे कैसे जनता को जबाब देंगे. लड़ाई सिर्फ इन वादों को पूरा न करने की है. इसलिए काम को लेकर विचार अलग है.

सिद्धू के आने से पार्टी खड़ी हो गई है नहीं तो पार्टी टूट सकती है. मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह के होते हुए यह वादे पूरे नहीं हो पाएंगे. मुख्यमंत्री के नेतृत्व पंजाब में चुनाव नहीं लड़ने चाहिए. वे 60 एमएलए पंजाब में कांग्रेस को जीता सकते है क्या? पार्टी में 30 लाख कांग्रेसी कार्यकर्ता हैं जो पार्टी से नाराज चल रहे थे लेकिन नवजोत सिद्धू के आने से पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा पैदा हुई है, वे खुश हैं.

बीजेपी नेता हरजीत गरेवाल ने कहा कि यह वैसे तो अंदरूनी मामला है. पिछले दिनों नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार मालविंदर माली ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि हरीश रावत आते हैं और पैसों का बैग लेकर चले जाते हैं. यह बहुत गंभीर बात है और यह जांच का विषय है. कांग्रेस किसी मर्यादा की पालन नहीं कर रही है. कांग्रेस पंजाब में दो फाड़ हो गई है और सरकार को प्रमाणिकता साबित करना जरूरी है.

यह भी पढ़ें-पंजाब कांग्रेस में नहीं थम रहा सियासी तूफान, राज्य प्रभारी बोले 'ऑल इज वेल'

कांग्रेस अमरिंदर सिंह और कांग्रेस इंदिरा, सिद्धू, राहुल गांधी और प्रियंका चला रहे हैं. यह बस कुर्सी की लड़ाई लड़ रहे हैं. जिसका सार यह है कि पंजाब में कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब है. पंजाब पहले ही आर्थिक तौर पर कमजोर हो गया है. वहीं किसान आंदोलन की वजह से पंजाब में आने वाली इन्वेस्टमेंट भी जा रही है और कोई नई इन्वेस्टमेंट नहीं आ रही है. पंजाब में माहौल खराब होता जा रहा है.

नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के बाद भी अपनी सरकार के खिलाफ लगातार बोलते दिखाई दिए हैं. सोमवार सुबह भी उन्होंने एक ट्वीट करके सरकार से मांग की है कि पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र 5 से 7 दिन बढ़ाया जाना चाहिए और इसमें निजी बिजली समझौते रद्द किए जाने को लेकर प्रस्ताव पास किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जहां हम लोगों को 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त दे पाएंगे वहीं घरेलू स्तर पर बिजली के रेट ₹3 और औद्योगिक क्षेत्र के लिए ₹5 भी दे सकेंगे.

पंजाब कैबिनेट मंत्री अरुणा चौधरी ने कहा कि देखना चाहिए अगर जरूरत है किसी बात को लेकर तो अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है लेकिन अगर कोई जरूरत नहीं लगती तो सरकार पर बिना वजह का बोझ ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हालांकि इसका अंतिम फैसला लेना पार्लिमेंट अफेयर कमेटी का है और वह इस पर अपना फैसला लेगी.

आम आदमी पार्टी प्रवक्ता अनिल गर्ग ने कहा कि आम आदमी पार्टी खुद चाहती है कि बिजली समझौते रद्द किए जाएं और इसको लेकर पंजाब विधानसभा में भी बात होनी चाहिए. पंजाब विधानसभा को अधिकार भी है कि वह समझौते रद्द करके लोगों को राहत दे. उन्होंने कहा जहां तक नवजोत सिंह सिद्धू का सवाल है तो यह सिर्फ बोलते ही हैं करते कुछ नहीं हैं.

शिरोमणि अकाली दल प्रवक्ता कर्मवीर सिंह गोराया ने कहा कि पंजाब विधानसभा में उन तमाम मुद्दों को लेकर चर्चा होनी चाहिए जिन्हें विधायक उठाना चाहते हैं इसलिए हम भी चाहते हैं कि विधानसभा सत्र की अवधि बढ़ाई जाए.

यह भी पढे़ं-पंजाब कांग्रेस में जब से आए 'गुरू' तब से कैप्टन का 'खेला' शुरू, चली अब ये शातिर चाल

बहरहाल पंजाब विधानसभा की तरफ से 1 दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है और यह सत्र 3 सितंबर के दिन श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400 साला प्रकाश पूरब को समर्पित किया गया है. लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा किए गए ट्वीट के बाद इस सत्र की अभी बढ़ाए जाने और उनमें बिजली समझौते को लेकर चर्चा करने की बात किए जाने के बाद इस विशेष सत्र ने पंजाब की राजनीति में नया मोड़ ले लिया है.

देखना होगा कि नवजोत सिंह सिद्धू और विरोधी पार्टियों की मांग के बाद पंजाब सरकार इस सत्र की अवधि बढ़ाकर इन मुद्दों पर चर्चा करती है या नहीं.

चंडीगढ़ : सिद्धू खेमे के विधायक की बयानबाजी के बाद हरीश रावत को हाईकमान ने दोनों गुटों के बीच सुलह कराने की जिम्मेदारी सौंपी है. इसके बाद रावत थोड़े से नरम पड़े और उन्होंने कहा कि पंजाब में चुनाव राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे. पंजाब में काफी नामी चेहरे हैं जिनमें कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं, नवजोत सिंह सिद्धू हैं और वह परगट सिंह भी हो सकते हैं.

यह कहीं न कहीं वह कोशिश है कि अंतर्कलह को खत्म किया जाए. वहीं दूसरी तरफ डिनर डिप्लोमेसी की बात करें तो इसके बाद कैप्टन आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आ रहे हैं कि उनके पास विधायकों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में बहुमत साबित करने पर मुख्यमंत्री को भी समर्थन मिलेगा.

पंजाब कांग्रेस के बीच चल रहे क्लेश पर अकाली दल के नेता कर्मवीर गोराया ने कहा कि पंजाब कांग्रेस का क्लेश ऐसे ही चलना है क्योंकि कांग्रेस हाईकमान दोनों को एक साथ चलाना चाहता है. वे दोनों को अपने हाथों में रखना चाहते हैं. ऐसे में यह क्लेश कभी खत्म नहीं होगा. वहीं दोनों गुट अपनी-अपनी तैयारी कर रहे हैं.

आम आदमी पार्टी के नेता नील गर्ग ने कहा कि पंजाब सरकार में चल रहे क्लेश के तहत पंजाब के जो असल मुद्दे हैं वे कहीं पीछे रह गए हैं. अखबारों की सुर्खियां सिर्फ इनके झगड़े और बयानबाजी से भरी रहती हैं. जिस तरह से लगातार कैप्टन अमरिंदर सिंह का विरोध हो रहा है, ऐसे में आम आदमी पार्टी पहले ही राज्यपाल से मुलाकात कर फ्लोर टेस्ट के लिए कह चुकी है. कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी अपना बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट दे देना चाहिए क्योंकि हाईकमान कई बार सुलह करवा चुकी है लेकिन नाकामयाबी नहीं मिली है.

पंजाब कांग्रेस के प्रवक्ता जीएस बाली ने कहा कि बहुत अच्छा होगा कि विचारधाराओं का जो अंतर कांग्रेस पार्टी में आ गया है, हरीश रावत उसे दूर कर पाएं लेकिन जो वादे थे वह पूरे नहीं हुए हैं. मुख्यमंत्री ने जो वादे पूरे नहीं किए उसका जबाब कैसे कांग्रेस के विधायक देंगे. वे कैसे जनता को जबाब देंगे. लड़ाई सिर्फ इन वादों को पूरा न करने की है. इसलिए काम को लेकर विचार अलग है.

सिद्धू के आने से पार्टी खड़ी हो गई है नहीं तो पार्टी टूट सकती है. मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह के होते हुए यह वादे पूरे नहीं हो पाएंगे. मुख्यमंत्री के नेतृत्व पंजाब में चुनाव नहीं लड़ने चाहिए. वे 60 एमएलए पंजाब में कांग्रेस को जीता सकते है क्या? पार्टी में 30 लाख कांग्रेसी कार्यकर्ता हैं जो पार्टी से नाराज चल रहे थे लेकिन नवजोत सिद्धू के आने से पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा पैदा हुई है, वे खुश हैं.

बीजेपी नेता हरजीत गरेवाल ने कहा कि यह वैसे तो अंदरूनी मामला है. पिछले दिनों नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार मालविंदर माली ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि हरीश रावत आते हैं और पैसों का बैग लेकर चले जाते हैं. यह बहुत गंभीर बात है और यह जांच का विषय है. कांग्रेस किसी मर्यादा की पालन नहीं कर रही है. कांग्रेस पंजाब में दो फाड़ हो गई है और सरकार को प्रमाणिकता साबित करना जरूरी है.

यह भी पढ़ें-पंजाब कांग्रेस में नहीं थम रहा सियासी तूफान, राज्य प्रभारी बोले 'ऑल इज वेल'

कांग्रेस अमरिंदर सिंह और कांग्रेस इंदिरा, सिद्धू, राहुल गांधी और प्रियंका चला रहे हैं. यह बस कुर्सी की लड़ाई लड़ रहे हैं. जिसका सार यह है कि पंजाब में कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब है. पंजाब पहले ही आर्थिक तौर पर कमजोर हो गया है. वहीं किसान आंदोलन की वजह से पंजाब में आने वाली इन्वेस्टमेंट भी जा रही है और कोई नई इन्वेस्टमेंट नहीं आ रही है. पंजाब में माहौल खराब होता जा रहा है.

नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के बाद भी अपनी सरकार के खिलाफ लगातार बोलते दिखाई दिए हैं. सोमवार सुबह भी उन्होंने एक ट्वीट करके सरकार से मांग की है कि पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र 5 से 7 दिन बढ़ाया जाना चाहिए और इसमें निजी बिजली समझौते रद्द किए जाने को लेकर प्रस्ताव पास किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जहां हम लोगों को 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त दे पाएंगे वहीं घरेलू स्तर पर बिजली के रेट ₹3 और औद्योगिक क्षेत्र के लिए ₹5 भी दे सकेंगे.

पंजाब कैबिनेट मंत्री अरुणा चौधरी ने कहा कि देखना चाहिए अगर जरूरत है किसी बात को लेकर तो अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है लेकिन अगर कोई जरूरत नहीं लगती तो सरकार पर बिना वजह का बोझ ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हालांकि इसका अंतिम फैसला लेना पार्लिमेंट अफेयर कमेटी का है और वह इस पर अपना फैसला लेगी.

आम आदमी पार्टी प्रवक्ता अनिल गर्ग ने कहा कि आम आदमी पार्टी खुद चाहती है कि बिजली समझौते रद्द किए जाएं और इसको लेकर पंजाब विधानसभा में भी बात होनी चाहिए. पंजाब विधानसभा को अधिकार भी है कि वह समझौते रद्द करके लोगों को राहत दे. उन्होंने कहा जहां तक नवजोत सिंह सिद्धू का सवाल है तो यह सिर्फ बोलते ही हैं करते कुछ नहीं हैं.

शिरोमणि अकाली दल प्रवक्ता कर्मवीर सिंह गोराया ने कहा कि पंजाब विधानसभा में उन तमाम मुद्दों को लेकर चर्चा होनी चाहिए जिन्हें विधायक उठाना चाहते हैं इसलिए हम भी चाहते हैं कि विधानसभा सत्र की अवधि बढ़ाई जाए.

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बहरहाल पंजाब विधानसभा की तरफ से 1 दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है और यह सत्र 3 सितंबर के दिन श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400 साला प्रकाश पूरब को समर्पित किया गया है. लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा किए गए ट्वीट के बाद इस सत्र की अभी बढ़ाए जाने और उनमें बिजली समझौते को लेकर चर्चा करने की बात किए जाने के बाद इस विशेष सत्र ने पंजाब की राजनीति में नया मोड़ ले लिया है.

देखना होगा कि नवजोत सिंह सिद्धू और विरोधी पार्टियों की मांग के बाद पंजाब सरकार इस सत्र की अवधि बढ़ाकर इन मुद्दों पर चर्चा करती है या नहीं.

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