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भाजपा मे रहने वालों को बलिदान करना होगा: दिलीप घोष - West Bengal

पश्चिम बंगाल (West Bengal) के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष (dilip ghosh) ने कहा है कि जो लोग बिना त्याग किए ही सत्ता का मजा लेना चाहते हैं, उन्हें पार्टी से जाने के लिए कहा जाएगा. उनका बयान ऐसे समय में आया है जब कि टीएमसी (tmc) छोड़कर भाजपा में आए कई नेता वापस टीएमसी में जाने की तैयारी में हैं.

दिलीप घोष
दिलीप घोष
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Published : Jun 13, 2021, 9:51 PM IST

कोलकाता : ऐसे में जब तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कई नेता पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद फिर से तृणमूल कांग्रेस (tmc) में जाने की तैयारी में हैं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष (dilip ghosh) ने रविवार को कहा कि जो लोग बिना त्याग किए सत्ता का आनंद लेना चाहते हैं, उन्हें जाने के लिए कहा जाएगा.

वहीं मेघालय के पूर्व राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय ने कई ट्वीट करके हाल ही में भाजपा से तृणमूल कांग्रेस में वापसी करने वाले मुकुल रॉय को 'ट्रोजन हॉर्स' (काठ का घोड़ा) बताया तथा मुकुल का करीबी होने के लिए भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर कटाक्ष किया.

घोष ने शुक्रवार को कहा था कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के जाने से बहुत फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि 'कुछ लोगों को पार्टियां बदलने की आदत होती है.'

उन्होंने बांग्ला भाषा में ट्वीट किया, 'अगर किसी को भाजपा में रहना है, तो उसे बलिदान देने होंगे. जो केवल सत्ता का आनंद लेना चाहते हैं, वे भाजपा में नहीं रह सकते. हम उन्हें नहीं रखेंगे.'पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा की बंगाल इकाई में उथल-पुथल का दौर चल रहा है क्योंकि पार्टी के भीतर आरोप-प्रत्यारोप जारी है.

पढ़ें - उप्र विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की सामाजिक समीकरण मजबूत करने के कोशिश

माना जाता है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता चुनाव के दौरान दरकिनार किए जाने और बाद में पार्टी मुख्यालय के निर्देश पर टीएमसी के नए नेताओं को लाए जाने से विक्षुब्ध थे और उनका मानना है कि बंगाल चुनावों को सही से नहीं संभालने की जिम्मेदारी न केवल दलबदुलओं पर है बल्कि राज्यों की राजनीति नहीं समझ पाने को लेकर भाजपा नेतृत्व पर भी है.

ऐसा तब हो रहा है जब टीएमसी के पूर्व नेताओं एवं कार्यकर्ताओं, जो भाजपा में शामिल हुए थे, ने अब अपनी मूल पार्टी में वापस जाने की पहल करनी शुरू कर दी है, जिससे कई जिलों में भाजपा संगठन के गंभीर रूप से प्रभावित होने की आशंका उत्पन्न हो गई है.

रॉय को 'ट्रोजन हॉर्स' बताते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय ने ट्वीट किया, 'भाजपा में स्वागत होने के बाद, उन्होंने उसके अखिल भारतीय नेताओं तक पहुंच प्राप्त की, राज्य भाजपा के सीधे साधे लोगों के साथ घुले मिले... पार्टी और इसके आंतरिक चीजों के बारे में सब कुछ जाना. वह वापस गए और ममता को सब कुछ बता दिया.'

पढ़ें -महाराष्ट्र में 'उथल-पुथल', इंतजार में भाजपा- 'कहीं भाग्य भरोसे छींका टूट जाए'

मेघालय के पूर्व राज्यपाल ने भाजपा के अंदर रॉय द्वारा अपने एजेंटों को छोड़कर जाने की आशंका जाहिर करते हुए कहा, 'लेकिन जो हो चुका सो हो चुका. क्या मुकुल इस काठ के घोड़े के अंदर काठ के घोड़ों को छोड़ गए हैं? खैर, मैं हमेशा हैरान रहता था कि मुकुल क्यों मुझसे मुलाकात करने से बचते थे. अब यह साफ हो गया है.'

रॉय ने एक ट्वीट किया जिसे उन्होंने एक वफादार भाजपा समर्थक के एक ट्वीट का एक अंग्रेजी अनुवाद बताया जिसमें उन्होंने भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर कटाक्ष किया, जो बंगाल के प्रभारी थे.

रॉय ने समर्थक के मूल पोस्ट की एक प्रति और रॉय और विजयवर्गीय की एक साथ तस्वीर के साथ ट्वीट किया, 'ममता आंटी, कृपया इस 'स्टूपिड कैट' को तृणमूल में ले जाएं. हो सकता है कि वह अपने दोस्त को याद करके दुखी हों....'

वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व सांसद अनुपम हाजरा ने कहा कि जो सदस्य इस समय पार्टी के साथ खड़े होने को तैयार नहीं हैं, जब 'इसके कई कार्यकर्ता तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के हमलों का सामना कर रहे हैं और बेघर हो रहे हैं, वे जाने के लिए स्वतंत्र हैं.'

चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए राज्य के पूर्व मंत्री राजीव बनर्जी पर निशाना साधते हुए हाजरा ने कहा, 'उनके जैसे नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद उसकी प्रशंसा करनी शुरू कर दी है. पार्टी में उनकी जरूरत नहीं है.'

रॉय के टीएमसी में फिर से शामिल होने के तुरंत बाद, राजीव बनर्जी ने पार्टी के राज्य महासचिव कुणाल घोष से मुलाकात की, लेकिन दोनों ने इसे 'शिष्टाचार भेंट' बताया.

उन्होंने कहा, 'दिलीप दा ने सही बात कही. जो लोग केवल सत्ता के लिए चुनाव से पहले भाजपा में आए और अब ममता बनर्जी को एसओएस (त्राहिमाम संदेश) भेजकर वापस लौटने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं, उन्हें तुरंत चले जाना चाहिए. पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है.'

पढ़ें - राहुल गांधी का तंज- भारत सरकार का झूठ और खोखले नारों वाला सबसे कुशल मंत्रालय कौन सा?

हाजरा ने पहले कहा था कि चुनावों के दौरान भाजपा की राज्य इकाई में लॉबी की राजनीति चल रही थी और सिर्फ एक या दो नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी, बाकी को 'अनदेखा' किया गया था. हालांकि, उन्होंने कहा था कि वह अपनी पार्टी का समर्थन करना जारी रखेंगे.

टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि कई लोगों ने वापसी की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन हमारी अध्यक्ष ममता बनर्जी अंतिम निर्णय लेंगी. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा, 'अगर दिलीप घोष में थोड़ा भी आत्म सम्मान और जवाबदेही होती, तो वह अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद (प्रदेश भाजपा अध्यक्ष) पद से इस्तीफा दे देते.'

आठ जून को बीरभूम जिले में पांच भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने सड़कों पर उतरकर घोषणा की थी कि उन्होंने पार्टी छोड़ने और टीएमसी में लौटने का फैसला किया है ताकि उन्हें ममता बनर्जी के नेतृत्व में 'मां माटी मानुष' के लिए काम करने का मौका मिले.

जिला टीएमसी नेताओं ने कहा कि चुनाव के दौरान पार्टी के लिए काम करने वाले स्थानीय पार्टी सदस्यों के साथ बातचीत करने के बाद उनके अनुरोध पर विचार किया जाएगा. इससे पहले, पूर्व विधायक सोनाली गुहा और दीपेंदु विश्वास सहित कई अन्य ने बनर्जी से उन्हें पार्टी में वापस लेने की अपील की थी.

टीएमसी अध्यक्ष बनर्जी ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि वह उन नेताओं के अनुरोधों को स्वीकार नहीं करेंगी, जिन्होंने अप्रैल-मई चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़ दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : ऐसे में जब तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कई नेता पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद फिर से तृणमूल कांग्रेस (tmc) में जाने की तैयारी में हैं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष (dilip ghosh) ने रविवार को कहा कि जो लोग बिना त्याग किए सत्ता का आनंद लेना चाहते हैं, उन्हें जाने के लिए कहा जाएगा.

वहीं मेघालय के पूर्व राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय ने कई ट्वीट करके हाल ही में भाजपा से तृणमूल कांग्रेस में वापसी करने वाले मुकुल रॉय को 'ट्रोजन हॉर्स' (काठ का घोड़ा) बताया तथा मुकुल का करीबी होने के लिए भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर कटाक्ष किया.

घोष ने शुक्रवार को कहा था कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के जाने से बहुत फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि 'कुछ लोगों को पार्टियां बदलने की आदत होती है.'

उन्होंने बांग्ला भाषा में ट्वीट किया, 'अगर किसी को भाजपा में रहना है, तो उसे बलिदान देने होंगे. जो केवल सत्ता का आनंद लेना चाहते हैं, वे भाजपा में नहीं रह सकते. हम उन्हें नहीं रखेंगे.'पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा की बंगाल इकाई में उथल-पुथल का दौर चल रहा है क्योंकि पार्टी के भीतर आरोप-प्रत्यारोप जारी है.

पढ़ें - उप्र विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की सामाजिक समीकरण मजबूत करने के कोशिश

माना जाता है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता चुनाव के दौरान दरकिनार किए जाने और बाद में पार्टी मुख्यालय के निर्देश पर टीएमसी के नए नेताओं को लाए जाने से विक्षुब्ध थे और उनका मानना है कि बंगाल चुनावों को सही से नहीं संभालने की जिम्मेदारी न केवल दलबदुलओं पर है बल्कि राज्यों की राजनीति नहीं समझ पाने को लेकर भाजपा नेतृत्व पर भी है.

ऐसा तब हो रहा है जब टीएमसी के पूर्व नेताओं एवं कार्यकर्ताओं, जो भाजपा में शामिल हुए थे, ने अब अपनी मूल पार्टी में वापस जाने की पहल करनी शुरू कर दी है, जिससे कई जिलों में भाजपा संगठन के गंभीर रूप से प्रभावित होने की आशंका उत्पन्न हो गई है.

रॉय को 'ट्रोजन हॉर्स' बताते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय ने ट्वीट किया, 'भाजपा में स्वागत होने के बाद, उन्होंने उसके अखिल भारतीय नेताओं तक पहुंच प्राप्त की, राज्य भाजपा के सीधे साधे लोगों के साथ घुले मिले... पार्टी और इसके आंतरिक चीजों के बारे में सब कुछ जाना. वह वापस गए और ममता को सब कुछ बता दिया.'

पढ़ें -महाराष्ट्र में 'उथल-पुथल', इंतजार में भाजपा- 'कहीं भाग्य भरोसे छींका टूट जाए'

मेघालय के पूर्व राज्यपाल ने भाजपा के अंदर रॉय द्वारा अपने एजेंटों को छोड़कर जाने की आशंका जाहिर करते हुए कहा, 'लेकिन जो हो चुका सो हो चुका. क्या मुकुल इस काठ के घोड़े के अंदर काठ के घोड़ों को छोड़ गए हैं? खैर, मैं हमेशा हैरान रहता था कि मुकुल क्यों मुझसे मुलाकात करने से बचते थे. अब यह साफ हो गया है.'

रॉय ने एक ट्वीट किया जिसे उन्होंने एक वफादार भाजपा समर्थक के एक ट्वीट का एक अंग्रेजी अनुवाद बताया जिसमें उन्होंने भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर कटाक्ष किया, जो बंगाल के प्रभारी थे.

रॉय ने समर्थक के मूल पोस्ट की एक प्रति और रॉय और विजयवर्गीय की एक साथ तस्वीर के साथ ट्वीट किया, 'ममता आंटी, कृपया इस 'स्टूपिड कैट' को तृणमूल में ले जाएं. हो सकता है कि वह अपने दोस्त को याद करके दुखी हों....'

वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व सांसद अनुपम हाजरा ने कहा कि जो सदस्य इस समय पार्टी के साथ खड़े होने को तैयार नहीं हैं, जब 'इसके कई कार्यकर्ता तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के हमलों का सामना कर रहे हैं और बेघर हो रहे हैं, वे जाने के लिए स्वतंत्र हैं.'

चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए राज्य के पूर्व मंत्री राजीव बनर्जी पर निशाना साधते हुए हाजरा ने कहा, 'उनके जैसे नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद उसकी प्रशंसा करनी शुरू कर दी है. पार्टी में उनकी जरूरत नहीं है.'

रॉय के टीएमसी में फिर से शामिल होने के तुरंत बाद, राजीव बनर्जी ने पार्टी के राज्य महासचिव कुणाल घोष से मुलाकात की, लेकिन दोनों ने इसे 'शिष्टाचार भेंट' बताया.

उन्होंने कहा, 'दिलीप दा ने सही बात कही. जो लोग केवल सत्ता के लिए चुनाव से पहले भाजपा में आए और अब ममता बनर्जी को एसओएस (त्राहिमाम संदेश) भेजकर वापस लौटने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं, उन्हें तुरंत चले जाना चाहिए. पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है.'

पढ़ें - राहुल गांधी का तंज- भारत सरकार का झूठ और खोखले नारों वाला सबसे कुशल मंत्रालय कौन सा?

हाजरा ने पहले कहा था कि चुनावों के दौरान भाजपा की राज्य इकाई में लॉबी की राजनीति चल रही थी और सिर्फ एक या दो नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी, बाकी को 'अनदेखा' किया गया था. हालांकि, उन्होंने कहा था कि वह अपनी पार्टी का समर्थन करना जारी रखेंगे.

टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि कई लोगों ने वापसी की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन हमारी अध्यक्ष ममता बनर्जी अंतिम निर्णय लेंगी. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा, 'अगर दिलीप घोष में थोड़ा भी आत्म सम्मान और जवाबदेही होती, तो वह अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद (प्रदेश भाजपा अध्यक्ष) पद से इस्तीफा दे देते.'

आठ जून को बीरभूम जिले में पांच भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने सड़कों पर उतरकर घोषणा की थी कि उन्होंने पार्टी छोड़ने और टीएमसी में लौटने का फैसला किया है ताकि उन्हें ममता बनर्जी के नेतृत्व में 'मां माटी मानुष' के लिए काम करने का मौका मिले.

जिला टीएमसी नेताओं ने कहा कि चुनाव के दौरान पार्टी के लिए काम करने वाले स्थानीय पार्टी सदस्यों के साथ बातचीत करने के बाद उनके अनुरोध पर विचार किया जाएगा. इससे पहले, पूर्व विधायक सोनाली गुहा और दीपेंदु विश्वास सहित कई अन्य ने बनर्जी से उन्हें पार्टी में वापस लेने की अपील की थी.

टीएमसी अध्यक्ष बनर्जी ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि वह उन नेताओं के अनुरोधों को स्वीकार नहीं करेंगी, जिन्होंने अप्रैल-मई चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़ दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

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