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अनोखी पहल : महाराष्ट्र में 'वाचन टपरी' के जरिए लोगों का ज्ञान बढ़ा रहे शीतल

महाराष्ट्र के उमरगा में वाचन टपरी (पुस्तकालय) शुरू किए गए हैं (Umraga gyan tapri library). जहां, छात्र और अन्य लोग किताबें और अखबार पढ़ सकते हैं. इसके लिए खास नारा भी दिया 'पान टपरी नहीं ज्ञान टपरी'. इस पहल को लोग पसंद कर रहे हैं. खास रिपोर्ट.

Umraga gyan tapri library
वाचन टपरी
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Published : Mar 29, 2022, 6:09 PM IST

Updated : Mar 29, 2022, 9:05 PM IST

उमरगा : शहर में जगह-जगह शामराव रघुनाथ चव्हाण स्मृति पुस्तकालय शुरू करने की घोषणा की गई. इसी के तहत पहली ज्ञान टपरी (पुस्तकालय) में सैकड़ों पुस्तकें, विभिन्न समाचार पत्र पढ़ने के लिए रखे गए हैं. इसका फायदा छात्र से लेकर बुजुर्ग तक उठा रहे हैं. जिले में हर तरफ ज्ञान टपरी की चर्चा हो रही है. दरअसल टपरी का मतलब छोटी दुकान होता है. अगर आप किसी गांव, शहर में जाएंगे तो आपको हर जगह पान टपरी (पान की दुकान) दिखाई देगी. कई युवा पान और गुटखे के आदी होकर बीमार हो जाते हैं, लेकिन शामराव रघुनाथचव्हाण की स्मृति में उनके बेटे शीतल ने ऐसी टपरी शुरू की है जिससे हर किसी का ज्ञान बढ़ेगा.

महाराष्ट्र में अनोखा पुस्तकालय

मोबाइल के चलन ने लोगों को किताबों से दूर कर दिया है. ऐसे में इस तरह की टपरी से निश्चित ही लोगों का ध्यान किताबों की ओर जाएगा. खास बात यह है कि टपरी में रखी किताबों को मुफ्त में पढ़ा जा सकता है. ऐसा इसलिए किया गया है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिले. शीतल चव्हाण उमरगा के रहने वाले हैं. वह वर्तमान में पुणे में लॉ प्रैक्टिस कर रहे हैं. वह पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं.

उमरगा में वाचन टपरी
उमरगा में वाचन टपरी

35 साल के शीतल ने उमरगा और लोहारा इलाकों में दस पुस्तकालय स्थापित किए हैं और अब ज्ञान टपरी की शुरुआत की है. शीतल ने ज्ञान टपरी में ऐसी व्यवस्था भी की कि लोग बैठकर किताबें पढ़ सकें. शीतल ने अपने पिता की स्मृति में ये नेक काम शुरू किया है. 2018 में उन्होंने अपने पिता की पुण्यतिथि के खर्च को बचाते हुए पहला पुस्तकालय शुरू किया था. इसके बाद उन्हें अपने दोस्तों का भी सपोर्ट मिला. उन्होंने अन्य जगहों पर पुस्तकालय खोले.

ईटीवी भारत से बात करते हुए शीतल ने कहा कि 'हम किताबों के जरिए मजबूत समाज बनाना चाहते हैं. मोबाइल के समय में लोगों का किताब से जुड़ाव कम हो गया है, जिसे वापस लाने की पहल है. हम 'पान टपरी नहीं ज्ञान टपरी' की अवधारणा को आगे भी जारी रखेंगे.

पढ़ें- छात्रों, नागरिकों के खिलाफ लॉकडाउन उल्लंघन के मामले वापस लेगी महाराष्ट्र सरकार

उमरगा : शहर में जगह-जगह शामराव रघुनाथ चव्हाण स्मृति पुस्तकालय शुरू करने की घोषणा की गई. इसी के तहत पहली ज्ञान टपरी (पुस्तकालय) में सैकड़ों पुस्तकें, विभिन्न समाचार पत्र पढ़ने के लिए रखे गए हैं. इसका फायदा छात्र से लेकर बुजुर्ग तक उठा रहे हैं. जिले में हर तरफ ज्ञान टपरी की चर्चा हो रही है. दरअसल टपरी का मतलब छोटी दुकान होता है. अगर आप किसी गांव, शहर में जाएंगे तो आपको हर जगह पान टपरी (पान की दुकान) दिखाई देगी. कई युवा पान और गुटखे के आदी होकर बीमार हो जाते हैं, लेकिन शामराव रघुनाथचव्हाण की स्मृति में उनके बेटे शीतल ने ऐसी टपरी शुरू की है जिससे हर किसी का ज्ञान बढ़ेगा.

महाराष्ट्र में अनोखा पुस्तकालय

मोबाइल के चलन ने लोगों को किताबों से दूर कर दिया है. ऐसे में इस तरह की टपरी से निश्चित ही लोगों का ध्यान किताबों की ओर जाएगा. खास बात यह है कि टपरी में रखी किताबों को मुफ्त में पढ़ा जा सकता है. ऐसा इसलिए किया गया है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिले. शीतल चव्हाण उमरगा के रहने वाले हैं. वह वर्तमान में पुणे में लॉ प्रैक्टिस कर रहे हैं. वह पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं.

उमरगा में वाचन टपरी
उमरगा में वाचन टपरी

35 साल के शीतल ने उमरगा और लोहारा इलाकों में दस पुस्तकालय स्थापित किए हैं और अब ज्ञान टपरी की शुरुआत की है. शीतल ने ज्ञान टपरी में ऐसी व्यवस्था भी की कि लोग बैठकर किताबें पढ़ सकें. शीतल ने अपने पिता की स्मृति में ये नेक काम शुरू किया है. 2018 में उन्होंने अपने पिता की पुण्यतिथि के खर्च को बचाते हुए पहला पुस्तकालय शुरू किया था. इसके बाद उन्हें अपने दोस्तों का भी सपोर्ट मिला. उन्होंने अन्य जगहों पर पुस्तकालय खोले.

ईटीवी भारत से बात करते हुए शीतल ने कहा कि 'हम किताबों के जरिए मजबूत समाज बनाना चाहते हैं. मोबाइल के समय में लोगों का किताब से जुड़ाव कम हो गया है, जिसे वापस लाने की पहल है. हम 'पान टपरी नहीं ज्ञान टपरी' की अवधारणा को आगे भी जारी रखेंगे.

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Last Updated : Mar 29, 2022, 9:05 PM IST
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