नई दिल्ली : अमेरिकी इन्वेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से गौतम अडाणी के स्वामित्व वाले अडाणी ग्रुप (Adani Group) के शेयर गिर रहे हैं. गुरुवार को भी इसके शेयर गिरे. समूह से जुड़ी फर्म अडाणी एंटरप्राइजेज के 20 हजार करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) को बुधवार को अचानक रद्द कर दिया गया , जबकि ये 100 प्रतिशत सब्सक्राइब हुआ था. हालांकि समूह की ओर से कहा गया कि 'निवेशकों के हित में ये फैसला किया गया है, उनका पैसा वापस किया जाएगा.' इस बीच 20 हजार करोड़ के एफपीओ को लेकर फोर्ब्स की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें एफपीओ पर सवाल खड़े किए गए हैं. इस पूरे मामले में विपक्ष सरकार को घेर रहा है, वहीं भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ट्वीट किया है.
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My advice to Modi: Nationalise the entire commercial properties of Adani & Co for “ negative” payment and later auction the properties.
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— Subramanian Swamy (@Swamy39) February 2, 2023
ये है फोर्ब्स की रिपोर्ट : दरअसल फोर्ब्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि कथित रूप से शेयरों की हेरफेर में अडाणी ग्रुप की मदद करने वाली दो कंपनियां इस एफपीओ में अंडरराइटर थीं. फोर्ब्स की रिपोर्ट में जिन कंपनियों का जिक्र किया गया है उनमें लंदन बेस्ड इनवेस्ट फर्म एलारा कैपिटल की सहायक कंपनी और एक भारतीय ब्रोकरेज फर्म मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल का नाम है.
कैपिटल का इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड के पास करीब 3 अरब डॉलर के पब्लिकली शेयर हैं. इनमें अडाणी इंटरप्राइजेज के शेयर भी हैं. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल भारतीय ब्रोकरेज फर्म है. यह 2016 से आंशिक रूप से निजी तौर पर अडाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व में है.
रिपोर्ट के मुताबिक अडाणी एंटरप्राइजेज के प्रकाशित ऑफरिंग स्टेटमेंट के अनुसार, शेयर की पेशकश में एलारा कैपिटल की जिम्मेदारियों में 'सभी प्रचार सामग्री का प्रारूपण और अनुमोदन' शामिल था, जबकि मोनार्क को निवेशकों के लिए 'गैर संस्थागत विपणन' का काम सौंपा गया था. एलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल की भागीदारी इस बारे में सवाल उठाती है कि क्या अडाणी के किसी भी निजी फंड को 2.5 अरब डॉलर के लक्ष्य को पूरा करने में मदद के लिए लगाया गया था.
अडाणी एंटरप्राइजेज ने एफपीओ वापस लिया : अडाणी एंटरप्राइजेज ने बुधवार को अपने 20 हजार करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने की घोषणा की. हालांकि, कंपनी के एफपीओ को मंगलवार को पूर्ण अभिदान मिल गया था. समझा जाता है कि अडाणी एंटरप्राइजेज ने यह कदम अमेरिका की शॉर्टसेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद उठाया है.
बीएससी के आंकड़ों के अनुसार, अडाणी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के तहत 4.55 करोड़ शेयरों की पेशकश की गई थी, जबकि इसपर 4.62 करोड़ शेयरों के लिए आवेदन मिले थे. गैर संस्थागत निवेशकों के लिए आरक्षित 96.16 लाख शेयरों पर करीब तीन गुना बोलियां मिली थीं. वहीं पात्र संस्थागत खरीदारों के खंड के 1.28 करोड़ शेयरों पर पूर्ण अभिदान मिला था. हालांकि, एफपीओ को लेकर खुदरा निवेशकों और कंपनी के कर्मचारियों की प्रतिक्रिया ठंडी रही थी.
रिजर्व बैंक ने बैंकों से अडाणी समूह को दिए कर्ज का ब्योरा मांगा : वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऋणदाताओं यानी बैंकों से अडाणी समूह को दिए गए कर्ज का ब्योरा मांगा है. बैंकिंग सूत्रों ने यह जानकारी दी. हालांकि बैंकिंग सूत्रों ने कहा कि बड़े ऋण संबंधी आंकड़ों की जानकारी के तहत आरबीआई नियमित रूप से बैंकों के बड़े कॉरपोरेट उधारकर्ताओं का ब्योरा लेता है. कई बार बैंक गिरवी रखी गई प्रतिभूतियों के बदले उधार देते हैं और अडाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों के इक्विटी शेयरों की कीमत में भारी गिरावट के चलते गिरवी रखी गई प्रतिभूतियों की कीमत भी घट सकती है.
उधर, स्विटजरलैंड के ऋणदाता क्रेडिट स्विस ने बुधवार को मार्जिन कर्ज देने के लिए अडाणी समूह की कंपनियों के बॉन्ड को गारंटी के रूप में स्वीकार करना बंद कर दिया. यहीं नहीं क्रेडिट सुईस के बाद अमेरिका के सिटी ग्रुप ने भी अडाणी समूह की कंपनी की लैंडिंग वैल्यू हटा दी है.
कांग्रेस ने की जांच की मांग, स्वामी ने भी दी नसीहत : अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर विपक्ष सरकार को घेर रहा है. कांग्रेस ने जहां जेपीसे जांच की मांग की है, वहीं भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सरकार को नसीहत दे डाली.
सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया, ' मोदी को मेरी सलाह : 'नकारात्मक' भुगतान के लिए अडाणी एंड कंपनी की संपूर्ण व्यावसायिक संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण करें और बाद में संपत्तियों की नीलामी करें.'एक अन्य ट्वीट में कहा, 'मेरा मानना है कि मोदी सरकार अडाणी को धीरे-धीरे एक निराशाजनक मामले के रूप में खारिज कर रही है.'
अडाणी का रुतबा घटा : बंदरगाह से ऊर्जा क्षेत्र तक विस्तृत कारोबारी समूह के प्रमुख गौतम अडाणी दुनिया के शीर्ष अरबपतियों की सूची में पिछड़ गए हैं. अडाणी एक सप्ताह पहले फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची में दुनिया के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति थे और वह बुधवार को 15वें स्थान पर फिसल गए. फोर्ब्स वेबसाइट के अनुसार, अडाणी की संपत्ति में पिछले साल 44 अरब डॉलर का इजाफा हुआ था और पिछले एक सप्ताह में उनकी संपत्ति तेजी से घटी है. वह इस समय वैश्विक अरबपतियों की सूची में 75.1 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 15वें स्थान पर हैं.
छह साल पहले हुई थी हिंडनबर्ग रिसर्च की शुरुआत: अडाणी समूह की कंपनियों पर गंभीर अनियमितता का आरोप लगाने वाली अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की शुरुआत छह साल पहले दुनिया की बड़ी कंपनियों में गड़बड़ियों का पता लगाने और उनके शेयरों पर दांव लगाने के इरादे से की गई थी.
कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले नैथन एंडरसन ने वर्ष 2017 में इस फॉरेंसिक वित्तीय शोध कंपनी की बुनियाद रखी थी. उस समय एंडरसन ने कारोबार जगत की मानव-निर्मित त्रासदियों की पहचान को इसका उद्देश्य घोषित किया था.
क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में : हिंडनबर्ग के नाम पर गठित इस अमेरिकी फर्म ने कुछ दिनों पहले जब दुनिया के सर्वाधिक धनी लोगों में शुमार गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह की कंपनियों के बारे में एक रिपोर्ट जारी की. ये रिपोर्ट अडाणी समूह की प्रतिनिधि कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) खुलने से पहले जारी हुई.
रिपोर्ट के मुताबिक, अडाणी समूह दशकों से 'खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी' में शामिल रहा है. हालांकि समूह ने इस रिपोर्ट को नकारते हुए कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने गलत इरादे से बिना कोई शोध और पूरी जानकारी के रिपोर्ट जारी की है. अडाणी समूह ने 413 पन्नों के जवाब में कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट 'मिथ्या धारणा बनाने' की 'छिपी हुई मंशा' से प्रेरित है, ताकि अमेरिकी फर्म को वित्तीय लाभ मिल सके.