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सीबीआई, आईबी को SC ने लगाई फटकार, कहा- जजों की सुरक्षा के प्रति लापरवाह - जजों की सुरक्षा

शुक्रवार को धनबाद न्यायाधीश की मौत के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश, एनवी रमणा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जब जज ने धमकियों के बारे में शिकायत की तो जांच एजेंसियों ने इसके प्रति ध्यान नहीं दिया. कोर्ट ने कहा कि जजों को धमकाना, उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से परेशान करना एक हाई प्रोफाइल मामला है और आदेश उनके पक्ष में नहीं है, तो अपमानजनक संदेश भेजकर उन्हें परेशान करना एक नया 'ट्रेंड' बन गया है.

SC ने लगाई फटकार
SC ने लगाई फटकार
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Published : Aug 6, 2021, 1:07 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज उन सभी हमलों की रिपोर्ट और शिकायतों का संज्ञान लेते हुए सीबीआई और आईबी को फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि जजों की सुरक्षा के प्रति सीबीआई और आईबी संवेदनशील नहीं है.

जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को धनबाद न्यायाधीश की मौत के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जब जज ने धमकियों के बारे में शिकायत की तो जांच एजेंसियों ने इसके प्रति ध्यान नहीं दिया.

कोर्ट ने कहा कि जजों को धमकाना, उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से परेशान करना एक हाई प्रोफाइल मामला है और आदेश उनके पक्ष में नहीं है, तो अपमानजनक संदेश भेजकर उन्हें परेशान करना एक नया 'ट्रेंड' बन गया है.

उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर ऐसे मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दिए गए हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले साल आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर धमकी भरे पोस्ट की सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था. एक या दो जगहों पर, अदालतों ने सीबीआई जांच का आदेश दिया. यह कहना दुखद है कि सीबीआई ने कुछ नहीं किया है. हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ है.

पढ़ें : रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप की डील को SC से झटका, अमेजन के पक्ष में फैसला

बेंच ने धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश उत्तम आनंद के मौत की जांच में प्रगति के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए 10 अगस्त को सीबीआई की उपस्थिति की मांग की. इससे पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव और डीजीपी के जरिए झारखंड सरकार (Jharkhand Government) से जांच रिपोर्ट भी मांगी थी.

न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के बारे में CJI ने टिप्पणी की एक युवा न्यायाधीश की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है. यह राज्य की विफलता है. न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए थी.

झारखंड के एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने पीठ को सूचित किया कि राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए तुरंत एक विशेष जांच दल का गठन किया था, और अपराध के उसी दिन, एसआईटी ने ऑटो-रिक्शा में सवार दो लोगों को गिरफ्तार किया था. जिसने सुबह की सैर के दौरान न्यायाधीश उत्तम आनंद को नीचे गिरा दिया.

पढ़ें : पेगासस मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट, अगर मीडिया रिपोर्ट सही हैं तो आरोप गंभीर हैं

एडवोकेट जनरल ने यह भी कहा कि सीबीआई ने राज्य सरकार की सिफारिश के आधार पर जांच अपने हाथ में ले ली है. इस पर शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि क्या उसमें आपने अपने हाथ धो लिये?

एडवोकेट जनरल ने जवाब दिया कि इस मामले में सीमा पार से निहितार्थ और बड़ी साजिश होने की संभावना है. इसलिए सीबीआई को यह मामला सौंपा गया था.

बेंच के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, एजी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा देने के आदेश जारी किए हैं, जैसा कि पिछले सप्ताह झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष किया गया था.

अदालत ने सभी राज्यों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया और मामले को 17 अगस्त को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज उन सभी हमलों की रिपोर्ट और शिकायतों का संज्ञान लेते हुए सीबीआई और आईबी को फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि जजों की सुरक्षा के प्रति सीबीआई और आईबी संवेदनशील नहीं है.

जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को धनबाद न्यायाधीश की मौत के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जब जज ने धमकियों के बारे में शिकायत की तो जांच एजेंसियों ने इसके प्रति ध्यान नहीं दिया.

कोर्ट ने कहा कि जजों को धमकाना, उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से परेशान करना एक हाई प्रोफाइल मामला है और आदेश उनके पक्ष में नहीं है, तो अपमानजनक संदेश भेजकर उन्हें परेशान करना एक नया 'ट्रेंड' बन गया है.

उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर ऐसे मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दिए गए हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले साल आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर धमकी भरे पोस्ट की सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था. एक या दो जगहों पर, अदालतों ने सीबीआई जांच का आदेश दिया. यह कहना दुखद है कि सीबीआई ने कुछ नहीं किया है. हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ है.

पढ़ें : रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप की डील को SC से झटका, अमेजन के पक्ष में फैसला

बेंच ने धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश उत्तम आनंद के मौत की जांच में प्रगति के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए 10 अगस्त को सीबीआई की उपस्थिति की मांग की. इससे पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव और डीजीपी के जरिए झारखंड सरकार (Jharkhand Government) से जांच रिपोर्ट भी मांगी थी.

न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के बारे में CJI ने टिप्पणी की एक युवा न्यायाधीश की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है. यह राज्य की विफलता है. न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए थी.

झारखंड के एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने पीठ को सूचित किया कि राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए तुरंत एक विशेष जांच दल का गठन किया था, और अपराध के उसी दिन, एसआईटी ने ऑटो-रिक्शा में सवार दो लोगों को गिरफ्तार किया था. जिसने सुबह की सैर के दौरान न्यायाधीश उत्तम आनंद को नीचे गिरा दिया.

पढ़ें : पेगासस मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट, अगर मीडिया रिपोर्ट सही हैं तो आरोप गंभीर हैं

एडवोकेट जनरल ने यह भी कहा कि सीबीआई ने राज्य सरकार की सिफारिश के आधार पर जांच अपने हाथ में ले ली है. इस पर शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि क्या उसमें आपने अपने हाथ धो लिये?

एडवोकेट जनरल ने जवाब दिया कि इस मामले में सीमा पार से निहितार्थ और बड़ी साजिश होने की संभावना है. इसलिए सीबीआई को यह मामला सौंपा गया था.

बेंच के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, एजी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा देने के आदेश जारी किए हैं, जैसा कि पिछले सप्ताह झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष किया गया था.

अदालत ने सभी राज्यों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया और मामले को 17 अगस्त को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

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