ETV Bharat / bharat

सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद भी असम में माघ बिहू पर 'भैंसों की लड़ाई' - buffalo fight

सुप्रीम कोर्ट ने जानवरों की लड़ाई पर प्रतिबंध लगाया है. इसके बावजूद भी असम में माघ बिहू के मौके पर नागांव और मोरीगांव जिले में भैंसों की लड़ाई का आयोजन किया गया. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

माघ बिहू पर भैंस की लड़ाई
author img

By

Published : Jan 15, 2021, 7:00 PM IST

Updated : Jan 15, 2021, 7:07 PM IST

गुवाहाटी : सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी प्रकार की जानवरों की लड़ाई के आयोजन पर रोक लगाई है. इसके बावजूद असम के नागांव और मोरीगांव जिले में लोगों ने शुक्रवार को भैंसों की लड़ाई का आयोजन किया गया. असम में माघ बिहू पर पारंपरिक खेल ( भैंसों की लड़ाई ) का आयोजन क्षेत्र में सदियों से जारी है.

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी प्रकार की जानवरों की लड़ाई और दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया था. कोर्ट ने पशु कल्याण बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि लड़ाई या दौड़ के आयोजन के नाम पर जानवरों को कोई दर्द या घाव नहीं दिया जाए.

भैंस की लड़ाई का आयोजन असम के विभिन्न भागों में माघ के असमिया कैलेंडर महीने के पहले दिन और माघ बिहू उत्सव के हिस्से के रूप में किया जाता है. भैंसों की लड़ाई एक पारंपरिक खेल रहा है, जिसे अहोम शासन के दौरान शाही संरक्षण प्राप्त हुआ था.

भैंसा पालने वालों का कहना है कि भैंसों की लड़ाई इस अवधि के दौरान आयोजित किए जाते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भैंसा गांव में अपने रखवालों या अन्य किसी पर हमला न करें.

पढ़ें- तमिलनाडु में जल्लीकट्टू का आयोजन, खेल में 529 सांड़ शामिल

भैंसों को तैयार कर असमिया गमोचा से सजाया जाता है. लड़ाई तब तक जारी रहती है, जब तक एक भैंसा या तो घायल हो जाए या फिर थक कर मैदान से भाग जाता है.

भैंसों के रखवाले मोरीगांव जिले के अहटगुरी और बैद्यबोरि क्षेत्र में भैंस के 20 जोड़े के बीच इस लड़ाई का आयोजन करते है. भैंसों की लड़ाई का आनंद लेने के लिए हजारों लोगों ने दोनों जगह इकट्ठा हुए.

गुवाहाटी : सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी प्रकार की जानवरों की लड़ाई के आयोजन पर रोक लगाई है. इसके बावजूद असम के नागांव और मोरीगांव जिले में लोगों ने शुक्रवार को भैंसों की लड़ाई का आयोजन किया गया. असम में माघ बिहू पर पारंपरिक खेल ( भैंसों की लड़ाई ) का आयोजन क्षेत्र में सदियों से जारी है.

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी प्रकार की जानवरों की लड़ाई और दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया था. कोर्ट ने पशु कल्याण बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि लड़ाई या दौड़ के आयोजन के नाम पर जानवरों को कोई दर्द या घाव नहीं दिया जाए.

भैंस की लड़ाई का आयोजन असम के विभिन्न भागों में माघ के असमिया कैलेंडर महीने के पहले दिन और माघ बिहू उत्सव के हिस्से के रूप में किया जाता है. भैंसों की लड़ाई एक पारंपरिक खेल रहा है, जिसे अहोम शासन के दौरान शाही संरक्षण प्राप्त हुआ था.

भैंसा पालने वालों का कहना है कि भैंसों की लड़ाई इस अवधि के दौरान आयोजित किए जाते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भैंसा गांव में अपने रखवालों या अन्य किसी पर हमला न करें.

पढ़ें- तमिलनाडु में जल्लीकट्टू का आयोजन, खेल में 529 सांड़ शामिल

भैंसों को तैयार कर असमिया गमोचा से सजाया जाता है. लड़ाई तब तक जारी रहती है, जब तक एक भैंसा या तो घायल हो जाए या फिर थक कर मैदान से भाग जाता है.

भैंसों के रखवाले मोरीगांव जिले के अहटगुरी और बैद्यबोरि क्षेत्र में भैंस के 20 जोड़े के बीच इस लड़ाई का आयोजन करते है. भैंसों की लड़ाई का आनंद लेने के लिए हजारों लोगों ने दोनों जगह इकट्ठा हुए.

Last Updated : Jan 15, 2021, 7:07 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.