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पश्चिम बंगाल : आम की संतोषजनक उपज, खरीददारों की कमी से किसानों पर संकट

कोविड-19 संकट और लॉकडाउन के कारण पश्चिम बंगाल के मालदा में आम किसानों को को पर्याप्त खरीदार नहीं मिल रहे हैं, जिससे जिले के किसान काफी परेशान हैं. किसानों का कहना है कि उन्होंने कर्ज लेकर आम की बागबानी की है और अगर वह अपने आमों को बाजार में नहीं बेच सके, तो उनके सामने संकट खड़ा हो जाएगा.

किसानों पर संकट
किसानों पर संकट
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Published : May 19, 2021, 3:52 PM IST

कोलकाता : इस साल कोलकाता में मौसम अनुकूल रहा. कीटों से संबंधित कोई समस्या नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के आम के किसानों के लिए यह समय अनुकूल नहीं है. यह किसान जिले की अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख योगदानकर्ता माने जाते हैं.

इस समय आम के पेड़ फलों से भरे हुए हैं, लेकिन कोविड-19 संकट और लॉकडाउन के कारण किसानों को पर्याप्त खरीदार नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में पिछले साल की तरह इस साल भी जिले के आम किसान काफी परेशान हैं. वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, आम तौर पर मालदा जिले में 32,000 हेक्टेयर भूमि पर आम की खेती की जाती है.

हालांकि जिले के बागबानी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल खेती का दायरा पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ा कम रहा है. इस साल करीब 31 हजार हेक्टेयर जमीन पर ही आम की खेती की गई है.

खरीददारों की कमी से किसानों पर संकट

विभाग के उप निदेशक कृष्णेंदु नंदन के अनुसार इस वर्ष उपज की तादाद और गुणवत्ता काफी संतोषजनक रही.

उन्होंने कहा कि नॉरवेस्टर्स के बावजूद इस साल लगभग 3,00,000 मीट्रिक टन आम का उत्पादन होने की उम्मीद है. हालांकि, कोविड19 संकट के कारण, पर्याप्त खरीदार प्राप्त करने में कठिनाइयां सामने आ सकती हैं.

उन्होंने बताया कि यहां दूसरे जिलों और अन्य राज्यों से भी खरीदार नहीं आ रहे हैं. हमने उनसे फोन पर संपर्क किया, लेकिन वे अनिच्छुक हैं. ऐसा लगता है कि इस साल हमारी उपज को बेचना मुश्किल होगा, इसलिए मेरा अनुरोध है कि राज्य जिला प्रशासन हमारे उत्पादों के बेचने की कुछ व्यवस्था करे.

कृष्णेंदु नंदन के साथी किसान सुशांत चौधरी की भी यही राय है. उन्होंने बताया कि पिछले साल तक हमारे पास असम, बिहार और झारखंड सहित अन्य राज्यों के खरीदार थे. इसके अलावा अन्य जिलों के थोक विक्रेताओं ने भी हमसे संपर्क किया था.

वहीं, इस साल उन्होंने अभी तक हमसे संपर्क नहीं किया है. इस साल पैदावार काफी अच्छी रही है, लेकिन खरीदारों की अनुपस्थिति में हमें नहीं पता कि उस उपज का क्या किया जाए. हमने खेती के लिए पैसे उधार लिए थे.

उन्होंने कहा कि अगर हम अपने उत्पादों का बाजार में बेच नहीं सके, तो हमारे पास एकमात्र उपाय आत्महत्या रहेगा, कोविड-19 और लॉकडाउन हमारे लिए आपदा लेकर आए हैं.

मालदा मैंगो मर्चेंट्स एसोसिएशन के सचिव उज्जवल कुमार चौधरी ने लगातार दूसरे साल जिले में आम की पैदावार बेहद अच्छी होने की बात कही है. यदि लॉकडाउन जारी रहता है और मानदंड और सख्त हो जाते हैं, तो हमारे उत्पादों का बजार में बेचना और कठिन हो जाएगा.

पढ़ें - उत्तराखंड को मिलेंगे 2.5 लाख विदेशी पौधे, 1 साल तक रहेंगे क्वारंटाइन

हम अलग-अलग जगहों पर आवेदन करेंगे, ताकि उत्पादों की मार्केटिंग की जा सके. वैसे इस साल दिल्ली में होने वाला आम का मेला भी कोरोना संकट की वजह से नहीं हो रहा है.

उन्होंने कहा हम काफी समय से जिले में 'मैंगो प्रोसेसिंग यूनिट' स्थापित करने की मांग कर रहे है. इस समस्या का केवल इसी से समाधान हो सकता है.

मालदा मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव जयंत कुंडू ने कहा कि पिछले साल आम के मौसम के दौरान देश में पूर्ण लॉकडाउन था.

उन्होंने कहा कि इस साल पैदावार अच्छी हुई है. आम के कारोबार में यहां हर साल 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन होता है, लेकिन इस साल नए संकट के कारण, हम अपने उत्पादों का बेचने में सक्षम नहीं होंगे.

मैंने इस बारे में पहले ही जिले की राज्य मंत्री सबीना यास्मीन को सूचित कर दिया था. उम्मीद है कि वह इस मामले को मुख्यमंत्री से बात करेंगी.

कोलकाता : इस साल कोलकाता में मौसम अनुकूल रहा. कीटों से संबंधित कोई समस्या नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के आम के किसानों के लिए यह समय अनुकूल नहीं है. यह किसान जिले की अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख योगदानकर्ता माने जाते हैं.

इस समय आम के पेड़ फलों से भरे हुए हैं, लेकिन कोविड-19 संकट और लॉकडाउन के कारण किसानों को पर्याप्त खरीदार नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में पिछले साल की तरह इस साल भी जिले के आम किसान काफी परेशान हैं. वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, आम तौर पर मालदा जिले में 32,000 हेक्टेयर भूमि पर आम की खेती की जाती है.

हालांकि जिले के बागबानी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल खेती का दायरा पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ा कम रहा है. इस साल करीब 31 हजार हेक्टेयर जमीन पर ही आम की खेती की गई है.

खरीददारों की कमी से किसानों पर संकट

विभाग के उप निदेशक कृष्णेंदु नंदन के अनुसार इस वर्ष उपज की तादाद और गुणवत्ता काफी संतोषजनक रही.

उन्होंने कहा कि नॉरवेस्टर्स के बावजूद इस साल लगभग 3,00,000 मीट्रिक टन आम का उत्पादन होने की उम्मीद है. हालांकि, कोविड19 संकट के कारण, पर्याप्त खरीदार प्राप्त करने में कठिनाइयां सामने आ सकती हैं.

उन्होंने बताया कि यहां दूसरे जिलों और अन्य राज्यों से भी खरीदार नहीं आ रहे हैं. हमने उनसे फोन पर संपर्क किया, लेकिन वे अनिच्छुक हैं. ऐसा लगता है कि इस साल हमारी उपज को बेचना मुश्किल होगा, इसलिए मेरा अनुरोध है कि राज्य जिला प्रशासन हमारे उत्पादों के बेचने की कुछ व्यवस्था करे.

कृष्णेंदु नंदन के साथी किसान सुशांत चौधरी की भी यही राय है. उन्होंने बताया कि पिछले साल तक हमारे पास असम, बिहार और झारखंड सहित अन्य राज्यों के खरीदार थे. इसके अलावा अन्य जिलों के थोक विक्रेताओं ने भी हमसे संपर्क किया था.

वहीं, इस साल उन्होंने अभी तक हमसे संपर्क नहीं किया है. इस साल पैदावार काफी अच्छी रही है, लेकिन खरीदारों की अनुपस्थिति में हमें नहीं पता कि उस उपज का क्या किया जाए. हमने खेती के लिए पैसे उधार लिए थे.

उन्होंने कहा कि अगर हम अपने उत्पादों का बाजार में बेच नहीं सके, तो हमारे पास एकमात्र उपाय आत्महत्या रहेगा, कोविड-19 और लॉकडाउन हमारे लिए आपदा लेकर आए हैं.

मालदा मैंगो मर्चेंट्स एसोसिएशन के सचिव उज्जवल कुमार चौधरी ने लगातार दूसरे साल जिले में आम की पैदावार बेहद अच्छी होने की बात कही है. यदि लॉकडाउन जारी रहता है और मानदंड और सख्त हो जाते हैं, तो हमारे उत्पादों का बजार में बेचना और कठिन हो जाएगा.

पढ़ें - उत्तराखंड को मिलेंगे 2.5 लाख विदेशी पौधे, 1 साल तक रहेंगे क्वारंटाइन

हम अलग-अलग जगहों पर आवेदन करेंगे, ताकि उत्पादों की मार्केटिंग की जा सके. वैसे इस साल दिल्ली में होने वाला आम का मेला भी कोरोना संकट की वजह से नहीं हो रहा है.

उन्होंने कहा हम काफी समय से जिले में 'मैंगो प्रोसेसिंग यूनिट' स्थापित करने की मांग कर रहे है. इस समस्या का केवल इसी से समाधान हो सकता है.

मालदा मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव जयंत कुंडू ने कहा कि पिछले साल आम के मौसम के दौरान देश में पूर्ण लॉकडाउन था.

उन्होंने कहा कि इस साल पैदावार अच्छी हुई है. आम के कारोबार में यहां हर साल 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन होता है, लेकिन इस साल नए संकट के कारण, हम अपने उत्पादों का बेचने में सक्षम नहीं होंगे.

मैंने इस बारे में पहले ही जिले की राज्य मंत्री सबीना यास्मीन को सूचित कर दिया था. उम्मीद है कि वह इस मामले को मुख्यमंत्री से बात करेंगी.

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