चंडीगढ़ : पंजाब के मनोनीत मुख्यमंत्री भगवंत मान (Designated Chief Minister Of Punjab Bhagwant Mann) ने वीआईपी संस्कृति के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश देते हुए शनिवार को शपथ ग्रहण से पहले राज्य कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी सहित 122 पूर्व विधायकों, मंत्री और वीआईपी की सुरक्षा वापस ले ली. पूर्व मंत्रियों में कांग्रेस के मनप्रीत सिंह बादल और परगट सिंह शामिल हैं, जो चुनाव हार गए हैं. सूची में पूर्व मुख्यमंत्रियों- कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रकाश सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल और राज्य कांग्रेस प्रमुख सिद्धू के नाम नहीं हैं. सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर, जो पूर्व विधायक हैं, उनमें शामिल हैं, जिनकी सुरक्षा हटा ली गई है. अतिरिक्त पुलिस महिनिर्देश्क, पंजाब द्वारा गत रात्रि को ही एक सूची जारी की थी जिसमें 122 लोगों से तत्काल प्रभाव से सुरक्षा वापिस लेने जिक्र था.
किनसे वापस ली गई सुरक्षा
सबसे ज्यादा सिक्योरिटी पंजाब की पूर्व सरकार में मंत्री रहे अमरिंदर सिंह राजा वाडिंग और वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की वापस ली गई है. मनप्रीत बादल को सुरक्षा दे रहे 19, अमरिंदर सिंह राजा वाडिंग के 21, परगट सिंह के 17, अरुणा चौधरी और राणा गुरजीत सिंह की सुरक्षा के 14-14 सुरक्षा कर्मचारी वापस लिए गए हैं. राजकुमार वेरका की सुरक्षा में लगे 11, भारत भूषण आशू (16), ब्रहम मोहिंद्रा (14), संगत सिंह गिलजिया (15), रणदीप सिंह नाभा (15), अजैब सिंह भट्टी (2), राणा केपी सिंह (13), राजिया सुल्ताना (4), गुरप्रीत सिंह कांगड (6), तृप्त राजिंदर बाजवा (14) सुखविंदर सिंह सरकारिया (14) सभी निवर्तमान मंत्री, बिंदरमीत सिंह (3), सुखपाल सिंह भुल्लर (4), कुलजीत सिंह नागरा (2), कुशलदीप सिंह किकी ढिल्लों (4), हरप्रताप सिंह अजनाला से चार सुरक्षा कर्मचारी वापस ली गई है.
बाकी के पूर्व विधायकों, राजनीतिक पार्टियों के पूर्व अध्यक्षों जिनकी सुरक्षा में एक से दो पुलिस कर्मचारी तैनात थे की भी सुरक्षा हटा ली गई है. आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक अमरजीत सिंह से भी सिक्योरिटी वापस ले ली गई है. कुल मिलकर 400 से अधिक पुलिस कर्मचारी इन ख़ास लोगों की सुरक्षा में लगे हुए थे. आदेश में कहा गया है कि इन पूर्व मंत्रियों और विधायकों की सुरक्षा वापस लेने के तुरंत बाद संबंधित यूनिट को सूचित किया जाए. निर्देशों में यह भी कहा गया है कि जिन पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों को अदालती आदेशों पर सुरक्षा दी गई है, वह वापस न ली जाए. यदि किसी पूर्व मंत्री या पूर्व विधायक को जान का खतरा है तो उसकी सुरक्षा वापस लेने से पहले एडीजीपी (सुरक्षा) से क्लीयरेंस ली जाए.
सुरक्षा वापसी का सिलसिला पुराना
पंजाब में सुरक्षा लेना भी ‘स्टेटस सिम्बल’ बन चुका है. गत कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही वीआईपी कल्चर छोड़ने और बेवजह दी सुरक्षा वापिस लेने का सिलसिला शुरू किया था. तब 1500 से अधिक पुलिस कर्मचारी वीआईपी लोगों की सुरक्षा से मिले थे. परन्तु तब की सरकार का ये सिलसिला ज्यादा देर नहीं चला. फिर चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनते ही कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और उनके 20 नजदीकियों की सुरक्षा कम कर दी गई थी. अगस्त , 2020 में कांग्रेस में टकराव के चलते ही कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा की भी सुरक्षा कम की गई थी.