पुणे : पुणे सहित महाराष्ट्र भर में एनआईए ने छापेमारी के दौरान पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. इसके विरोध में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने पुणे के कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की थी. इस नारेबाजी के दौरान 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. अब इन लोगों पर देशद्रोह का केस दर्ज करने की मांग की जा रही है.
ऐसे नारे लगाने वालों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर संघ परिवार, भाजपा और शहर के 27 सामाजिक संगठनों के स्वयं संगठनों ने पुलिस आयुक्त कार्यालय में पुलिस आयुक्त अमिताभ गुप्ता से मुलाकात की.
नगर भाजपा अध्यक्ष जगदीश मुलिक ने कहा कि पुलिस आयुक्त से इन सभी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की है. जगदीश मुलिक का कहना है कि भीड़ का मकसद देश के अलग-अलग हिस्सों में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ना और आंतरिक सांप्रदायिक और धार्मिक विभाजन पैदा करना और दंगे भड़काना है. मुलिक ने कहा कि पुलिस आयुक्त ने वादा किया है कि वे सख्त कार्रवाई करेंगे और अगले एक से दो दिनों में उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करेंगे. पुलिस उपायुक्त सागर पाटिल ने कहा कि फिलहाल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो की जांच की जा रही है. जांच में जो सामने आएगा उसके अनुसार मामला दर्ज किया जाएगा.
मनसे ने किया प्रदर्शन : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (Maharashtra Navnirman Sena) ने पुणे के अलका चौक की सड़कों पर प्रदर्शन किया. उन्होंने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की. इस मौके पर पाकिस्तान का झंडा भी जलाया गया. कलेक्टर कार्यालय के बाहर भी प्रदर्शन हुआ, जहां 'पाकिस्तान जिंदाबाद' की नारेबाजी की गई थी. संगठन ने चेतावनी दी कि आरोपियों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए, अन्यथा वे युवा सेना के माध्यम से सड़कों पर आकर विरोध करेंगे.
पुणे पुलिस ने पीआईएफ आंदोलन मामले में धारा 124 हटाई : 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे से जहां माहौल गरमा गया है वहीं पुणे पुलिस असमंजस में है. कुछ समय पहले गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया था कि इस मामले में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन अब पुणे पुलिस ने धारा 124 हटा दी है. पुणे पुलिस ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण, उस धारा की आवश्यकता नहीं है इसलिए इसे रद्द करने का फैसला लिया गया है.
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